बिहार में भाजपा संभवत: राजद को उसी के अखाड़े में मात देने की रणनीति पर काम कर रही है। खरमास बीतने के महज एक पखवाड़े के भीतर के दो सियासी घटनाक्रमों के आईने में इसे देखा जा सकता है। भाजपा ने एमएलसी की खाली हुई अपनी दो सीटों में एक पर पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता और पूर्व मंत्री शाहनवाज हुसैन को विधान परिषद भेजा। बुधवार को पूर्व सांसद सीताराम यादव समेत सात राजद नेताओं को भाजपा में शामिल कराया गया। याद रहे कि भाजपा के बिहार प्रभारी भूपेन्द्र यादव ने पहले ही चेताया था कि तेजस्वी यादव खरमास बाद अपनी पार्टी को बचाने की चिंता करें।
भाजपा ने पहले नित्यानंद राय को राज्य की राजनीति में आगे बढ़ाया। उन्हें प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया। इस बार वह केन्द्र में गृहराज्य मंत्री बने। वह अब बिहार भाजपा के जाने माने चेहरा हैं। इधर शाहनवाज हुसैन को बिहार भेजने का फैसला भी इसी की अगली कड़ी मानी जा रही है।
जानकारों का कहना है कि अभी किसी भी दल में मुस्लिम समुदाय से आने वाला कोई ऐसा नेता नहीं है जिसकी तुलना शाहनवाज के कद से की जा सके। सीमांचल में विधानसभा चुनावों के दौरान असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम ने महागठबंधन से पांच सीटें छीनी और दो दर्जन सीटों पर उसे नुकसान पहुंचाया।
महागठबंधन को लगे इस तगड़े झटके से भाजपा ने सबक लिया। मतलब यह कि अगर कोई मजबूत मुस्लिम नेता सामने हो तो राजद के माई समीकरण में सेंध लगाना संभव है। संभवत: इसी सबक के तहत शाहनवाज को बिहार में सक्रिय करने की रणनीति बनी। शाहनवाज किशनगंज और भागलपुर से सांसद भी रहे हैं।
बुधवार को राजद के पूर्व सांसद सीताराम यादव सहित सात राजद नेताओं को भाजपा ने अपने खेमे में शामिल कर लिया। सीताराम यादव न केवल सीतामढ़ी से सांसद रहे हैं, बल्कि राजद के बड़े नेताओं में उनका नाम शामिल रहा है। उत्तर बिहार में इसे राजद को बड़ा झटका माना जा रहा है।
सूत्रों की मानें तो आने वाले दिनों में राजद के लिए माई को मजबूत आधार देने वाले कई अन्य नेताओं को भाजपा में शामिल कराया जा सकता है। मिलन समारोह में भूपेन्द्र यादव ने कहा भी कि अभी तो यह अंगड़ाई है, बाकी पूरी लड़ाई है। इससे भी भूपेन्द्र यादव के कुछ दिन पहले के उस बयान को बल मिलता है, जिसमें उन्होंने तेजस्वी यादव को खुले तौर पर राजद बचाने की चुनौती दी थी।
बुधवार को कुल 21 नेताओं ने भाजपा की सदस्यता ली। राजद, कांग्रेस, राकंपा, रालोसपा और लोजपा से आने वाले इन नेताओं में यादव जाति के सात शामिल हैं। यानी भूपेन्द्र यादव, नित्यानंद राय और शाहनवाज हुसैन की तिकड़ी राजद को उसी के अखाड़े में मात देने की रणनीति को मुकाम तक पहुंचाएगी?