योगी आदित्यनाथ उत्तर प्रदेश के अगले मुख्यमंत्री होंगे। उनके नाम पर मुहर बीजेपी विधायक दल की बैठक में लगाई गई है। यूपी में दो डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य और दिनेश शर्मा होंगे। मुख्यमंत्री कार्यालय में विधायक दल की बैठक में यह निर्णय लिया है ।
काफी समय से जो रहस्य बरकरार था आखिरकार बीजेपी ने सीएम पद के लिए आदित्यनाथ का नाम फाइनल किया। योगी आदित्यनाथ लगातार पांच बार से सांसद हैं और यूपी में बीजेपी के हिन्दुत्ववादी चेहरे के रूप में जाने जाते हैं।
इससे पहले उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री का नाम तय करने के लिए विधायक दल की बैठक से पहले तक भाजपा नेतृत्व को कड़ी मशक्कत करनी पड़ी। राज्य के प्रभारी ओम माथुर ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की, जबकि केशव प्रसाद मौर्य अमित शाह से मिले। योगी आदित्यनाथ भी दिल्ली पहुंचे, लेकिन उनकी शाह से मुलाकात नहीं हो सकी।
योगी आदित्यनाथ उत्तर प्रदेश के मुख्यमन्त्री हैं। योगी आदित्यनाथ (जन्म 5 जून 1972) गोरखपुर के (uttar pradesh ke 32 ve cheif minister 2017)प्रसिद्ध गोरखनाथ मंदिर के महन्त हैं। वे 2014 लोक सभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी के टिकट पर गोरखपुर से लोक सभा सांसद चुने गए। वे 1998 से लगातार इस क्षेत्र का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं।[1] आदित्यनाथ गोरखनाथ मंदिर के पूर्व महन्त अवैद्यनाथ के उत्तराधिकारी हैं। वह हिन्दू युवा वाहिनी के संस्थापक भी हैं, जो कि हिन्दू युवाओं का सामाजिक, सांस्कृतिक और राष्ट्रवादी समूह है।
राजनैतिक जीवन
योगी आदित्यनाथ का वास्तविक नाम अजय सिंह है। आदित्यनाथ बारहवीं लोक सभा (1998-99) के सबसे युवा सांसद थे। उस समय उनकी उम्र महज 26 वर्ष थी। उन्होंने गढ़वाल विश्विद्यालय से गणित से बी.एस.सी किया है। उन्होंने धर्मांतरण (जैसे निम्न वर्ग हिंदुओं को ईसाई बनाना) गौ वध रोकने की दिशा में सार्थक कार्य किये हैं। वे गोरखपुर से लगातार 5 बार से सांसद हैं।
विवाद से योगी का सम्बन्ध
7 सितम्बर 2008 को सांसद योगी आदित्यनाथ आजमगढ़ में जानलेवा हिंसक हमला हुआ था। इस हमले में वे बाल-बाल बच गये। यह हमला इतना बड़ा था की सौ से अधिक वाहनों को हमलावरों ने घेर लिया और लोगों को लहुलुहान कर दिया।आदित्यनाथ गोरखपुर दंगों के दौरान तब गिरफ्तार किया गया जब मुस्लिम त्यौहार मोहर्रम के दौरान फायरिंग में एक हिन्दू युवा की जान चली गयी। जिलाधिकारी ने बताया की वह बुरी तरह जख्मी है। तब अधिकारियों ने योगी को उस जगह जाने से मना कर दिया परन्तु आदित्यनाथ उस जगह पर जाने को अड़ गए। तब उन्होंने शहर में लगे कर्फ्यू को हटाने की मांग की। अगले दिन उन्होंने शहर के मध्य श्रद्धान्जली सभा का आयोजन करने की घोषणा की लेकिन जिलाधिकारी ने इसकी अनुमति देने से इनकार कर दिया। आदित्यनाथ ने भी इसकी चिंता नहीं की और हजारों समर्थकों के साथ अपनी गिरफ़्तारी दी। आदित्यनाथ को सीआरपीसी की धारा 151A, 146, 147, 279, 506 के तहत जेल भेज दिया गया। उनपर कार्यवाही का असर हुआ कि मुंबई-गोरखपुर गोदान एक्सप्रेस के कुछ डिब्बे फूंक दिए गए, जिसका आरोप उनके संगठन हिन्दू युवा वाहिनी पर लगा।
यह दंगे पूर्वी उत्तर प्रदेश के छह जिलों और तीन मंडलों में भी फ़ैल गए।उनकी गिरफ़्तारी के अगले दिन जिलाधिकारी हरि ओम और पुलिस प्रमुख राजा श्रीवास्तव का तबादला हो गया। कथित रूप से आदित्यनाथ के ही दबाव के कारण मुलायम सिंह यादव की उत्तर प्रदेश सरकार को यह कार्यवाही करनी पड़ी।