एतिहासिक, धार्मिक, सांस्कृतिक और स्वतंत्रता संग्राम आंदोलन की विरासत संजोए बाबा गोरखनाथ की धरती गोरखपुर को उत्तर प्रदेश के पर्यटन मानचित्र में जगह नहीं मिली है। पर्यटन विभाग की वेबसाइट में उत्तर प्रदेश के दर्शनीय स्थलों में गोरखपुर के एक भी स्थल का जिक्र नहीं है। वेबसाइट के स्क्रॉल में गोरखनाथ मंदिर का एक चित्र जरूर है, लेकिन इसकी भी कोई जानकारी नहीं दी गई है।
पर्यटन विभाग के अधिकारियों के अनुसार यदि किसी जिले में प्रति वर्ष 50 हजार से अधिक पर्यटक (देशी-विदेशी) आते-जाते हैं तो विभाग उस जिले को पर्यटन की दृष्टि से विकसित करने के योग्य मानता है। धार्मिक और एतिहासिक स्थलों का दर्शन व अध्ययन, चिकित्सा, पर्यावरण, मनोरंजन, कला, शिल्प और संस्कृति के अध्ययन के लिए देश-विदेश से आने वालों को पर्यटक माना जाता है। ऐसे जिलों में पर्यटन विभाग पर्यटकों के लिए सुविधाएं विकसित करता है।
गोरखपुर जिला एतिहासिक, धार्मिक, दर्शनीय और मनोरंजन के स्थलों से समृद्ध है। जिले में नाथ संप्रदाय के संस्थापक गुरु गोरक्षनाथ का भव्य मंदिर है। सूफी संत हजरत रौशन अली शाह की दरगाह है। विश्व प्रसिद्ध सोने-चांदी का ताजिया मियां साहब के इमाम बाड़े में है। सिर्फ गुरु गोरक्षनाथ मंदिर में लगने वाले मेले में प्रतिवर्ष एक लाख से अधिक देशी-विदेशी आस्थावान पहुंचते हैं।
गीता प्रेस, गीता वाटिका, चिलुआताल, रामगढ़ताल, बौद्ध संग्रहालय, रेलवे संग्रहालय, चिड़ियाघर (जू) आदि दर्शनीय स्थल हैं, जो जिले को पर्यटन के मानचित्र पर स्थापित कराने के लिए पर्याप्त हैं।
फिराक गोरखपुरी और कथा सम्राट मुंशी प्रेमचंद की कर्मस्थली होने की वजह से उनसे जुड़ी तमाम यादें हैं। क्रांतिकारी रामप्रसाद बिस्मिल से जुड़ी यादें और स्मारक है। इसके बावजूद पर्यटन विभाग की वेबसाइट में इन सबका जिक्र न होना आश्चर्य में डालता है।
जिला पर्यटन अधिकारी रवींद्र कुमार मिश्रा ने बताया कि पर्यटन विभाग की वेबसाइट पर गोरखपुर जिले की जानकारी है। आप http://www.uptourism.gov.in वेबसाइट पर जाकर जिलों में खोज सकते हैं। मुख्यमंत्री ने पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए कई योजनाओं की घोषणा की है, इनमें से कई पूर्ण हो चुकी हैं जबकि कुछ पर काम चल रहा है।