महाराष्ट्र में शनिवार को फडणवीस सरकार के शपथग्रहण पर जारी रार सुप्रीम कोर्ट की दहलीज तक पहुंच गई। रविवार को महा विकास अघाड़ी (एनसीपी-शिवसेना और कांग्रेस गठबंधन) की तरफ से दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने सभी पक्षों को नोटिस जारी किया है। इसमें महाराष्ट्र सरकार, केंद्र सरकार, मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और उप मुख्यमंत्री अजित पवार शामिल हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने सॉलिसिटर जनरल से सोमवार सुबह साढ़े दस बजे राज्यपाल का आदेश और समर्थन पत्र मांगा है। जस्टिस रमन्ना ने यह भी कहा कि हर प्रक्रिया के लिए नियम तय हैं, नई सरकार को सदन में बहुमत साबित करना ही पड़ेगा।
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट में न्यायमूर्ति एन वी रमन, न्यायमूर्ति अशोक भूषण और न्यायमूर्ति संजीव खन्ना की पीठ के समक्ष गठबंधन की ओर से पेश हुए वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने कहा कि एनसीपी के 41 विधायक भाजपा के साथ नहीं है, उसके बाद भी सरकार बनाने की मंजूरी दे दी गई।
कांग्रेस-एनसीपी की तरफ से पेश हुए वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि एनसीपी के कुल विधायकों की संख्या 54 है और 41 विधायकों ने महाराष्ट्र के राज्यपाल को लिखा है कि अजित पवार को विधायक दल के नेता पद से हटा दिया गया है। उन्होंने यह भी कहा कि यह लोकतंत्र के साथ पूरी तरह से धोखा और उसकी हत्या है कि सरकार बनाने की मंजूरी तब दे दी गई जब एनसीपी के 41 विधायक उनके साथ नहीं हैं।
बड़ा सवाल: 54 विधायकों में से सिर्फ 41 ही शरद पवार के साथ तो बाकी कहां…?
सूत्रों के अनुसार, एनसीपी के 13 विधायक अजित पवार के साथ मजबूती से खड़े हैं। इनमें से भले ही कुछ विधायकों ने शरद पवार और सुप्रिया सुले से बातचीत की है लेकिन उन्होंने अपने बयान में इस बात को जरूर कहा है कि जो भी शरद पवार और अजित पवार का फैसला होगा वह उन्हें मंजूर होगा।
इन 13 विधायकों द्वारा बार-बार अजित पवार का नाम लेना कहीं न कहीं पार्टी में सबकुछ ठीन न होने की तरफ इशारा कर रहे हैं। महाराष्ट्र एनसीपी अध्यक्ष जयंत पाटिल, नवाब मलिक और दूसरे वरिष्ठ नेता बार-बार अजित पवार को मनाने की बात कर रहे हैं। अजित के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की बात पर नेता बयान देने से बच रहे हैं।
36 से कम विधायक भाजपा के पक्ष में गए तो लागू होगा दल-बदल कानून
दल-बदल कानून के अनुसार अगर एनसीपी के कुल संख्याबल का दो तिहाई (36 विधायक) से कम विधायकों ने भाजपा का समर्थन किया तब इनपर अयोग्यता की तलवार लटक सकती है। हालांकि इतने विधायकों के समर्थन के बाद भी भाजपा को बहुमत साबित करने के लिए अन्य विधायकों की जरूरत पड़ेगी। भाजपा के वरिष्ठ नेता आशीष शेलार बार-बार 170 विधायकों का समर्थन होने का दावा कर रहे हैं।
क्या है दल-बदल कानून
दल-बदल कानून के अनुसार विधायकों को अयोग्य करार दिए जाने का आधार स्पष्ट किया गया है।
- कोई विधायक स्वेच्छा से पार्टी की सदस्यता त्याग दे।
- वह पार्टी द्वारा जारी किए गए व्हिप के खिलाफ जाकर वोट करे या फिर वोटिंग से दूर रहे।
- निर्दलीय विधायक किसी राजनीतिक पार्टी में शामिल हो जाएं
- एक पार्टी के दो तिहाई से कम विधायक दूसरी पार्टी में शामिल हो जाएं