इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ ने कोरोना से लोगों के बचाव व मौत पर मुआवजा देने के आग्रह वाली जनहित याचिका (पीआईएल) को सुनवाई लायक न होने के आधार पर खारिज कर दिया। वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए सुनवाई के बाद न्यायमूर्ति रमेश सिन्हा और न्यायमूर्ति राजीव सिंह की खंडपीठ ने कहा कि याची पाल सिंह यादव अगर चाहे तो अपनी व्यथा को स्वयं संज्ञान वाली पीआईएल में अर्जी देकर राहत मांग सकता है।
याचिका में कोरोना से हो रही अचानक मौतों से लोगों की हिफाजत करने व इसके लिए जिम्मेदारों के खिलाफ मुकदमा चलाने के निर्देश केंद्र व यूपी सरकार को देने की गुजारिश की थी। साथ ही अस्पताल, बेड व दवाइयां मरीजों को तुरंत मुहैया कराने का आग्रह किया था। याची ने लखनऊ में लॉकडाउन लगाने समेत कथित लापरवाही से कोरोना के मृतकों के परिजनों को मुआवजा दिलाने की भी गुजारिश की थी। सरकारी वकील ने याचिका का विरोध किया।
कोर्ट को तर्क दिया कि इस मामले में स्वयं संज्ञान लेकर कायम एक अन्य पीआईएल पर 27 अप्रैल को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने राज्य सरकार समेत अन्य पक्षकारों को विस्तृत आदेश व निर्देश जारी किए हैं। लिहाजा यह याचिका ग्राह्य नहीं है। इसके बाद कोर्ट ने इस याचिका सुनवाई लायक न होने के आधार पर खारिज कर दिया।