कोरोना महामारी के बीच मेरठ में निजी अस्पतालों की मनमानी नहीं रुक रही है। सीएम योगी आदित्यनाथ के दौरे के बाद भी अस्पताल मरीजों से मनमाने रेट वसूल रहे हैं। एक दिन में मरीज से 20 हजार तक की दवाइयां मंगवाई जा रही हैं। दो दिन में चार ऑक्सीजन सिलिंडर लगाने के दावे किए जा रहे हैं। सिलिंडर के नाम पर 3500 रुपये तक वसूले जा रहे हैं। आलम यह है कि अपनों के इलाज के लिए कोई घर गिरवी रखकर पैसे जुटा रहा है तो बिल न चुकाने पर तीमारदार को गैलरी में बैठाया जा रहा है।
केस एक : घर गिरवी रखकर जुटाए 74 हजार रुपये
गढ़ रोड कमालपुर निवासी वर्षा के परिजनों ने घर गिरवी रखकर इलाज के लिए पैसे जुटाए। सोनू और पवन गुर्जर ने बताया कि अस्पताल पक्का बिल नहीं दे रहे हैं। कच्चे बिल में भी अलग-अलग चार्ज जोड़कर दिखाया जा रहा है। बागपत रोड स्थित एक प्राइवेट अस्पताल में नर्सिंग चार्ज 2500, एनआईबीपी चार्ज 2500, ड्रिप चार्ज 200, डाक्टर विजिट 2000 जोड़े कर दिखाए जा रहे हैं।
ऐसे कुल वसूली प्रतिदिन के 7200 रुपये बिना आक्सीजन के वसूले जा रहे हैं। दवाओं का बिल 30 हजार रुपये का बनाया है। छह दिन का बिल 1.08 लाख रुपये दिया गया है। पीड़ित अब बीमार हालत में ही मरीज को अस्पताल से छुट्टी कराकर घर ले गए।
केस दो : बिल नहीं दिया तो गैलरी में बिठाया
सैनिक विहार निवासी गुंजन प्राकृतिक चिकित्सा से जुड़ी हैं। वह छह दिन पूर्व रोहटा रोड स्थित कोविड अस्पताल में भर्ती हुई थीं। गुंजन ने बताया कि छह दिन का अस्पताल ने 1.03 लाख रुपये का बिल बनाया है। एक रेमडेसिविर इंजेक्शन के 3500 रुपये कैश लिए हैं। बिल का पूरा भुगतान न होने पर इलाज रोक दिया गया है और गैलरी में बैठा दिया। पीड़िता ने जिलाधिकारी से फोन पर शिकायत की है।
केस तीन: ऑक्सीजन सिलिंडर के वसूले 3500 रुपये
मलियाना निवासी गंगाशरण को बागपत रोड स्थित निजी अस्पताल में भर्ती किया गया। अस्पताल ने दो दिन तक 42 हजार का कच्चा बिल बनाया। तीमारदार आकाश ने बताया कि दो दिन में मरीज को चार ऑक्सीजन सिलिंडर लगाने की बात कही गई।
एक सिलिंडर के 3500 रुपये बिल में जोड़ दिए। इसके साथ आईसीयू सहित अन्य सेवाओं के नाम भी अवैध वसूली की जा रही है। सेक्टर मजिस्ट्रेट संदीप श्रीवास्तव से शिकायत की गई, लेकिन कोई मदद नहीं मिली है।
केस चार : पैसों के अभाव में मरीज की मौत
गढ़ रोड स्थित अस्पताल में मुरादनगर निवासी जावेद को भर्ती किया गया था। एक दिन को मरीज को अस्पताल में रखने के लिए अस्पताल प्रबंधन ने 20 हजार रुपये वसूले और 14 हजार रुपये की दवा आई। खर्च बहुत महंगा होने के कारण तीमारदार उसे दूसरे अस्पताल में लेकर पहुंचे, लेकिन वहां उसकी मौत हो गई। शादाब ने बताया कि सात हजार रुपये की दवाएं बच गई हैं, लेकिन मेडिकल स्टोर संचालक दवा वापस लेने से इनकार कर रहा है।
सीएम के दौरे के बाद नहीं उठ रहे फोन
शहर में जिलाधिकारी के द्वारा प्राइवेट अस्पतालों की समस्या के समाधान के लिए सेक्टर मजिस्ट्रेट नियुक्त किए गए हैं। सीएम के दौरे की सूचना पर सभी सेक्टर मजिस्ट्रेट लोगों के फोन भी उठा रहे थे। समस्याओं का समाधान भी कराया जा रहा था, लेकिन अब सेक्टर मजिस्ट्रेट के पीआरओ फोन उठा रहे हैं।
डीएम से की शिकायत तो 2.18 लाख की जगह 1.44 बिल लिया
ब्रह्मपुरी के इंद्रानगर निवासी विनोद की गढ़ रोड स्थित एक अस्पताल में मौत हो गई। अस्पताल की ओर से 2.18 लाख का बिल बना दिया गया। व्यापारी के रिश्तेदार दीपक ने इसका विरोध किया। हंगामा होने पर परिजनों ने शव मुख्य मार्ग पर रखकर धरने की चेतावनी दी।
मामले की शिकायत संयुक्त व्यापार संघ अध्यक्ष अजय गुप्ता और मंत्री सुधांशु महाराज से की गई। अजय ने इस संबंध में जिलाधिकारी को अवगत कराया। डीएम के निर्देश पर अस्पताल ने 1.44 लाख का संशोधित बिल परिजनों को दे दिया। बिल चुकाने पर अस्पताल प्रबंधन ने शव परिजनों को सौंप दिया।
मनमानी बर्दाश्त नहीं होगी
अधिक बिल वसूलने पर लगातार कार्रवाई की जा रही है। अगर कोई मजिस्ट्रेट फोन नहीं उठा रहा है तो इस पर जांच कराई जाएगी। निजी अस्पतालों की मनमानी बर्दाश्त नहीं की जाएगी।