कोरोना के बढ़ते मामलों के बीच पूरे प्रदेश में ऑक्सीजन सिलेंडर को लेकर हाय-तौबा मची हुई है। गोरखपुर न सिर्फ खुद आत्मनिर्भर है, बल्कि लखनऊ समेत अन्य जिलों को भी ऑक्सीजन आपूर्ति कर रहा है। बुधवार को गोरखपुर से लखनऊ के दस अस्पतालों को 160 बड़े ऑक्सीजन सिलेंडर भेजे गए।
गोरखपुर में सामान्य दिनों में मेडिकल और इंडस्ट्रियल जरूरतों को मिलाकर 800 से 900 ऑसीजन सिलेंडर की जरूरत होती है। इनमें 500 सिलेंडर औद्योगिक प्लांट में तो 400 से आसपास मेडिकल जरूरतों में इस्तेमाल होता है। गोरखपुर औद्योगिक विकास प्राधिकरण में मोदी केमिकल की फैक्ट्री में 1600 सिलेंडर के उत्पादन की क्षमता है। वर्तमान में गोरखपुर के विभिन्न अस्पतालों में करीब 1300 ऑक्सीजन सिलेंडर की आपूर्ति हो रही है। जिन मरीजों को इलाज के बाद घर भेज दिया गया है, उन्हें भी ऑक्सीजन की जरूरत पड़ रही है। ऐसे मरीजों को सुरक्षा राशि जमा कराकर सिलेंडर मुहैया कराई जा रहा है।
मोदी केमिकल के निदेशक प्रवीन मोदी का कहना है कि गोरखपुर में ऑक्सीजन की खपत बढ़ी है, लेकिन अभी किल्लत नहीं है। गोरखपुर से लखनऊ के अस्पतालों को भी आपूर्ति की जा रही है। ऑक्सीजन की आपूर्ति के लिए 90 लाख कीमत का विशेष टैंकर मंगाया गया है। तीन से चार दिन में वह गोरखपुर पहुंच जाएगा तो लिक्विड ऑक्सीजन के ट्रांसपोर्टेशन की दिक्कत भी खत्म हो जाएगी।
नहीं बढ़ी ऑक्सीजन सिलेंडर की कीमत
ऑक्सीजन सिलेंडर 2 साइज में आता है। 1.5 क्यूबिक मीटर व 7 क्यूबिक मीटर। छोटे सिलेंडर का दाम 5500 रुपये है, बड़े वाले का 10000 रुपये। छोटा सिलेंडर 130 रुपये में रीफिल होता है, जबकि बड़ा 325 रुपये में। घर ले जाने पर छोटे और बड़े सिलेंडर के लिए क्रमशः 6 हज़ार व 10 हज़ार सिक्योरिटी जमा कराई जा रही है। सामान्यत: बड़ा सिलेंडर एक मरीज दो दिन प्रयोग करता है। कोरोना प्रभावित मरीजों को तेजी से ऑक्सीजन दी जाती है इसलिए रोज एक की खपत होती है। उद्यमी प्रवीण मोदी का दावा है कि ऑक्सीजन सिलेंडर की जितनी कीमत पिछले वर्ष थी, उतनी ही इस वर्ष भी है।