आप संयुक्त अरब अमीरात में कहीं भी हों -अबू धाबी, दुबई, शारजाह या कोई और हिस्सा, अलसुबह की अजान आप तक एक जैसी पहुंचेगी। किसी भी मस्जिद के Loud Speaker पर कोई दूसरा शब्द नहीं होगा।
जानकारी के अनुसार हिदाया के गठन से लेकर मिनिस्टर फॉर टॉलरेंस तक की नियुक्ति कर UAE ने यह सुनिश्चित करने का प्रयास किया है कि किसी भी स्तर पर कट्टरता का जन्म न होने पाए। शायद यही कारण है कि आसपास आतंक और उग्रवाद की चपेट से गुजर रहे देशों के बीच भी अमीरात ने शांति से जीने की कला सीखी है।
अबू धाबी के क्राउन प्रिंस शेख मुहम्मद बिन जायद अल नाहयान के साथ आने वाले प्रतिनिधिमंडल में कुछ ऐसे भी लोग होंगे, जो उग्रवाद जैसे मुद्दों पर चर्चा कर सकते हैं।
अबू धाबी में आप किसी भी मंत्री से उग्रवाद पर चर्चा करें तो उनकी सोच स्पष्ट दिख जाएगी। विदेश मंत्री डॉक्टर अनवर गरगश कहते हैं, “उग्रवाद को हम किसी भी हाल में बर्दाश्त नहीं कर सकते। परिस्थिति की आड़ में उसका बचाव नहीं किया जा सकता है।”
जाहिर है कि वह उग्रवाद और उग्रवादी सोच को किसी भी चश्मे से देखने के पक्ष में नहीं हैं। जाति, धर्म, संप्रदाय और मूल के नाम पर इसे किसी भी तरह का परोक्ष या प्रत्यक्ष समर्थन नहीं मिलता। और संयुक्त अरब अमीरात शायद इसी कारण से अब तक इससे बचा हुआ है। कोई भी नागरिक खुलकर शायद कुछ ना कहे, लेकिन पूरे देश में जुम्मे की एक तकरीर का कारण यह भी हो सकता है।
तकरीर किस मुद्दे पर होगी और जनता से क्या अपील की जाएगी, यह अलग-अलग मस्जिद के मौलवी तय नहीं करते। इसे मंत्री सरकार की नीतियों के हिसाब से तय करते हैं। जायद मस्जिद सेटेलाइट के जरिये हर मस्जिद से एक ही संदेश जनता तक पहुंचता है।
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