नई दिल्ली: नागरिकता संशोधन विधेयक राज्यसभा से भी पास हो गया है। राज्यसभा में 6 घंटे चली बहस के बाद गृह मंत्री द्वारा विधेयक को पारित करने के प्रस्ताव के पक्ष में 125 और विपक्ष में 105 वोट पड़े। अब इस विधेयक को राष्ट्रपति की मंजूरी के लिए भेजा जाएगा जिसके बाद यह कानून का रूप ले लेगा। इससे पहले नागरिकता संशोधन विधेयक को सेलेक्ट कमिटी को भेजा जाए या नहीं, इस प्रस्ताव पर राज्यसभा में वोटिंग हुई जिसमें इस बिल को सेलेक्ट कमिटी में भेजने का विपक्ष का प्रस्ताव गिर गया। इस दौरान शिवसेना ने सदन से वॉकआउट कर दिया और वोटिंग में हिस्सा नहीं लिया। बता दें कि कल लोकसभा ने भी इस विधेयक पारित कर दिया था।
राज्यसभा में नागरिकता संशोधन विधेयक पास होने के बाद सदन की कार्यवाही को गुरुवार 12 दिसंबर दोपहर 11 बजे तक के लिए स्थगित किया गया। इस बिल में पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से आए गैर-मुस्लिम शरणार्थियों को नागरिकता देने का प्रस्ताव है। इसमें इन तीनों देशों से आने वाले हिंदू, जैन, सिख, बौद्ध, पारसी और ईसाई समुदाय के शरणार्थियों को नागरिकता का प्रस्ताव है।
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राज्यसभा में आज विपक्ष के सवालों का जवाब देते हुए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि नागरिकता बिल कभी न लाना पड़ता, ये कभी संसद में न आता, अगर भारत का बंटवारा न हुआ होता। बंटवारे के बाद जो परिस्थितियां आईं, उनके समाधान के लिए मैं ये बिल आज लाया हूं। पिछली सरकारें समाधान लाईं होती तो भी ये बिल न लाना होता। कांग्रेस की सोच पर मुस्लिम शब्द चिपक गया है।
शाह ने कहा, ”हमारे पास 5 साल के लिए बहुमत है, हम भी चाहते तो बाकी की सरकारों की तरह काम कर लेते, लेकिन मोदी सरकार देश की स्थिति को सुधारने के लिए आई है। हम देश की समस्याओं को सुलझाने के लिए सत्ता में आए हैं। अगर देश का विभाजन न हुआ होता और धर्म के आधार पर न हुआ होता तो हमें आज यह बिल लेकर आने की जरूरत नहीं पड़ती। लाखों लोग आज चीत्कार-चीत्कार कर कहते हैं कि मेरे साथ अन्याय हुआ है।”