एक नए और विस्तृत अध्ययन के बाद शोधकर्ता दावा कर रहे हैं कि भारत में मौतों की संख्या सरकारी आंकड़ों से दस गुना ज्यादा हो सकती है.यह रिपोर्ट उन आधिक्य मौतों के बारे में है जो समान अवधि में पिछले बरसों में हुई मौतों से तुलना करके गिनी जाती हैं. हालांकि यह कहना मुश्किल है कि इन आधिक्य मौतों में से कितनी सीधे-सीधे कोविड से हई हैं लेकिन ये कोविड महामारी के देश पर हुए विस्तृत असर का अनुमान है.
भारत ने आधिकारिक तौर पर कोविड-19 से 4 लाख 14 हजार लोगों के मरने की पुष्टि की है. लेकिन आधिक्य मौतों का यहां कोई आंकड़ा नहीं दिया गया है. अमेरिका स्थित सेंटर फॉर ग्लोबल डिवेलपमेंट ने अपने इस विस्तृत अध्ययन के लिए तीन अलग-अलग स्रोतों से आंकड़े लिए हैं.
इसके आधार पर बताया गया है कि भारत में जनवरी 2020 से जून 2021 के बीच हुई मौतों की संख्या 34 से 47 लाख के बीच हो सकती है. इसी अवधि में बीते बरसों की तुलना में यह संख्या दस गुना ज्यादा है. विस्तृत अध्ययन शोधकर्ताओं ने सात राज्यों में मौतों के आंकड़ों का अध्ययन किया है. इन सात राज्यों में कुल मिलाकर भारत की आधी से ज्यादा आबादी रहती है. भारत हर साल मौत के आंकड़ों का सर्वेक्षण तो करता है लेकिन अब तक 2019 तक के आंकड़े ही सार्वजनिक किए गए हैं. अमेरिकी शोधकर्ताओं ने सीरो सर्वेक्षण के आंकड़ों का भी अध्ययन किया है. सीरो सर्वेक्षण देशभर में हुए दो एंटिबॉडी टेस्ट के आंकड़े हैं.
इनकी तुलना अंतरराष्ट्रीय स्तर पर वायरस से मरने वाले लोगों की संख्या से की गई. इसके अलावा भारत के एक लाख 77 हजार घरों में रहने वाले आठ लाख 68 हजार लोगों के बीच हुए उपभोक्ता सर्वेक्षण से आंकड़े लिए गए. इस सर्वेक्षण में यह भी पूछा जाता है कि पिछले चार महीने में घर के किसी सदस्य की मौत हुई है या नहीं. वैज्ञानिकों ने इस बात का भी ध्यान रखा है कि सीरो सर्वेक्षणों के आधार पर संक्रमण दर का इस्तेमाल मौतों का अनुमान लगाने के लिए किया जाए.
तस्वीरों मेंः भारत में सांसों का संकट भारत के पूर्व आर्थिक सलाहकार अरविंद सुब्रमण्यन के नेतृत्व में यह शोध हुआ था. इस साल अप्रैल और मई में भारत से भयावह तस्वीरें देखी गई जब कोरोना वायरस महामारी ने भारत पर ऐसा कहर बरपाया कि न सिर्फ अस्पताल और ऑक्सीजन सिलेंडर कम पड़ गए बल्कि श्मशान घाटों और कब्रिस्तानों में अंतिम संस्कार के लिए शवों की कतारें नजर आईं. असल तस्वीर कहीं ज्यादा भयानक रिपोर्ट कहती है कि “यह एक त्रासद सच्चाई है कि मरने वालों की संख्या हजारों में नहीं बल्कि लाखों में है.”
हालांकि रिपोर्ट लिखने वालों ने स्पष्ट किया कि जरूरी नहीं आधिक्य मौतें सिर्फ कोविड से ही हुई हों. उन्होंने कहा, “हम मरने की सभी वजहों की गणना कर रहे थे. और हमने महामारी से पहले की मौतों के औसत से तुलना के आधार पर अनुमान लगाया है.” भारत सरकार ने इस रिपोर्ट पर फिलहाल कोई टिप्पणी नहीं की है. कुछ विशेषज्ञों का कहना है कि कोविड-19 से हुई मौतों का सही अनुमान लगाने के लिए आधिक्य मौतें सबसे सही तरीका है.
विश्व स्वास्थ्य संगठन की मुख्य वैज्ञानिक सौम्या स्वामीनाथन ने ट्विटर पर कहा, “हर देश के लिए यह जरूरी है कि आधिक्य मौतों का अनुमान लगाए. भविष्य में अधिक मौतें रोकने और अपनी स्वास्थ्य व्यवस्था को झटकों के लिए तैयार रखने का यही रास्ता है.” तस्वीरों मेंः संकट के समय भारत के साथ दुनिया न्यू यॉर्क टाइम्स अखबार ने एक रिपोर्ट में कहा है कि यदि भारत में बहुत तंग अनुमान भी लगाया जाए तो छह लाख मौतें हुई हैं और बुरी से बुरी स्थिति का अनुमान तो कई गुना ज्यादा है. भारत सरकार इन आंकड़ों को खारिज कर चुकी है. देश में अब तक सिर्फ आठ फीसदी वयस्कों को ही वैक्सीन की दोनों खुराक मिली हैं, जिस कारण कोरोना की तीसरी लहर को लेकर डर जाहिर किया जा रहा है.