‘भाजपा ने जेब काटकर पेट पर मारी लात’, महंगाई और रोजगार को लेकर प्रियंका ने बोला हमला

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नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) और मंहगाई को लेकर कांग्रेस लगातार सरकार पर निशाना साध रही है। वहीं खाद्य उत्पादों और ईंधन की कीमतों में आए उछाल के कारण दिसंबर में खुदरा महंगाई दर पांच सालों के उच्चतम स्तर पर पहुंच गई है। जिसे लेकर प्रियंका गांधी ने केंद्र सरकार पर गरीबों की जेब काटकर उनके पेट पर लात मारने का आरोप लगाया है।

कांग्रेस महासचिव ने ट्विटर पर लिखा, ‘सब्जियां, खाने पीने की चीजों के दाम आम लोगों की पहुंच से बाहर हो रहे हैं। जब सब्जी, तेल, दाल और आटा महंगा हो जाएगा तो गरीब खाएगा क्या? ऊपर से मंदी की वजह से गरीब को काम भी नहीं मिल रहा है। भाजपा सरकार ने तो जेब काट कर पेट पर लात मार दी है।’

प्रधानमंत्री महंगाई पर जवाब दें, सर्वदलीय बैठक बुलाएं: कांग्रेस

वहीं कांग्रेस ने नरेंद्र मोदी सरकार पर तीखा हमला बोला और कहा कि इस मामले पर प्रधानमंत्री जवाब दें तथा सर्वदलीय बैठक बुलाकर मंहगाई कम करने की रूपरेखा बताएं। पार्टी के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने आरोप लगाया कि शासन नहीं विभाजन भाजपा का नया नारा बन गया है।

उन्होंने संवाददाताओं से कहा कि मोदी सरकार ने महंगाई और बेरोजगारी के रूप में देश को दो बड़े धोखे दिए हैं। खाने पीने की वस्तुएं महंगी हो गई हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कहते थे अबकी बार महंगाई पर वार, अब वह चुप बैठे हैं। उन्होंने दावा किया कि महंगाई डायन की तरह बढ़ती जा रही है। सब्जी के दाम बेतहाशा बढ़ गए हैं कि वह लोगों की पहुंच से बाहर हो गई है। अब तो ऐसा लगता है कि शाकाहारी होना पाप हो गया है। गरीब आदमी की जिंदगी बहुत मुश्किल हो गई है। देश की गृहणियों के लिए और भी मुश्किल हो गई है। कांग्रेस नेता ने यह भी कहा कि पिछले एक साल में 50 लाख नौकरियां चली गई है।

सुरजेवाला ने कहा कि प्रधानमंत्री तत्काल विपक्षी दलों की बैठक बुलाएं और देश को विश्वास में लें। वह बताएं कि 30 दिन में महंगाई कम करने की रूपरेखा क्या है।

चिदंबरम ने रोजगार को लेकर सरकार पर बोला हमला

वहीं कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री पी चिदंबरम अर्थव्यवस्था को लेकर मोदी सरकार पर हमला किया है। उन्होंने कहा कि यदि बेरोजगारी बढ़ती है और आय घटती है तो युवाओं और विद्यार्थियों में गुस्से की भावना उत्पन्न होने का खतरा है।

कांग्रेस नेता ने ट्वीट कर कहा, ‘देश सीएए और एनपीआर के विरोध में लगा हुआ है। दोनों एक स्पष्ट और वर्तमान खतरे को प्रस्तुत कर रहा है। यदि बेरोजगारी इसी तरह बढ़ती है और लोगों की आय में कमी आती है तो युवाओं और विद्यार्थियों में गुस्से की भावना उत्पन्न होने का खतरा है। खाद्य मुद्रास्फीति 14.12 प्रतिशत है। सब्जियों की कीमतें 60 प्रतिशत तक बढ़ी हैं। प्याज की कीमतें 100 रुपये प्रति किलोग्राम से अधिक हैं। यही भाजपा द्वारा किए गए अच्छे दिनों का वादा है।’

पांच सालों के उच्चतम स्तर पर पहुंची खुदरा महंगाई

खाद्य उत्पादों और ईंधन की कीमतों में आए उछाल से दिसंबर में खुदरा महंगाई दर ने सभी अनुमानों को पीछे छोड़ दिया। सरकार की ओर से सोमवार को जारी आंकड़ों में दिसंबर में उपभोक्ता आधारित खुदरा महंगाई (सीपीआई) दर नवंबर के मुकाबले करीब 2 फीसदी ज्यादा रही है। इस दौरान खाद्य कीमतों की महंगाई दर 14.12 फीसदी रही।
आंकड़ों के अनुसार, खुदरा महंगाई दर पिछले पांच महीनों से लगातार बढ़ रही है और दिसंबर में 7.35 फीसदी पहुंच गई।रिजर्व बैंक ने दिसंबर की मौद्रिक समीक्षा बैठक में दूसरी छमाही के लिए महंगाई दर अधिकम 5.1 फीसदी रहने का अनुमान जताया था। वहीं, रॉयटर्स के एक सर्वे में अर्थशास्त्रियों ने भी दिसंबर में अधिकतम महंगाई दर 6.20 फीसदी रहने की उम्मीद जताई थी। आधिकारिक आंकड़ों ने इन अनुमानों को पीछे छोड़ दिया, क्योंकि खुदरा महंगाई दर नवंबर के 10.01 फीसदी के मुकाबले 14.12 फीसदी पर पहुंच गई है।

60 फीसदी से ऊपर सब्जियों की महंगाई

आंकड़ों की मानें तो प्याज, टमाटर और अन्य सब्जियों की कीमतों में दिसंबर में काफी इजाफा हो गया है। इसका खुदरा महंगाई पर सबसे ज्यादा असर हुआ। अक्तूबर मेंसब्जियों की महंगाई दर जहां 26 फीसदी थी, वहीं नवंबर में बढ़कर 36 फीसदी हो गई। दिसंबर में इसमें बेतहाशा बढ़ोतरी आई और सब्जियों की महंगाई दर 60.5 फीसदी हो गई। इसके अलावा पेट्रोल-डीजल के दामों में बढ़ोतरी का भी खुदरा महंगाई पर असर हुआ।

मार्च तक रहेगी मार, नहीं घटेगा रेपो रेट

एक्सिस कैपिटल के मुख्य अर्थशास्त्री पृथ्वीराज श्रीनिवास ने कहा, मार्च 2020 तक खुदराम महंगाई के औसतन 6.5 फीसदी पर बने रहने का अनुमान है। ऐसे में फरवरी में होने वाली आरबीआई की मौद्रिक समीक्षा बैठक में रेपो रेट घटाना मुमकिन नहीं होगा। उन्होंने कहा कि बजट से पहले आए महंगाई के आंकड़े काफी महत्वपूर्ण हो सकते हैं।

लगातार बढ़ी है खुदरा महंगाई

महीना दर (फीसदी में)
जुलाई 3.15
अगस्त 3.28
सितंबर 3.99
अक्टूबर 4.62
नवंबर 5.54

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