कोरोना के चलते यूपी के महाविद्यालयों और विश्वविद्यालयों में स्नातक प्रथम, द्वितीय वर्ष और स्नातकोत्तर प्रथम वर्ष के विद्यार्थियों को प्रमोट करने की सिफारिश की गई है। वहीं, स्नातक और स्नातकोत्तर अंतिम वर्ष के विद्यार्थियों की परीक्षा कराई जाएगी।
यह सिफारिश तीन कुलपतियों की कमेटी ने प्रदेश सरकार को सौंपी अपनी रिपोर्ट में की है। कमेटी में छत्रपति शाहूजी महाराज विश्वविद्यालय कानपुर के कुलपति प्रो. विनय पाठक, लखनऊ विश्वविद्यलाय के कुलपति प्रो. आलोक राय और महात्मा ज्योतिबा फुले रुहेलखंड विश्वविद्यालय बरेली के कुलपति प्रो. कृष्णपाल सिंह थे।
परीक्षा का प्रारूप विश्वविद्यालयों को अपने स्तर पर तय करने की छूट देने की सिफारिश की गई है। कमेटी ने प्रदेश के अन्य विश्वविद्यालयों के कुलपतियों और शिक्षा जगत से जुड़े प्रमुख लोगों से रायशुमारी करने के बाद रिपोर्ट तैयार की है।
रिपोर्ट में स्नातक प्रथम और द्वितीय वर्ष के विद्यार्थियों को प्रमोट करने की संस्तुति की है। समिति का मानना है कि चूंकि जो विद्यार्थी अभी द्वितीय वर्ष में है उन्हें सत्र 2020-21 में भी बिना परीक्षा के प्रमोट किया गया था।
लिहाजा अगले वर्ष स्नातक अंतिम वर्ष की परीक्षा के साथ उनकी द्वितीय वर्ष की परीक्षा भी ली जाए। द्वितीय वर्ष की परीक्षा के अंकों के आधार पर प्रथम वर्ष के अंक निर्धारित किए जाएं। ताकि विद्यार्थी केवल एक वर्ष की परीक्षा देकर ही स्नातक उतीर्ण न हो।
प्रथम वर्ष के जिन विद्यार्थियों को प्रमोट किया जाएगा उनकी द्वितीय वर्ष की परीक्षा के प्राप्तांक के आधार पर प्रथम वर्ष के अंक निर्धारित किए जाएं। इसी प्रकार स्नातकोत्तर प्रथम वर्ष के विद्यार्थियों को प्रमोट कर दिया जाए। लेकिन अंतिम वर्ष के विद्यार्थियों की परीक्षा आयोजित कराई जाए।
ये सिफारिशें
जो विद्यार्थी अभी द्वितीय वर्ष में है, उन्हें सत्र 2020-21 में भी बिना परीक्षा के प्रमोट किया गया था। अगले वर्ष स्नातक अंतिम वर्ष की परीक्षा के साथ उनकी द्वितीय वर्ष की परीक्षा भी ली जाए। द्वितीय वर्ष की परीक्षा के अंकों के आधार पर प्रथम वर्ष के अंक निर्धारित किए जाएं, ताकि विद्यार्थी केवल एक वर्ष की परीक्षा देकर ही स्नातक उतीर्ण न हो।
प्रथम वर्ष के जिन विद्यार्थियों को प्रमोट किया जाएगा, उनकी द्वितीय वर्ष की परीक्षा के प्राप्तांक के आधार पर प्रथम वर्ष के अंक निर्धारित किए जाए।