मल्टीमीडिया डेस्क। शिव पूजन, भजन, और उनका ध्यान लगाने से भक्तों के बड़े से बड़े पापों का नाश हो जाता है और साधक पृथ्वीलोक पर सभी सुखों को भोगकर अंत में कैलाशवासी शिव के चरणों में जगह पाता है। भगवान भोलेनाथ की भक्ति कई तरह से करने का शास्त्रों में विधान है। शिवभक्ति किसी भी तरह से की जाए भगवान भोलेनाथ अपने भक्तों को अक्षय, अभय का वरदान देते हैं। भक्त के जीवन में भगवान महाकाल धन-धान्य की बरसात करते हैं।
शिव भक्ति के लिए कोई विशेष नियमावली शास्त्रों में नहीं बताई गई है, लेकिन स्वच्छता और श्रद्धा-भक्ति का विशेष ध्यान रखने का प्रावधान किया गया है। लिंग पुराण में सुतजी ने मुनिश्वरों को संबोधित करते हुए कहा है कि, जो मानव जिस मनोकामना से शिवपूजन करता है उसको श्रद्धा और भक्ति के अनुसार फल मिलता है। यदि भक्त झूठे मुंह से शिवपूजन करता है वह पिशाच योनी को प्राप्त करता है।
जो मानव क्रोधित भाव लेकर शिवपूजन करता है वह अगले जन्म में राक्षस बनता है। अभक्ष अर्थात यो व्यक्ति खाने के अयोग्य पदार्थ को ग्रहण कर पूजा करता है वह यक्ष बनता है। गायत्रीमंत्र से शिवपूजा करने वाला व्यक्ति प्रजापति को प्राप्त होता है। श्रद्धा से एक बार भी शिवपूजा करने वाला व्यक्ति रुद्र के साथ क्रीड़ा करता है।
ऐसे करें शिव साधना
शिवलिंग की स्थापना करके पवित्र जल से स्नान कराना चाहिए। धर्म, ज्ञानमय आसन की कल्पना कर उसके ऊपर स्थापना करना चाहिए। आचमन कर दूध, दही, घी, पवित्र जल से स्नान कराकर केशर, कस्तूरी का लेपन कर सुगंधित फूलों और अखंडित बिलपत्रों को शिवलिंग पर समर्पित करना चाहिए। कनेर, चंपक, आंकड़ा, मोगरा इत्यादी फूल अर्पित करें। दही, भात, भोजन बनाकर भोग लगाएं और बारंबार प्रदक्षिणा कर आरती करें।
इस प्रकार पूजन करने से महेश्वर प्रसन्न होते हैं और ऐसे शिवभक्त परमगति को प्राप्त करते हैं।