अभी तक कानपुर में जितने ब्लैक फंगस के रोगी मिले हैं, उनके किसी की सांस की नली और फेफड़ों में संक्रमण नहीं पहुंचा। सभी रोगियों के नाक से ब्लैक फंगस का संक्रमण साइनस पर चढ़ा और आंखों को प्रभावित किया। इसके साथ ही कुछ रोगियों के मस्तिष्क पर भी संक्रमण पहुंचा है।
ब्लैक फंगस के रोगियों के सैंपल सर्वे में यह बात सामने आई है। नेशनल कॉलेज ऑफ चेस्ट फिजीशियन इंडिया कोविड के बाद ब्लैक फंगस की बीमारी के फैलाव पर नजर रख रहा है। संस्था के सेंट्रल जोन के चेयरमैन डॉ. एसके कटियार ने बताया कि अभी तक एक भी रोगी ऐसा नहीं आया है, जिसके फेफड़ों और रेस्पेरेटरी ट्रैक (श्वसन नली) में ब्लैक फंगस का संक्रमण हो।
इसी तरह डॉ. मुरारी लाल चेस्ट हॉस्पिटल के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. अवधेश कुमार ने बताया कि कोविड रोगियों में ब्लैक फंगस का चेस्ट इंफेक्शन नहीं मिला है। हालांकि कोविड के ज्यादातर रोगी जो ब्लैक फंगस से संक्रमित मिले हैं, उन्हें ऑक्सीजन लगी थी। विशेषज्ञों का कहना है कि ऑक्सीजन से ब्लैक फंगस का संक्रमण नहीं जा रहा है। नाक में लगने वाली नली की ढंग से सफाई न होने से संक्रमण हो सकता है। इससे नली को डिस्टिल वॉटर से साफ किया जाए।