असल में यह घटना 26 जनवरी 2007 की है। जब गोरखपुर में सांप्रदायिक तनाव फैला हुआ था और तत्कालीन सांसद योगी आदित्यनाथ गोरखपुर में धरने करने का ऐलान कर दिया था।
तमाम शहर का किस्सा बना दिया मुझको, मैं क्या था और ये कैसा बना दिया मुझको। कहां ये उम्र शराफत से कटा करती है, तुने बेकार में अच्छा बना दिया मुझको।” ये गजल किसी बड़े शायर या कवि ने नहीं बल्कि उत्तर प्रदेश के एक आला आईएएस अधिकारी ने लिखी है। जो फिलहाल उनपर ही सबसे मुफीद बैठती हैं।यूपी में योगी सरकार बनते ही प्रशासनिक अधिकारियों के तबादले शुरु हो गए। प्रदेश में कुल 20 बड़े अधिकारियों के तबादले किए गए हैं जिनमें से 9 को वेटिंग लिस्ट में रखा गया है। इसका मतलब ये है कि इन अधिकारियों को अब तक कोई विभाग नहीं दिया गया है।
इन्हीं में से एक अधिकारी हैं डॉ. हरिओम जिन्होंने 10 साल पहले वर्तमान सीएम योगी आदित्यनाथ को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था।
असल में यह घटना 26 जनवरी 2007 की है। जब गोरखपुर में सांप्रदायिक तनाव फैला हुआ था और तत्कालीन सांसद योगी आदित्यनाथ गोरखपुर में धरने करने का ऐलान कर दिया पूरे शहर में कर्फ्यू लगे होने की वजह से डीएम डॉ. हरिओम ने उन्हें गोरखपुर में घुसने से पहले ही रोक दिया था।
लेकिन आदित्यनाथ अपनी जिद पर अड़े गए। जिसके बाद प्रशासन ने आखिरकार उन्हें गिरफ्तार करने का फैसला किया।इस बारे में खुद तत्कालीन डीएम डॉ. हरिओम ने प्रेस को बताया था कि वो सांसद योगी को गिरफ्तार नहीं करना चाहते थे लेकिन योगी के दबाव के कारण ही उन्हें गिरफ्तार करना पड़ा।
हरिओम ने तो ये भी जानकारी दी कि वो गिरफ्तारी के बाद योगी को सर्किट हाउस में ही रखना चाहते थे जहां आमतौर पर सांसदों या विधायकों को गिरफ्तारी के बाद रखा जाता है।
लेकिन हरिओम का कहना है कि योगी ने ही उनसे जिद की कि उन्हें जेल में ही रखा जाए।
इसके बाद गोरखपुर की जिला जेल में तत्कालीन सांसद योगी आदित्यनाथ 11 दिन तक बंद रहे।
जेल से रिहा होने के बाद जब योगी आदित्यनाथ पहली बार संसद पहुंचे तो वो अपनी गिरफ्तारी की बात बताते-बताते फफक कर रो पड़े।
योगी का संसद में दिया गया ये भाषण काफी चर्चा में रहा। इसी भाषण में योगती ने सवाल उठाया था कि कैसे किसी सांसद को 11 दिन तक जेल में रखा जा सकता है जबकि कानूनन किसी सांसद को 24 घंटे से ज्यादा नॉन क्रिमिनल ऑफेंस में जेल में नहीं रखा जा सकता।
योगी ने इसी बहाने तत्कालीन यूपी सरकार पर भी निशाना साधा और कहा कि उन्हें अनावश्यक रूप से राजनीतिक निशाना बनाया जा रहा है।
हालांकि गिरफ्तारी के 24 घंटे के बाद ही डॉ. हरिओम को सरकार ने सस्पेंड कर दिया और उनकी जगह चार्ज संभालने के लिए उस समय सीतापुर के डीएम राकेश गोयल को रातों-रात हेलिकॉप्टर से गोरखपुर भेजा गया।
इससे भी दिलचस्प ये है कि डॉ. हरिओम को सस्पेंशन के एक हफ्ते के भीतर ही वापस बहाल कर दिया गया। कहा जाता है कि इसके बाद हरिओम की नजदीकी अखिलेश और मुलायम यादव के नजदीकी बन गए।हरिओम सिर्फ इस वजह से ही चर्चा में नहीं हैं कि योगी सरकार ने उन्हें वेटिंग लिस्ट में रख दिया है। बल्कि प्रतिभा अफसरशाही तक ही सीमित न होकर लेखन और गायन तक भी फैली है।
हरिओम के प्रशासनिक अनुभव का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि वो यूपी के 11 जिलों (जैसे- कानपुर, गोरखपुर, मुरादाबाद, इलाहाबाद, सहारनपुर आदि) के डीएम रह चुके हैं।इसके अलावा हरिओम अखिलेश सरकार में चकबंदी आयोग के सचिव, पिछड़ा वर्ग सचिव, संस्कृति विभाग के सचिव और निदेशक भी रह चुके हैं।वेटिंग लिस्ट में डाले जाने से पहले तक वो संस्कृति विभाग के सचिव के तौर पर कार्यरत थे।
क्या है योगी आदित्यनाथ और डॉ. हरिओम प्रकरण
असल में, यह घटना 26 जनवरी 2007 की है, जब गोरखपुर में सांप्रदायिक तनाव जोरों पर था और तत्कालीन सांसद योगी जी ने गोरखपुर में धरने का ऐलान कर दिया था. पूरे शहर में कर्फ्यू लगे होने की वजह से डीएम डॉ. हरिओम ने उन्हें गोरखपुर में घुसने से पहले ही रोक दिया था. लेकिन सांसद योगी आदित्यनाथ अपनी जिद पर अड़ गए. जिसके बाद प्रशासन ने अंततः उन्हें गिरफ्तार करने का निर्णय किया. इस बारे में खुद तत्कालीन डीएम डॉ. हरिओम ने बताया था कि वह सांसद योगी को गिरफ्तार नहीं करना चाहते थे. लेकिन सांसद आदित्यनाथ ने ही उन पर दवाब बनाया था कि उन्हें जेल में ही रखा जाए. हालांकि हरिओम सांसद योगी को सर्किट हाउस में ही रखना चाहते थे जहां आमतौर पर सांसदों या विधायकों को गिरफ्तारी के बाद रखा जाता है. लेकिन सांसद योगी आदित्यनाथ की ज़िद्द के आगे वह झुक गये. इसके बाद गोरखपुर की जिला जेल में सांसद आदित्यनाथ 11 दिन तक बंद रहे. जेल से रिहा होने के बाद जब सांसद आदित्यनाथ पहली बार संसद पहुंचे तो वह अपनी गिरफ्तारी की बात बताते-बताते रोने लगे. योगी जी का संसद में दिया गया ये भाषण काफी सुर्ख़ियों में रहा. इसी भाषण में योगी ने सवाल उठाया था कि कैसे किसी सांसद को 11 दिन तक जेल में रखा जा सकता है जबकि कानूनन किसी सांसद को चौबीस घंटे से ज्यादा गैर-अपराधिक जुर्म में जेल में नहीं रखा जा सकता. गिरफ्तारी के चौबीस घंटे के बाद ही डॉ. हरिओम को सरकार ने सस्पेंड कर दिया और उनकी जगह ड्यूटी संभालने के लिए उस समय सीतापुर के डीएम राकेश गोयल को रातों-रात हेलिकॉप्टर से गोरखपुर भेजा गया. इससे भी दिलचस्प यह है कि डॉ. हरिओम को सस्पेंशन के एक हफ्ते के भीतर ही वापस बहाल कर दिया गया.
उत्तर प्रदेश के दबंग आईएएस हैं डॉ. हरिओम
वेटिंग लिस्ट में रखे जाने से पहले तक वो संस्कृति विभाग के सचिव के तौर पर कार्यरत थे. डॉ. हरिओम के प्रशासनिक अनुभव का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि वो यूपी के 11 जिलों (जैसे कानपुर, गोरखपुर, मुरादाबाद, इलाहाबाद, सहारनपुर आदि) के डीएम रह चुके हैं. वजह चाहे जो भी रही हो लेकिन तब का सांसद आज का मुख्यमंत्री है. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के अगले आर्डर के आने तक आला अधिकारियों को इंतज़ार ही करना पड़ेगा.
डा हरिओम प्रशासनिक अधिकारी ही नही गायक भी है
राज महाजन भारतीय शैली के प्रसिद्ध संगीतकार, गायक, अभिनेता और प्रसिद्ध कंपनी मोक्ष म्युज़िक के सर्वे-सर्वा हैं और हाल ही में बिग-बॉस 10 के संभावित प्रतियोगी के तौर पर अच्छी खासी शोहरत कमा चुके हैं. सब जानते हैं कि हरी ओम और संगीतकार राज महाजन काफी करीबी हैं. जब भी यह दोनों साथ होते हैं तो बेहतरीन धुनों से समां बंध जाता है. दोनों ही संगीत से प्यार करते हैं. यूट्यूब पर उनके गाये गानों की एक लंबी फेहरिस्त है, जिन्हें मोक्ष म्युज़िक ने विश्वस्तर पर रिलीज़ किया है. ‘सोचा न था ज़िन्दगी, कैसी हैं ये मजबूरियाँ, यारा वे, मुस्कुराती हुई सुबह उनके कुछ बेहतरीन गानों में से एक हैं.
दोनों में एक ख़ास बात और है जहाँ राज महाजन का विवादों से नाता है, वहीँ IAS हरिओम भी योगी काण्ड में फंस गए हैं. दोनों ही जमकर सुर्खियाँ बटोरते हैं. अब देखने वाली बात रहेगी कि सुर्ख़ियों से सम्बन्ध रखने वाले इन दोनों मित्रों की जोड़ी राज महाजन-हरिओम का आने वाला नया गाना ‘मोरा पिया’ क्या कमाल करता है.
यूट्यूब पर उनके लिखे और गाए गानों की एक लंबी लिस्ट है। वह कई किताबें जैसे धूप का परचम, अमरीका मेरी जान और कपास के अगले मौसम भी लिख चुके हैं।
इसके अलावा हरिओम शेरो शायरी के भी शौकीन हैं। वो अपनी गजलों और कविताओं को मुशायरों में पेश भी कर चुके हैं।