मास्क हटाने की जल्दबाजी महंगी पड़ी, डेल्टा वेरिएंट के कारण इजरायल-ऑस्ट्रेलिया और फिजी में बढ़ने लगे कोरोना के नए मामले

अनलॉक’ के बाद खुली जगहों पर मास्क पहनने की अनिवार्यता हटाने की हड़बड़ी कुछ देशों को महंगी पड़ी है। सार्स-कोव-2 वायरस के बेहद संक्रामक डेल्टा वेरिएंट की दस्तक से इजरायल, ऑस्ट्रेलिया और फिजी में कोरोना एक बार फिर तेजी से पांव पसारने लगा है। आलम यह है कि तीनों देश अब लोगों को दोबारा घरों से बेवजह बाहर न निकलने और कोविड प्रोटोकॉल का सख्त पालन करने का आदेश देने को मजबूर हैं।

1.इजरायल
-दुनिया का सबसे सफल टीकाकरण अभियान चलाकर कोरोना के कहर पर काफी हद तक काबू पा लेने वाले इजरायल ने 18 जून को बंद जगहों पर मास्क पहनने की अनिवार्यता खत्म कर दी थी। इसके बाद वहां रोजाना दर्ज होने वाले मामले एक बार फिर सौ के पार जाने लगे। महामारी की रोकथाम के लिए बनाए गए टास्टफोर्स ने नए मामलों में उछाल के लिए डेल्टा वेरिएंट को जिम्मेदार ठहराया है। इस वेरिएंट से अन्य देशों में मची तबाही के मद्देनजर स्वास्थ्य मंत्रालय ने अपना फैसला पलटते हुए मास्क दोबारा अनिवार्य कर दिया है।

यूं बढ़ा कहर
-22 जून : 123
-23 जून : 146
-24 जून : 205
-25 जून : 208
-26 जून : 185

टीकाकरण की स्थिति
-आबादी : 90 लाख अनुमानित
-टीके लगे : 1.07 करोड़ से अधिक
-पूर्ण टीकाकरण वाली आबादी : 57%

2.ऑस्ट्रेलिया
-22 फरवरी को कोविड टीकाकरण की शुरुआत के बाद रोजाना आ रहे नए मामलों की संख्या औसतन दस पर सिमट गई थी। नतीजतन विक्टोरिया और न्यू साउथ वेल्स में सार्वजनिक जगहों पर मास्क लगाने के नियम में ढील दे दी गई। लोगों के लिए सिर्फ बंद जगहों पर मास्क पहनना अनिवार्य रह गया। हालांकि, डेल्टा वेरिएंट की दस्तक से ऑस्ट्रेलिया की मुश्किलें एक बार फिर बढ़ गई हैं। इससे प्रभावित मरीजों की संख्या 60 के पार होने पर सिडनी जैसे शहरों में लोगों को कम से कम एक हफ्ते घरों से बाहर नहीं निकलने का आदेश दिया गया है।

यूं बढ़ा कहर
-22 जून : 10
-23 जून : 12
-24 जून : 30
-25 जून : 14
-26 जून : 34

टीकाकरण की स्थिति
-आबादी : 2.54 करोड़ अनुमानित
-टीके लगे : 72.6 लाख के करीब
-पूर्ण टीकाकरण वाली आबादी : 4.7%

3.फिजी
-अप्रैल में फिजी ने लगातार सालभर कोरोना के सामुदायिक प्रसार का एक भी मामला सामने नहीं आने का रिकॉर्ड बनाया था। हालांकि, डेल्टा और डेल्टा प्लस वेरिएंट के आगमन से इस द्विपीय देश में कोरोना वायरस का प्रकोप एक बार फिर बढ़ने लगा है। लिहाजा सरकार ने सार्वजनिक स्थलों पर मास्क नहीं पहनने, सोशल डिस्टेंसिंग का पालन न करने, रात्रि कर्फ्यू से जुड़े नियम तोड़ने और भीड़ जुटाने का दोषी पाए जाने वाले लोगों पर सख्त जुर्माना लगाने का प्रावधान किया है। पुलिस अधिकारियों को मौके पर ही जुर्माना वसूलने की शक्ति दी गई है।

यूं बढ़ा कहर

-22 जून : 180
-23 जून : 270
-24 जून : 308
-25 जून : 215
-26 जून : 266

टीकाकरण की स्थिति
-आबादी : 8.9 करोड़ अनुमानित
-टीके लगे : 2.74 लाख से अधिक
-पूर्ण टीकाकरण वाली आबादी : 2%

जर्मनी भी मास्क-मुक्त होने की तैयारी में
-जर्मनी के स्वास्थ्य मंत्री जेंस स्पाह्न ने हाल ही में सार्वजनिक जगहों पर मास्क लगाने से जुड़े नियम में ढील देने के संकेत दिए थे। हालांकि, ‘ऑसबर्गर एलेगमिन’ के हालिया सर्वे में डेल्टा सहित अन्य घातक स्वरूपों के उभार के मद्देनजर 44.7 फीसदी जर्मन नागरिकों ने ताउम्र मास्क लगाने के लिए तैयार होने की बात कही थी। वहीं, 41.9 प्रतिशत ने कहा था कि वे मास्क लगाकर इस कदर ऊब चुके हैं कि महामारी के खत्म होते ही इसे उतार फेंकेंगे। मास्क के प्रति सकारात्मक रुख रखने में महिलाएं (48.2 फीसदी) पुरुषों (41.2 फीसदी) से आगे पाई गईं।

कोरोना का प्रकोप
-22 जून : 688
-23 जून : 1114
-24 जून : 444
-25 जून : 797
-26 जून : 494

टीकाकरण की स्थिति
-आबादी : 8.3 करोड़ अनुमानित
-टीके लगे : 7.14 करोड़ से अधिक
-पूर्ण टीकाकरण वाली आबादी : 34.8%

डेल्टा वेरिएंट से लड़ने के लिए टीके के साथ मास्क जरूरी
-विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने सबसे पहले भारत में मिले डेल्टा वेरिएंट को चिंता का गंभीर सबब करार दिया है। डब्ल्यूएचओ ने स्पष्ट किया है कि डेल्टा वेरिएंट से लड़ने के लिए अकेले टीकाकरण काफी नहीं है। सार्वजनिक जगहों पर मास्क लगाने, सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करने और साबुन से लगातार हाथ धोते रहने जैसे एहतियाती उपायों पर अमल भी बेहद जरूरी है।

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