ब्लैक फंगस का संक्रमण अस्पतालों में भर्ती होने वाले कोरोना मरीजों में ही नहीं, बल्कि नॉन कोविड और होम आइसोलेशन वाले मरीजों में भी मिल रहा है। ऐसे मरीज प्रदेश के कई अस्पतालों में भर्ती हो रहे हैं। इस बीमारी में इस्तेमाल होने वाली दवाओं और इंजेक्शन की कमी इन मरीजों का दर्द बढ़ा रही है।
प्रदेश में अब तक 550 से अधिक मरीज इसकी चपेट में आ चुके हैं। 22 मरीजों की मौत हो चुकी है। रविवार को 44 नए मरीज मिले। इसमें 13 लखनऊ में भर्ती हुए हैं। इनमें दो मरीज कोरोना की चपेट में नहीं आए थे, लेकिन शुगर लेवल अधिक रहता था। निदेशक प्रोफेसर आरके धीमान ने बताया कि हाई शुगर लेवल वाले मरीजों, अंग प्रत्यारोपण कराने वाले और कैंसर वाले मरीजों को ज्यादा सतर्कता बरतनी होगी।
प्रदेश के 60 प्रतिशत से ज्यादा मरीज पोस्ट कोविड वाले हैं। ये मरीज ठीक होने के बाद घर या गांव जाने के बाद लापरवाही के चलते इसकी चपेट में आ गए।
होम आइसोलेशन में बरतें सतर्कता, भाप लेने वाला पानी हर बार बदलें
केजीएमयू के चिकित्सा अधीक्षक और संक्रामक रोग विशेषज्ञ डॉ. डी हिमांशु ने कहा कि होम आइसोलेशन वालों को साफ सफाई का विशेष ध्यान देना होगा। भाप लेने वाला पानी हर बार बदलना चाहिए। जिन लोगों का शुगर लेवल अधिक था, होम आइसोलेशन में रहते हुए स्टेराइड का प्रयोग किया, उनकी इम्युनिटी कमजोर हुई। फिर ब्लैक फंगस की चपेट में आ गए।