मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय ने सोमवार को उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की तस्वीर के साथ छेड़छाड़ करके और धार्मिक भावनाओं को भड़काने के आरोप में 4 दिसंबर को गिरफ्तार एक व्यक्ति की जमानत याचिका को खारिज कर दिया। सरकारी वकील आकाश शर्मा ने फैसले की जानकारी देते हुए कहा कि जज रोहित आर्य ने समीर छेपा की याचिका को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि आदित्यनाथ न केवल मुख्यमंत्री हैं, बल्कि संत भी हैं।
आकाश शर्मा ने कहा, “आरोपी ने संत का अपमान करके धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाई।” छेपा को भारतीय दंड संहिता की धारा 295 (ए) (जानबूझकर और दुर्भावनापूर्ण कृत्यों से धार्मिक भावनाओं को अपमानित करना) और सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम के तहत बुक किया गया है।
मामला धार जिले के राजौद पुलिस स्टेशन का है। आरोपी के खिलाफ धारा 295 ए और आइटी एक्ट की धारा 65 और 67 ए के तहत प्रकरण दर्ज कर उसे गिरफ्तार किया है। आरोप है कि उसने सीएम योगी के ऋषि-मुनियों के साथ स्नान करते समय लिए गए फोटो के साथ छेड़छाड़ कर उसे आपत्तिजनक बनाया। फिर उसे सोशल मीडिया पर अपने स्टेटस के रूप में लगा लिया।
आरोपी दिसंबर 2020 के पहले सप्ताह से जेल में है। उसने जमानत के लिए हाई कोर्ट में जमानत याचिका दी थी। सोमवार को जस्टिस रोहित आर्य के समक्ष इस पर सुनवाई हुई। एडवोकेट आकाश शर्मा ने जमानत याचिका का विरोध करते हुए कहा कि योगी आदित्यनाथ के फोटो के साथ छेड़छाड़ कर धार्मिक भावनाएं आहत की गई हैं। जमानत का लाभ दिया गया तो समाज में अच्छा संदेश नहीं जाएगा।