मुसीबत: कोरोना के बाद पोस्ट कोविड सिंड्रोम के जाल में रोगी, नई तरह की बीमारियों ने बढ़ाई टेंशन

कोरोना से ठीक होने के बाद रोगी पोस्ट कोविड सिंड्रोम में फंस रहे हैं। रोगियों को इन बीमारियों के साथ जिंदगी भर जीना पड़ सकता है। कानपुर में इस वक्त करीब चार हजार रोगी पोस्ट कोविड सिंड्रोम की गिरफ्त में आ गए हैं। फिलहाल इलाज रोगियों में लक्षणों के आधार पर चल रहा है।

जो रोगी कोरोना संक्रमण लेवल-एक और लेवल-दो तक रहकर ठीक हो गए, वे तो सामान्य जिंदगी की तरफ लौट रहे हैं लेकिन जिनका संक्रमण लेवल अधिक हो गया था। वे ठीक तो हो गए हैं लेकिन अब रोगों के नए जाल में फंस गए हैं।

इस जाल को दुनिया के विज्ञानियों ने पोस्ट कोविड सिंड्रोम का नाम दिया है। इसमें रोगी कोरोना से ठीक होने के बाद कई बीमारियों की चपेट में आ जाता है। इनमें कुछ मैटाबोलिक बीमारियां होती हैं जो ठीक नहीं होतीं, उनका मैनेजमेंट करना पड़ता है।

विशेषज्ञों का कहना है कि पोस्ट कोविड सिंड्रोम में रोगी को डायबिटीज, गुर्दा रोग, लिवर रोग, न्यूरो की बीमारी, मानसिक रोग, हाईपरटेंशन, सांस की नली की एलर्जी, दमा आदि रोग हो रहे हैं। कोरोना के बाद अब इनका इलाज शुरू हो गया है। मानसिक रोग, उठते-बैठते में दिमाग सुन्न हो जाना, सीरम क्रेटेनिन बढ़ जाना आदि दवाओं का साइड इफैक्ट भी माना जा रहा है।
हैलट और दूसरे अस्पतालों तथा निजी विशेषज्ञों के पास अब तक चार हजार रोगी पहुंच चुके हैं। कुछ रोगी ऐसे थे जिन्हें हाई ब्लड शुगर नहीं थी लेकिन अब वे ब्लड शुगर की चपेट में आ गए हैं। विशेषज्ञों का आशंका है कि इसमें अभी और भी बीमारियां शामिल हो सकती हैं। 

केस-एक
जाजमऊ के रहने वाले शाद अहमद (55) ने निजी कोविड अस्पताल में इलाज कराया। निगेटिव होने के बाद घर आए। सीरम क्रेटेनिन दो हो गया। डायबिटीज अनियंत्रित है। चक्कर आता है। सोते से उठने के बाद दिमाग घूम जा रहा है। वे न्यूरो, गुर्दा रोग विशेषज्ञ का इलाज करा रहे हैं। डॉक्टरों ने डायग्नोसिस पोस्ट कोविड सिंड्रोम की है।

केस-दो
दुर्गेश नंदन (62) का इलाज हैलट में हुआ था। कोरोना ठीक है लेकिन दमा हो गया है। ऑक्सीजन का इस्तेमाल कर रहे हैं। अवसाद की भी दिक्कत हो गई। मनोरोग विशेषज्ञ के यहां काउंसलिंग चल रही है। लिवर की एसजीपीटी और एसजीओटी बढ़ी हुई है। खड़े होने पर चक्कर आता है। नसों में दिक्कत है। डॉक्टरों ने इसे पोस्ट कोविड सिंड्रोम बताया है।
 
सिंड्रोम कहते किसे हैं
सिंड्रोम बीमारियों के गुच्छे को कहते हैं। जब रोगी एक साथ पैंक्रियाज, हार्ट, गुर्दा, लिवर, न्यूरो की बीमारियों की चपेट में आता है तो उसे सिंड्रोम कहते हैं। अभी तक दुनिया में दो सिंड्रोम आए। एक सिंड्रोम एक्स और दूसरा सिंड्रोम वाई और अब यह तीसरा है जिसे पोस्ट कोविड सिंड्रोम नाम दिया गया है।

पोस्ट कोविड सिंड्रोम केे रोगी बढ़ रहे हैं। कोरोना के निगेटिव होने के बाद रोगी कई बीमारियों की चपेट में आ जा रहे हैं। इसे इंटरनेशनल मेडिकल जर्नल लांसेट में पोस्ट कोविड सिंड्रोम नाम दिया गया है। विश्व भर में इस पर शोध भी किए जा रहे हैं। इस सिंड्रोम में बीमारियों का और भी इजाफा हो सकता है। यह वक्त गुजरने पर पता चलेगा। इस वक्त इस सिंड्रोम के रोगी आ रहे हैं।- डॉ. जेएस कुशवाहा, प्रोफेसर ऑफ मेडिसिन, जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज

  • कोरोना संक्रमण का पहले प्रमुख असर व्यक्ति के सांस तंत्र पर पड़ता है। फिर उसके बाद दूसरे अंग प्रभावित होने लगते हैं। कोरोना तो सात दिन के बाद खत्म हो जाता है लेकिन बाकी दिक्कतें बनी रहती हैं। रोगियों का लक्षणों के आधार पर इलाज किया जाता है। – डॉ. एसके कटियार, पूर्व प्राचार्य जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज

रोगियों को खास दिक्कतें
सांस फूलना, चक्कर आना, पेशाब में दिक्कत, बार-बार डायरिया, बेहद कमजोरी महसूस करना, ब्लड शुगर लेवल कंट्रोल न होना, रक्त की सीआरपी समेत विभिन्न जांचों में गड़बड़ी, पल्स रेट अधिक रहना, बीपी तेजी से ऊपर और नीचे होना, भूख न लगना, याददाश्त में गड़बड़ी, अवसाद बना रहना।

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