मरीजों को मौत के मुंह में धकेलकर मुनाफा कमाने वाले मौत के सौदागरों ने सैकड़ों लोगों को नकली एमफोनेक्स इंजेक्शन (एम्फोटेरेसिन बी साल्ट) बेचे। इनमें से कानपुर, वाराणसी के अलावा शहर के भी कई लोग शामिल थे। इस बात का खुलासा हिरासत में लिए गए दो मेडिकल स्टोर संचालकों से पूछताछ में हुआ है। पता चला है कि कानपुर में पकड़े गए तस्करों का शिकार एसआरएन के एक डॉक्टर भी हुए, जिन्हेें दो लाख रुपये लेकर 30 नकली इंजेक्शन थमा दिए गए थे। पकड़ा गया एक मेडिकल स्टोर संचालक खुद को कैबिनेट मंत्री का करीबी बताता था। जिला पुलिस इस बात का पता लगाने में जुटी है कि तस्कर गिरोह ने शहर में कहां-कहां नकली इंजेक्शन बेचे और इस गोरखधंधे में कितने और कौन लोग शामिल हैं।
नकली इंजेक्शन बेच जाने के खेल का खुलासा दो दिन पहले कानपुर में तस्कर गिरोह के दो सदस्यों ज्ञानेश शर्मा व प्रकाश मिश्रा के पकड़े जाने के बाद हुआ था। जिनके कब्जे से 60 से ज्यादा नकली इंजेक्शन बरामद हुए थे। पूछताछ में पता चला कि नकली इंजेक्शन की तस्करी में शहर के नैनी स्थित ऑबलीगो मेडिकल स्टोर व हिम्मतगंज स्थित बाजपेयी मेडिकल स्टोर के संचालक पंकज अग्रवाल व मधुरम बाजपेयी भी शामिल थे। जिस पर पुलिस ने दोनों को हिरासत में ले लिया था। सूत्रों के मुताबिक, दोनों से पूछताछ में कई अहम खुलासे हुए। बताया कि तस्कर गिरोह ने न सिर्फ कानपुर, बल्कि वाराणसी के साथ ही प्रयागराज में भी कई लोगों को नकली इंजेक्शन बेचे थे। इसी में से एक शहर के स्वरूप रानी नेहरू (एसआरएन) अस्पताल में तैनात डॉक्टर भी थे।
रसूख वाला है पंकज, खुद को बताता था मंत्री का करीबी
नकली इंजेक्शन की तस्करी में हिरासत में लिया गया नैनी स्थित ऑबलीगो केमिस्ट का संचालक पंकज अग्रवाल रसूख वाला है। उसका कई बड़े नेताओं से मिलना जुलना था। वह खुद को कैबिनेट मंत्री नंद गोपाल गुप्त नंदी का बेहद करीबी बताता था और अपने फेसबुक अकाउंट पर मंत्री के साथ अपनी कई तस्वीरें भी उसने पोस्ट कर रखी हैं। इसके अलावा सपा सुप्रीमो मुलायम सिंह यादव के साथ वाली भी अपनी तस्वीर उसने फेसबुक पर लगा रखी है। हालांकि अपने रसूख की आड़ में वह गोरखधंधे में भी लिप्त रहता था। ऐसे ही एक मामले में पिछले साल उसे तीन महीने के लिए जेल में भी रहना पड़ा था।
सात हजार प्रति इंजेक्शन पर तय किया था सौदा
सूत्रों के मुताबिक, दोनों संचालकों से पूछताछ में पता चला कि कानपुर के तस्करों ने एसआरएन डॉक्टर से सात हजार रुपये प्रति वायल के हिसाब से इंजेक्शन का सौदा तय किया था। दो लाख रुपये लेकर डॉक्टर को 30 वायल उपलब्ध कराए थे। दरअसल बीएचयू में भर्ती डॉक्टर के एक करीबी रिश्तेदार ब्लैक फंगस से पीड़ित थे, जिन्हें एमफोनेक्स इंजेक्शन लगने थे। सोशल मीडिया पर दिए नंबर पर संपर्क करने पर तस्करों ने उन्हें झांसे में ले लिया। हालांकि इंजेक्शन की डिलीवरी के लिए उन्हें कानपुर बुलाया। बाद में इंजेक्शन नकली होने की बात पता चलने पर डॉक्टर के पैरों तले जमीन खिसक गई। अफसोसजनक पहलू यह भी रहा कि डॉक्टर के रिश्तेदार की जान भी नहीं बच सकी।
खंगाले जा रहे तस्करों के संपर्क
हिरासत में लिए गए मेडिकल स्टोर संचालकों से पूछताछ में मिली जानकारी के बाद पुलिस इस बात का पता लगाने में जुट गई है कि तस्कर गिरोह ने शहर में कहां-कहां नकली इंजेक्शन की सप्लाई की। दरअसल पूछताछ में यह बात भी सामने आई है कि तस्करों ने डॉक्टर को यह भी कहा था कि वह उन्हें एसआरएन अस्पताल के पास से भी इंजेक्शन उपलब्ध करा सकते हैं। ऐसे में यह पता लगाया जा रहा है कि एसआरएन या अन्य अस्पतालों की किन दुकानों के संचालकों से तस्करों का संपर्क था।
पंकज ने ज्ञानेश को दिलवाए थे 97 हजार के इंजेक्शन
सूत्रों के मुताबिक, मेडिकल स्टोर संचालकों से पूछताछ में एक और अहम खुलासा हुआ है। पता चला है कि पंकज अग्रवाल ने कानपुर में नकली इंजेक्शन के साथ पकड़े गए तस्करों ज्ञानेश व प्रकाश को लखनऊ स्थित मेडिकल एजेंसी से 97 हजार रुपये के नकली इंजेक्शन दिलवाए थे। जिसके पैसे ज्ञानेश ने हिरासत मेें लिए गए मधुरम के जरिये पंकज तक भिजवाए थे। दरअसल मधुरम पहले कानपुर में ज्ञानेश के साथ ही रहता था। बाद में वह प्रयागराज आकर एक मेडिकल स्टोर में काम करने लगा। इसी दौरान वह पंकज के संपर्क में आया और फिर गोरखधंधे में जुट गया।