पिछड़ों वर्ग के वोटों की जंग में समाजवादी पार्टी अब फिर पुरानी जैसी पैठ बनाने में जुट गई है। खास फोकस गैरयादव पिछड़ी जातियों को लुभाने पर है। दो चुनावों से यह जातियां सपा से खिसक कर भाजपा के साथ हो चुकी हैं। अब कोशिश वापस समाजवादी झंडे के साथ लाने की है।
सपा मुखिया अखिलेश यादव ने इसी रणनीति के तहत गैरयादव जातियों के नेताओं को खास तवज्जो देनी शुरू कर दी है। निषाद, कश्यप, कुर्मी, सैनी, शाक्य, कुशवाहा आदि जातियों के नेताओं की गोलबंदी कर साथ लाया जा रहा है। हाल में बनाए फ्रंटल संगठनों में पदाधिकारी नियुक्त करने की बात हो,या अन्य पार्टी संगठन। इन सबमें निषाद, कश्यप, कुर्मी, सैनी, शाक्य, कुशवाहा आदि जातियों को अहमियत दी गई है। अखिलेश यादव के निर्देश पर पिछड़ा वर्ग प्रकोष्ठ के अध्यक्ष राजपाल कश्यप ने जिले जिलों में पिछड़ा सम्मेलन शुरू कर दिए हैं। सुल्तानपुर,जौनपुर के बाद अब इस तरह के सम्मेलन गाजीपुर, चंदौली, वाराणसी, सोनभद्र, मिर्जापुर व भदोही में होंगे।
पार्टी के साथ समस्या एक सशक्त पिछड़ा के सशक्त चेहरे का न होना है। सपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव के वक्त बेनी प्रसाद वर्मा, जैसे कई कद्दावर नेता हैं। हालांकि पार्टी ने कुर्मी बिरादरी के नरेश उत्तम को पांच साल से प्रदेश अध्यक्ष बना हुआ है। निषादों को लुभाने के लिए पार्टी काफी समय से कई जतन कर रही है। इस वर्ग में खासी लोकप्रिय रही फूलन देवी की याद में पार्टी सभी जिलों में रविवार को श्रद्धांजलि सभा का आयोजन करेगी। मौर्य समाज के वोट के लिए पार्टी महान दल के साथ गठजोड़ किया है। इसके अध्यक्ष केशव देव मौर्य का पश्चिमी यूपी के कुछ हिस्सों में थोड़ा प्रभाव है।
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