मुंहनोचवा के बाद चुड़ैल या चोटी काटने वाला गैंग?

 

  • चोटी काटने वाली चुड़ैल से बचाने के लिए मंत्र
  • तेज़ी से फैल रही चोटी कटवा की अफवाह
  • पुलिस ने कहा नहीं दें अफवाहों पर ध्यान

नोएडा।  पूरे देश में चोटी कटवा को खौफ लोगों के सिर चढ़कर बोल रहा है। यूपी में बीते 24 घंटों में 80 से ज्यादा बच्चियों और महिलाओं ने अपनी चोटी कटने की बात कही है। कोई इसे बाबा बता रहा है तो कोई इसको एक बिल्ली जो बाद में औरत बन जाती है पर एक बात सभी में एक सी है कि वो या तो सो रहीं थीं या फिर बेहोश हो गयी थीं। कोई इसको साया यानी चुड़ैल बता रहा है और कोई इसे बाल काटने वाला शैतान। ये कहा जाए कि `जितने मुंह उतनी बातें` तो ग़लत नहीं होगा।

वर्ष 1995 में पूरे देश में गणेश जी की प्रतिमाओं को दूध पीते दिखाया गया। 2001 में दिल्ली में मंकी मैंन ने लोगों की रातों की नींद उड़ा दी थी। लोग पूरी रात जागते हुए नज़र आते थे। वहीं 2002 में मुहनोचवा का खौफ यूपी में दिखाई दिया जिसमें लोग कहते थे कि मुंह नोचने वाला कोई है। वहीं इसी साल की शुरुआत में इलाहाबाद में सुई भोंकवा भी था। जो महिलाओं के प्राइवेट पार्ट्स पर सुई से हमलाकर फरार हो जाता था।

मंकी मैन ने 2001 में किया खौफजदा
मई 2001 की शुरुआत में ये कहा जाने लगा कि रात वक्त एक काले रंग बंदर सामने आता था और वो लोगों पर हमले कर रहा था। चूंकि इसका कद करीब 4 फिट बताया गया और पूरे बदन पर घने काले बाल तो इसको मंकी मैन कहा जाने लगा। कहा गया कि इस मंकी मैन का चेहरा हमेशा हेलमेट से ढका होता था। इसकी आंखें लाल होती थी और पंजे किसी धातु के थे। उस वक्त लोगों के इमारतों से गिरने के मामले सामने आते गये। किस्सों ने डराना शुरु कर दिया और नतीजा ये हुआ कि दिल्ली के लोग मंकी मैन के नाम से थर्राने लगे। लोगों उसे यमराज तक कहने लगे।

उस वक्त ऐसा कहा गया  कि कई मौतों की वजह मंकी मैन था लेकिन पुलिस इस मंकी मैन को आज तक नहीं पकड़ पायी और समय गुजरने के साथ ये मंकी मैन भी गायब हो गया लेकिन जब तक मंकी मैन की चर्चा हुई। वो खौफ का दूसरा नाम था। लोग पूरी रात जागते हुए काटते थे। मंकी मैन की वजह से लोगों में एका काफी बढ़ गया था। लोगों का कहना था कि मंकीमैन अपने हाथों में लोहे का पंजा पहने रहता था और छतों पर या अकेले पाकर लोगों को अपना निशाना बनाता था। दिल्ली पुलिस की कई स्तर की जांच के बाद यह बात निकलकर सामने आई थी कि मंकीमैन जैसा कोई आदमी या जानवर नहीं है। कहा गया कि यह लोगों की महज दिमागी उपज थी। मंकीमैन का आतंक दिल्ली में यमुनापार के इलाकों से शुरू हुआ था। नई दिल्ली रेंज के जॉइंट पुलिस कमिश्नर रिटायर्ड आईपीएस सुरेश राय ने बताया कि हर रोज हमें मंकीमैन द्वारा घायल करने की कॉल मिलती थी। शुरूआत में लगा कि यह मसला एक-दो दिनों में थम जाएगा। लेकिन यह अफवाह दिल्ली में दिनों दिन आग की तरह फैलती गई।

मंकीमैन की अफवाहों का बाजार बहुत गर्म होने लगा तो पुलिस ने ऐसे लोगों के खिलाफ एफआईआर करनी शुरू कर दी। चोटी कटने की घटनाओं के सामने आने के बाद दिल्ली में मंकीमैन का जमाना लोगों को फिर याद आ गया है। बस यह लोगों का वहम था और इस वहम ने ऐसी हवा को जन्म दिया कि कितने ही लोग इसे सच मान बैठे। उस वक्त ना जाने कितने लोग अपनी ही परछाई से डरकर छत से गिर गए। इनमें काफी लोग घायल हुए थे और कुछ की मौतें भी हुईं। जितने भी लोग घायल हुए थे, उनमें से जब क्रॉस पूछताछ की गई तो कोई भी यह नहीं बता सका था कि हां, उसने अपने सामने मंकीमैन को देखा था। सब यही कहते थे कि उन्हें लगा कि मंकीमैन ने उनके ऊपर हमला किया था। अगर बंदर भी किसी की छत पर आ जा रहा था तो लोग उसे भी मंकीमैन समझकर डर रहे थे लेकिन बाद में यह महज अफवाह निकली।

मुंहनोचवा ने 2002 में मचाया तांडव
करीब 15 साल पहले यानी 2002 में भी इसी तरह मुहनोचवा का खौफ लोगों के सिर चढ़कर बोल रहा था। कोई बेहोश हो रहा था तो कोई छत से गिर रहा था लेकिन कुल मिलाकर किसी ने कुछ नहीं देखा होता था। जितने लोगों की भी बातें सुनो सब में अलग कहानी। किसी को ऐसा लगा किसी को वैसा लगा लेकिन वास्तव में क्या हुआ ये किसी को नहीं मालूम होता था। कोई छत से गिर जाता था तो किसी का चेहरा या शरीर घायल हो जाता था। किसी के शरीर पर खरोच के निशान होते थे। पर मुंहनोचवा को किसी ने नहीं देखा। मुंहनोचवा खौफ का दूसरा नाम था। लोग कहते थे कि लाइट जलती है जब वो आता है।

मैं उस वक्त एक ख़बर की कवरेज के सिलसिले में गया था। उस दौरान सभी रिपोर्टर्स को डिजीटल कैमरे दिए जाते थे। जैसे ही साथी रिपोर्टर ने बच्चों की फोटो खींचना चाही। बच्चा कैमरे की फ्लैश लाइट देखते ही बेहोश हो गया। उसके बेहोश होते ही चारों तरफ एक ही शोर हो गया मुंह नोचवा। बच्चे को लगा कि कैमरा मुंह नोचवा है और वो गश खाकर बेहोश हो गया। मुंह नोचवा के हमले से घायल होने का सिलसिला अगर कहें तो महीने भर से ज्यादा चला। हर मुंह के मुताबिक एक अलग मुंहनोचवा होता था। इस बार चोटी कटवा ने भी मुंहनोचवा की याद ताज़ा कर दी है। इस वक्त भी सब कुछ वैसे ही हो रहा है जैसा कि मुंह नोचवा के वक्त हुआ करता था। मीडिया मुंहनोचवा की हर ख़बर प्रमुखता से दिखाती थी और ऐसा ही आज भी हो रहा है।

उस वक्त कहा जाता था कि मुंहनोचवा अंधेर में आता था और मुंह नोचकर भाग जाता था लेकिन उसको किसी ने नहीं देखा था। लोग मीडिया को कोसते थे लेकिन लोगों के छत से गिरने और घायल होने को आखिर कैसे अनदेखा किया जा सकता था। गांव हो या शहर एक के बाद एक मामले सामने आते जा रहे थे। सैकड़ों लोग घायल होते जा रहे थे। लेकिन आज भी मुंहनोचवा एक रहस्य बना हुआ है।

चोटी कटवा या चोटी काटने वाली चुड़ैल या चोटी काटने वाला गैंग?
चोटी कटवा का मामला थोड़ा ज्यादा बड़ा इसलिए है क्योंकि मंकी मैन केवल दिल्ली में था। मुंहनोचवा खाली यूपी में लेकिन चोटी कटवा मध्यप्रदेश, राजस्थान, हरियाणा, दिल्ली और यूपी शामिल हैं। इसकी शुरुआत भले ही राजस्थान और हरियाणी की सीमा से हुई लेकिन ये अब हिंदी बेल्ट में तेज़ी से बढ़ रहा है। अब तो बिहार में भी चोटी काटने वाला पहुंच गया है। क्या सच है किसी को नहीं पता वजह है कि लड़कियां और महिलाएं बताती हैं कि वो बेहोश हो गयीं थीं या सो रहीं थीं और उनकी चोटी कट गयी। अब किसी बात सच मानें किसकी झूठ कुछ समझ नहीं आता लेकिन एक बात हकीकत है कि सभी के बाल या चोटी कट रही है। लड़कियों और महिलाओं को चोटियां कटी मिल रही हैं या चोटी की जगह के बाल कटे मिल रहे हैं।

चोटी कटवा से बचने के लिए तंत्र-मंत्र
गाजिायबाद में देखते ही देखते 6 लड़कियों की चोटी कटने की बात सामने आयी। इलाहाबाद में 24 घंटे के अंदर 3। गोरखपुर में एक चोटी कटने का मामला सामने आया। नोएडा, ग्रेटर नोएडा से कई मामले सामने आए हैं लेकिन इसका खौफ पूरे यूपी में साफ नज़र आ रहा है। लोग शहर में रह रहे हों या फिर गांव में डरे सहमे से नज़र आ रहे हैं। सवाल है कि आखिर कौन लड़कियों और महिलाओं की चोटी काट रहा है। अब खौफ है तो तंत्र मंत्र करने वालों की दुकाने भी चल निकली हैं। लोगों ने झाड़फूंक का सहारा लेने शुरु कर दिया है। अभी तो दूर दराज़ इस समस्या का कोई समाधान नहीं नज़र आ रहा है।

चोटी कटवा है अफवाह: पुलिस
यूपी पुलिस का कहना है कि चोटी कटवा एक अफवाह है और लोगों को इस पर बिल्कुल ध्यान नहीं देना चाहिए। पुलिस भी सही कह रही है कि लोगों की बात पर विश्वास किया जाए तो कैसे। गाजियाबाद में जब पहला मामला आया तो महिला ने कहा कि बाबा सामने आया तो वो बेहोश हो गयी और होश में आयी तो उसके बाल कटे थे।

शुक्रवार को जब गाजियाबाद की एक लड़की की चोटी कटी तो लड़की का कहना था कि पहले एक बिल्ली ने उसको पंजे मारे और एकाएक वो बिल्ली और बन गयी। जिसको देखकर वो बेहोश हो गयी और जब उठी तो उसकी चोटी कटी हुई थी। पुलिस अपनी जगह सही है कि क्या वो अब बिल्ली के खिलाफ FIR दर्ज करे या बाबा के खिलाफ जिसके बारे में खुद पीड़ित भी कुछ नहीं बता पा रही होती है। अब ये गैंग है, चुड़ैल है, कोई आदमी है या कोई भूत, इसको हर कोई अपने हिसाब से बताने लगता है।

चोटी कटवा से बचने का मंत्र
खौफ है तो उसको दूर करने के लिए मंत्र भी होना चाहिए। कई लोगों का कहना है कि जब उनको लगता है कि वो चोटी कटवा उनके आसपास है तो वो इस मंत्र का जाप शुरु कर देते हैं। इससे उनके मन का डर भी चला जाता है और चोटी कटवा उनके पास भी नहीं फटकता।

ये मंत्र है-

हनुमान अंगद रण गाजे। हांक सुनत रजनीचर भाजे।।

लोगों का कहना है कि उनको विश्वास है कि इस मंत्र को पढ़ने की वजह से उनके मन का डर दूर हो जाता है और वो खुद को सुरक्षित महसूस करने लगते हैं और चोटी कटवा उनके पास तक नहीं आता। लोगों का कहना है कि वो इस मंत्र को पर्ची पर या मोबाइल मैसेज के रूप में सेव कर लेते हैं और जब उनको डर लगता है तो वो इस मंत्र को पढ़ते हैं।

इससे खौफज़दा होने की भी ज़रूरत नहीं है। किसी के कहने पर किसी महिला या पुरुष को चोटी कटवा ना मानें। आगरा में दो दिन पहले ऐसा ही मामला सामने आया था। एक महिला को लोगों ने चोटी काटने वाली समझकर पीटकर मार डाला। हम सभी से अनुरोध करते हैं कि इस अफवाह को सच्चाई ना मानें और न ही लोगों की मनगढ़ंत कहानियों पर ध्यान दें। खुद अपनी आखों से देखने के बाद ही किसी भी चीज़ पर विश्वास करें।

डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य ने कहा कि चोटी कटवा की घटनाओं महिलाओं को दहशत में रहने की नहीं है जरूरत, मामले में जांच के बाद होगी कार्रवाई।

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