मध्यप्रदेश में किसानों की खुदकुशी का सिलसिला थम नहीं रहा है. राज्य में बुधवार को किसानों ने जहरीला पदार्थ खाकर खुदकुशी कर ली, जबकि एक अन्य किसान ने कलेक्टर परिसर में कीटनाशक पी लिया. उसे गंभीर हालत में अस्पताल में भर्ती किया गया है.
राज्य में किसान आंदोलन शुरू होने के बाद फायरिंग में छह लोगों की मौत हुई थी. इसके बाद पिछले छह दिनों में छह किसान खुदकुशी कर चुके हैं. मौत को गले लगाने वाले अधिकांश किसान कर्ज के बोझ से दबे हुए थे.
बालाघाट और बड़वानी में किसानों ने की खुदकुशी
राज्य में बुधवार को दो किसानों ने खुदकुशी कर ली. बालाघाट जिले में किसान रमेश बसेने ने जहर खाकर खुदकुशी कर ली. परिजनों ने बताया कि, रमेश बसेने पर करीब दो लाख रुपए का कर्ज था. रमेश ने स्थानीय सहकारी सोसायटी से यह कर्ज लिया था.
वहीं, बड़वानी जिले के सेंधवा ग्रामीण थाना क्षेत्र के ग्राम पिसनावल में भी किसान जुमला ने कीटनाशक पीकर आत्महत्या कर ली. मृतक किसान की पत्नी ने कहा है कि वह कर्ज की वजह से परेशान था.
हालांकि, पुलिस का दावा है कि मृतक और उसके बेटे के बीच गिरवी जमीन छुड़ाने को लेकर विवाद हुआ था. बेटा उस पर कर्ज और बिजली का बिल भरने के लिए दबावबना रहा था
देवास में किसान ने कलेक्टर परिसर में पीया कीटनाशक
राज्य के देवास जिले में गांव टोंककला निवासी किसान पद्मसिंह बागरी ने कलेक्टर ऑफिस परिसर में कीटनाशक पी लिया. बताया जा रहा है कि पद्मसिंह के भतीजे ने उसकी जमीन पर कब्जा कर लिया था, इस कारण बीते कुछ समय से वह बेहद परेशान था.
छह दिन में छह किसानों ने मौत को गले लगाया
राज्य में बालाघाट और बड़वानी जिले के अलावा चार अन्य जिलों में किसान खुदकुशी कर चुके हैं. राज्य में पिछले छह दिनों में छह किसानों ने मौत को गले लगाया है.
-मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के पैतृक जिले सीहोर की रेहटी तहसील के जाजना गांव में 52 साल के दुलीचंद ने कथित तौर पर जहर खाकर जान दे दी. परिजनों के मुताबिक, दुलीचंद कर्ज की वजह से परेशान थे.
-होशंगाबाद जिले की सिवनी मालवा तहसील के भैरूपुर गांव में 68 साल के माखनलाल ने कर्ज से परेशान होकर फांसी लगाकर जान दे दी.
-विदिशा के हरिसिंह जाटव ने कथित तौर पर कर्ज की परेशानी और पटवारी के जमीन सीमांकन में किए फर्जीवाड़े से आहत होकर जहर खाकर जान दे दी.
-रायसेन जिले में किसान श्रीकृष्ण मीणा ने आत्महत्या कर ली थी. उन पर 10 लाख रुपए का कर्ज था.
भारत के महराष्ट्र, तेलंगाना सहित आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में किसानों की आत्महत्या के सबसे ज़्यादा मामले रिपोर्ट होते हैं.
बीते एक दशक से देश भर में होने वाली किसानों की आत्महत्या में दो तिहाई हिस्सेदारी इन्हीं राज्यों की है.
नए तौर तरीकों से किसानों की आत्महत्या के मामले की गिनती के बावजूद 2014 में किसानों की कुल आत्महत्या में 90 फ़ीसदी से ज़्यादा मामले इन्हीं पांच बड़े राज्यों में बीते 20 साल में महाराष्ट्र में किसानों की आत्महत्या का आंकड़ा 63,318 तक पहुंच गया है. बीते साल देश भर में किसानों की कुल आत्महत्या में 45 फ़ीसदी से ज़्यादा मामले इस राज्य में दर्ज़ किए गए.सामने आए हैं.