मुंबई में भारी बारिश के कारण अलग-अलग घटनाओं में 31 लोगों की अब तक मौत हो चुकी है. दीवार गिरने और भूस्खलन के कारण ये हादसे हुए. कुछ लोगों की मौत करंट लगने से भी हुई है.देश की आर्थिक राजधानी मुंबई में रविवार को भारी बारिश के कारण घर गिरने और करंट लगने की अलग-अलग घटनाओं में कम से कम 31 लोगों की मौत हो गई. बृहन्मुंबई नगर निगम (बीएमसी) के मुताबिक रविवार को तड़के मुंबई के विक्रोली इलाके में एक आवासीय इमारत गिर गई, जिसमें तीन लोगों की मौत हो गई. इस बीच, चेंबूर के भरत नगर इलाके में भूस्खलन के कारण कुछ झोंपड़ियों पर दीवार गिरने से कई लोगों की मौत हो गई. सोमवार को भारी बारिश भारी बारिश ने मुंबई की आम जिंदगी को बुरी तरह से प्रभावित किया है. सोमवार को लंबी दूरी की ट्रेनों के अलावा उपनगरीय रेल सेवा प्रभावित हुईं. बारिश के कारण सड़कों पर पानी भर गया और ट्रैफिक थम गया. भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (IMD) ने मुंबई के लिए रेड अलर्ट जारी किया है, अलर्ट के मुताबिक अगले 24 घंटे की अवधि के लिए अलग-अलग स्थानों पर भारी बारिश का अनुमान है. मौसम विभाग ने 45 किलोमीटर प्रति घंटे से लेकर 65 किमी प्रति घंटे तक पहुंचने वाली कभी-कभी तेज हवाओं की भी चेतावनी दी है. रविवार को चेंबूर और विक्रोली में हुए हादसे के बाद एनडीआरएफ की टीम ने राहत और बचाव कार्य चलाया और खोजी कुत्तों की मदद से मलबे में दबे लोगों को खोजने का काम किया. बीएमसी के मुताबिक चेंबूर में हुए हादसे में 19 लोगों की मौत हो गई है और 10 लोगों की मौत विक्रोली में हुई है. दो अन्य लोगों की मौत करंट लगने और मकान ढहने के कारण हुई. बदलते मौसम से बार-बार आती तबाही पूरे भारत में मौसम कठोर होता जा रहा है और जानकार इसे जलवायु परिवर्तन से जोड़ कर देख रहे हैं. इस साल गर्मी ने भी रिकॉर्ड तोड़े हैं और उत्तर के राज्यों में मानसून ने लंबा इंतजार कराया तो वहीं कुछ राज्यों में इतनी बारिश हुई कि वहां बाढ़ आ गई. तटीय शहर मुंबई हमेशा मानसून से बुरी तरह प्रभावित होती रही है और हर साल बाढ़ की शिकार भी होती है. यह आशंका है कि जलवायु परिवर्तन के कारण बारिश के बदलते पैटर्न से और भी अधिक बाढ़ और क्षति हो सकती है. हाल के सालों में मानसून लंबे समय तक सूखे की ओर स्थानांतरित हो गया है और फिर अत्यधिक वर्षा के कारण अधिक आबादी वाले शहरों के डूब जाने की आशंका ज्यादा रहती है. महाराष्ट्र के पर्यावरण मंत्री आदित्य ठाकरे कहते हैं, “हम जलवायु परिवर्तन की बात करते हैं लेकिन अब यह हो रहा है.” आपदा पर बयानबाजी देश की सबसे अमीर नगर निगमों में से एक बीएमसी पर हर साल मानसून के दौरान बदइंतजामी के आरोप लगते आए हैं. इस बार सप्ताहंत बारिश और उसके बाद की घटनाओं ने राजनीतिक दलों को एक बार फिर बीएमसी पर “अक्षमता और कुप्रबंधन” के आरोप लगाने का मौका दे दिया. आम आदमी पार्टी ने एक बयान में कहा, “मानसून के दौरान फिर एक बार बीएमसी के अधिकारियों की विफलता सामने आई है.” बीएमसी पर शिवसेना ही काबिज है. इस बीच महाराष्ट्र के नवी मुंबई में खारघर पुलिस ने रविवार शाम दमकल अधिकारियों के साथ, एक नाले को पार कर खारघर पहाड़ियों पर गईं 78 महिलाओं और 5 बच्चों सहित 116 लोगों को बचा लिया है. मौसम विभाग ने मुंबई, ठाणे और पालघर के लिए सोमवार को भारी बारिश की चेतावनी जारी की है. 23 जुलाई, 2019 को दिए जवाब में केंद्र सरकार ने लोकसभा को बताया कि 18 जुलाई 2016 से 18 जुलाई 2019 के बीच देश में भारी बारिश के साथ आने वाले तूफान, बाढ़ और भूस्खलन के कारण 6,585 लोगों की मौत हुई मतलब हर साल औसतन 2,000 से ज्यादा लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी. भारी बारिश सिर्फ आम इंसानों को ही नहीं बल्कि जानवरों को भी प्रभावित करती है. सरकारी आंकड़ों के मुताबिक 2016 से 2019 के इन तीन वर्षों में बारिश से संबंधित प्राकृतिक आपदाओं के कारण दो लाख से अधिक पशुधन की मौत हुई है और 39 लाख से अधिक घरों या झोपड़ियों को नुकसान पहुंचा. जानकार कहते हैं कि कम समय में ज्यादा बारिश और खराब जल निकासी व्यवस्था शहरों में बार-बार बाढ़ की वजह बन रही हैं.