प्रदेश में ब्लैक फंगस के मरीजों की बढ़ती संख्या को देखते हुए निगरानी बढ़ा दी गई है। संक्रमित मरीजों को डिस्चार्ज करने से पहले उनकी ब्लैक फंगस की विस्तृत स्क्रीनिंग की जाएगी। जिन मरीजों में ब्लैक फंगस के लक्षण होंगे उनको पोस्ट कोविड वार्ड में भर्ती कर उपचार किया जाएगा। डिस्चार्ज होते वक्त मरीजों को ब्लैक फंगस से बचाव की भी जानकारी दी जाएगी।
प्रदेश में अब तक करीब 800 से अधिक ब्लैक फंगस के मरीज मिल चुके हैं इसमें 45 की मौत हो चुकी है। तमाम प्रयास के बाद भी अभी तक ब्लैक फंगस में प्रयोग होने वाली इंफोटेरिसिन बी इंजेक्शन का पर्याप्त इंतजाम नहीं हो पा रहा है। ऐसी स्थिति में बचाव पर जोर दिया जा रहा है। सभी अस्पतालों को निर्देश दिया गया है कि लक्षण दिखते ही पहले स्टेज में उपचार शुरू कर दिया जाए तो मरीजों को हाई एंटी फंगल दवाई की कम जरूरत पड़ेगी। साथ ही सर्जरी जैसी जटिल प्रक्रिया से बचा जा सकेगा।
क्या कहते हैं जिम्मेदार
सभी अस्पतालों में भर्ती मरीजों की निगरानी बढ़ा दी गई है। मरीजों और उनके तीमारदारों को भी लक्षण के बारे में जानकारी दी जा रही है। वार्ड में रहते वक्त जिन मरीज में लक्षण है उनका तत्काल उपचार शुरू करा दिया गया है। इससे गंभीर मरीजों की संख्या कम होगी।