अपनों की कैद से एक मासूम बच्ची को डायल 100 पुलिस की मदद से मुक्त करा लिया गया। रुपयों की खातिर उसके ननिहाल पक्ष के लोगों ने बच्ची को तहखाने में छिपाकर रखा था। कई दिनों से तलाश में जुटे पिता को जैसे ही इसकी जानकारी हुई, उन्होंने पुलिस को सूचना दी। पीआरवी तुरंत पहुंची और बताए गए घर में जाकर तलाश शुरू कर दी। पहले तो घरवाले बच्ची के न होने की बात कहकर उलटे पुलिस पर ही दबाव बनाने लगे। पूरे घर की तलाश में बच्ची नहीं मिली तो पुलिस ने सख्ती की, जिसके बाद घरवाले उसे तहखाने से निकालकर बाहर लाए। पुलिस ने बच्ची के मौसी समेत चार लोगों को हिरासत में ले लिया है और पूछताछ कर रही है।
पीपीगंज के जरहद निवासी विनोद कुमार चेन्नई में इंजीनियर हैं। विनोद की शादी 23 नवंबर 2007 को नौसढ़ की रहने वाली सरोज से हुई थी। चार साल बाद दोनों से एक बेटी अनिका उर्फ बुलबुल हुई। सरोज के मां बनने के बाद उन्हें हाई लेवल डायबिटिज होने की जानकारी हुई। डॉक्टर ने हार्ट ट्रांसप्लांट करने की सलाह दे दी। देखभाल के लिए विनोद ने सरोज को ससुराल में छोड़ दिया, जहां सरोज की मौत हो गई। विनोद के मुताबिक मौत के बाद बच्ची देने के लिए बड़ी मौसी ब्लैकमेल करने लगी।
बच्ची को पाने के लिए विनोद ने पुलिस के सभी आला अफसरों के दरवाजे भी खटखटाए, मगर कहीं से न्याय नहीं मिला तो वह खुद ही तलाश में जुट गए। उन्हें हमेशा बताया जाता था कि बच्ची अपने ननिहाल में नहीं है। रविववार को उन्हें जानकारी मिली कि बसंतपुर के एक किराए के मकान में उसे छिपाया गया है। जिसके बाद पुलिस को सूचना दी और बच्ची बरामद कर ली गई। सीओ कोतवाली अशोक पांडेय ने बताया कि एक मकान में बच्ची को बंधक बनाकर रखे जाने की सूचना पर पीआरवी ने उसे मुक्त कराया है। बच्ची को पिता के हवाले कर दिया गया है। मामले की जांच की जा रही है। फफक पड़ी बच्ची, बयां की यातना की कहानी
च्ची को बाहर लेकर पुलिस निकली तो पिता विनोद को देखकर वह फफक पड़ी। पिता से लिपटी बेटी को देखकर आसपास के लोग भी एकत्र हो गए और फिर बेटी ने यातना की कहानी बताई तो पिता भी रोने लगे। बेटी बुलबुल का नाम बदलकर उसे किराए के मकान में रखा गया था। पुलिस ने उसकी मौसी, मकान मालिक संजय, रिश्तेदार शिव सहित चार लोगों को हिरासत में लिया है।