वैष्णव नगरी अयोध्या श्री सीताराम विवाहोत्सव के उल्लास में डूबने लगी है। रामनगरी के मंदिरों में श्री सीताराम विवाहोत्सव का पर्व विधिविधान पूर्वक विभिन्न धार्मिक अनुष्ठानों के मध्यम हर्षोल्लास से मनाया जाता है। अयोध्या के संत राम विवाह की तैयारी में मग्न नजर आ रहे हैं।
मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम व जनकनंदिनी माता सीता के विवाह का मुख्य उत्सव अगहन शुक्ल पंचमी यानी की 1 दिसंबर को धूमधाम से मनाया जाएगा। इस अवसर पर अयोध्या के प्रतिष्ठित कनक भवन, दशरथ महल, जानकी महल आदि से भव्य श्रीराम बरात निकाली जाती है।
वहीं श्रीरामबल्लभाकुंज में श्रीसीताराम विवाहोत्सव की धूम है विभिन्न धार्मिक अनुष्ठानों में भक्त उमड़ रहे हैं। प्रेममूर्ति प्रेमभूषण के मुखारबिंद से हो रही श्रीरामकथा के द्वितीय दिवस भक्तों को कथा रस का पान कराते हुए प्रेमभूषण ने कहा कि जगत की प्रश्नावली नहीं भगवदचर्चा करने की आवश्यकता है।
मति की गति भगवत स्मृति में रहे तो हम भक्त हैं। जगत की गति में भटकने का कोई फायदा नहीं होता। गृहस्थ में जो भजन कर रहा है वह सबसे भाग्यशाली है। श्रीरामबल्लभाकुंज के अधिकारी राजकुमार दास ने बताया कि मंदिर से एक दिसंबर को भव्य श्रीरामबरात निकाली जाएगी।
26 नवंबर से 2 दिसंबर तक श्रीरामकथा की सुधावृष्टि होगी
इसके अलावा रामकलेवा व रामविवाह का आयोजन रस्मोरिवाज पूर्वक धूमधाम से किया जाएगा। दशरथ महल बड़ास्थान में विवाहोत्सव धूमधाम से मनाने की परंपरा है। विवाहोत्सव के क्रम में 26 नवंबर से 2 दिसंबर तक श्रीरामकथा की सुधावृष्टि होगी।
मंदिर के महंत बिंदुगाद्याचार्य स्वामी देवेंद्रप्रसादाचार्य ने बताया कि मंदिर से 1 दिसंबर को भव्य श्रीरामबरात शाम 4 बजे हाथी, घोड़े, गाजे-बाजे के साथ भव्यता पूर्वक निकाली जाएगी। प्रतिदिन रात में 8 से 11 बजे तक रामलीला का मंचन किया जाएगा।
वहीं रसमोदकुंज में भी श्रीरामविवाहोत्सव का उल्लास छलक रहा है। विभिन्न धार्मिक अनुष्ठानों के मध्य कार्यक्रम का शुभारंभ हो चुका है। मंदिर के महंत रामप्रिया शरण ने बताया कि अगहन शुक्ल पंचमी 1 दिसंबर को भगवान श्रीसीताराम का भव्य विवाहोत्सव पूरे रीतिरिवाज से भव्यता पूर्वक आयोजित किया जाएगा।
इसी तरह रंगमहल, सियाराम किला, जानकीघाट बड़ास्थान, अशर्फी भवन, विअहुति भवन सहितअन्य मंदिरों में भी श्रीरामविवाहोत्सव की तैयारी चरम पर पहुंच गई है।
देवी सीता का मायका माना जाता है जानकी महल
पराम्बा जगदंबा भगवती जानकी के मायके के रूप में प्रचलित जानकी महल की स्थापना जानकी वर विहार कुंज के रूप में की गई थी। दूल्हा-दुल्हिन सरकार के रूप में विराजित युगल सरकार की नयनाभिराम जोड़ी की अष्टायाम सेवा उनके परिकर करते हैं। यहां प्रतिवर्ष नयनाभिराम विवाहोत्सव होता है।
जनकपुर की परंपरा में दूल्हा सरकार विवाहोपरांत कोहबर में ही लीला का दर्शन कराते हैं तो भक्तगण भी माधुर्य भाव में आराध्य की प्रसन्नता के लिए उनकी इच्छानुसार सेवा करते हैं। भगवान के उत्थापन से लेकर रात्रि शयन तक आठो पहर की सेवा मधुर उपासना की ही रीति से की जाती है।
जानकी महल ट्रस्ट के आदित्य सुरतानिया बताते हैं कि जानकी महल में पांच मंदिर हैं। प्रधान मंदिर श्री सीताराम जी का है इसके अलावा श्रीगणेश जी, श्रीरामलला जी, श्री हनुमान जी एवं श्री शंकर जी सपरिवार विराजमान हैं। उन्होंने बताया कि इस वर्ष भी 28 नवंबर से सीताराम विवाहोत्सव का श्रीगणेश मंदिर में हो जाएगा।
श्रीरामलीला जन्म से कलेवा तक मोहन सदन में इसके बाद फुलवारी लीला मंदिर के सामने वाटिका में तथा विवाह, कलेवा एवं छप्पन भोग का वृहद आयोजन किया जाएगा। जानकी महल के ही नरेश पोद्दार व रामकुमार शर्मा ने बताया कि मंदिर से 1 दिसंबर को हाथी, घोड़ा, बैंड, बाजा के साथ भव्य रामबरात निकाली जाएगी।