कृषि कानूनों के विरोध में भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने बुधवार सुबह यानि आज काली पगड़ी बंधवाई। वहीं भाकियू के प्रदेश अध्यक्ष राजवीर सिंह जादोन ने बताया कि कृषि कानूनों के विरोध में चल रहे आंदोलन के छह माह पूरे होने पर किसान आज काला दिवस मनाएंगे। इस दौरान किसान अपने गांवों के चौराहों पर केंद्र सरकार का पुतला दहन करेंगे, बल्कि घरों व ट्रैक्टरों पर काले झंडे लगाकर वीडियो और फोटो सोशल मीडिया पर वायरल करेंगे।
भाकियू के प्रदेश अध्यक्ष ने बताया कि कृषि कानूनों के विरोध में देश के किसान दिल्ली के चारों तरफ बॉर्डर पर बैठे हैं। केंद्र सरकार की हठधर्मिता खत्म नहीं हुई है। किसानों ने बंगाल चुनाव में सरकार का अहंकार चूर-चूर कर दिया है। पिछले छह महीने से किसान अपने हक के लिए लड़ रहे हैं।
संयुक्त किसान मोर्चा ने बुधवार को काला दिवस मनाने का निर्णय लिया है। किसान गांवों में केंद्र सरकार का पुतला दहन करेंगे। जब तक कृषि कानून वापस नहीं होंगे और एमएसपी पर गारंटी कानून नहीं बनेगा, तब तक किसान आंदोलन खत्म नहीं करेंगे। भाकियू जिलाध्यक्ष मनोज त्यागी ने बताया कि काला दिवस को लेकर किसानों ने पूरी तैयारी कर रखी है।
बताया कि चीनी मिले किसान का गन्ने का भुगतान नहीं दे रही है। किसान पैसे के बिना परेशान हैं। गेहूं की खरीद की सही व्यवस्था नहीं है। किसानों को दिक्कत हो रही है। इस मौके पर रामकुमार, सुधीर, सत्यवीर सिंह, कविंद्र, उपेश, सुधीर, हरेंद्र सिंह, जुल्ला, अरविंद राठी, रामनाथ प्रधान, धर्मेंद्र प्रधान, मनोज कुमार, अब्बास अली, हरपाल सिह, गौरव राठी, आजाद सिंह, मोनू, जयदेव, विनित, जयवीर सिंह आदि मौजूद रहे।
भगवंत मान-राघव चड्ढा ने प्रधानमंत्री को लिखा पत्र
इधर, दूसरी ओर आम आदमी पार्टी के सांसद भगवंत सिंह मान और पंजाब प्रभारी राघव चड्ढा ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक पत्र लिखकर किसानों से बातचीत करने का आग्रह किया है। दोनों नेताओं ने पत्र में पीएम मोदी से कहा है कि देश के अन्नदाता पिछले छह महीने से सड़कों पर हैं और अब तक उनके मुद्दे का समाधान नहीं हो पाया है। देश की नाजुक स्थिति को देखते हुए अब इस मुद्दे का शीघ्र हल निकाल लेना चाहिए।
आप नेताओं ने कहा कि किसानों ने इस दौरान 470 से अधिक साथियों को खोया है। इसी बीच देश में कोरोना की स्थिति संकट पूर्ण बनी हुई है। किसान देश की अर्थव्यवस्था की रीढ़ हैं और उन्हें इस तरह परेशान नहीं किया जाना चाहिए। बता दें कि खुद किसानों ने भी एक पत्र लिखकर बातचीत शुरू करने की अपील की है।