कोरोना की दूसरी लहर से हर रोज देश में डराने वाले आंकड़ो सामने आ रहे हैं। इस संकट के समय में लोग पूरी तरह से प्रशासन और हेल्थ केयर पर निर्भर हैं। लेकिन मरीजों का साथ देने वाली हेल्थ केयर जब उन्हें मरने के लिए छोड़ दें तो मरीज क्या करे? उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में हर रोज आ रहे कोरोना मामलों के कारण लखनऊ में हेल्थकेयर सेवाएं काफी दबाव में काम कर रही हैं। बता दें कि यूपी सरकार ने मरीजों के बेहतर इलाज और समय पर दवाओं की डिलीवरी की सुविधा के लिए कोरोनावायरस कमांड सेंटर शुरू किया है। जो कोरोना मरीजों की एक फोन कॉल पर भी मदद करता हैस लेकिन हाल ही में हुई एक घटना से ऐसा लगता है कि ये सुविध केवल नाम भर के लिए है। एक मरीज ने जब हेल्पलाइन पर कॉल करके मदद मांगी तो सेंटर के एक प्रतिनिधि ने मरीज से मर जाने के लिए कहा।
इस सेंटर की सर्विस पर सवाल खड़े करने वाला एक मामला सामने आया है। कोरोनावायरस कमांड सेंटर के एक सदस्य ने मरीजों और उनके परिवारों की सहायता के लिए बनाए गए इस तंत्र के बारे में गंभीर संदेह उठाया है।
संतोष कुमार 10 अप्रैल को अपनी पत्नी के साथ कोरोना टेस्ट कराया जिसके बाद दोनों ने आइसोलेशन में रहने का फैसला किया, 12 अप्रैल को, संतोष कुमार सिंह और उनकी पत्नी दोनों की रिपोर्ट कोरोनावायरस के लिए सकारात्मक आई।
यूपी सरकार के कोरोना कमांड सेंटर से परिचित संतोष कुमार ने हेल्पलाइन को फोन किया जिसका दावा है कि सिर्फ एक कॉल मरीज की मदद कर सकता है। उन्हें 15 अप्रैल को सुबह 8.14 बजे कॉलबैक आया।
54 सेकंड तक चलने वाले फोन कॉल में, यूपी सरकार के कोविद -19 कमांड सेंटर के एक प्रतिनिधि संतोष कुमार सिंह से पूछते हैं कि क्या उन्होंने होम आइसोलेशन ऐप डाउनलोड किया है। जब सिंह ने उसे बताया कि उसे इस तरह के किसी भी ऐप के बारे में सूचित नहीं किया गया है, तो प्रतिनिधि ने उन्हें “जाओ मर जाओ” कहा।
संतोष कुमार सिंह ने अब उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और लखनऊ के जिलाधिकारी अभिषेक प्रकाश को पत्र लिखकर इस घटना पर प्रकाश डाला और स्पष्टीकरण मांगा। बता दें कि संतोष कुमार सिंह के पिता मनोहर सिंह भाजपा के लखनऊ महानगर अध्यक्ष हैं।