एक तरफ सरकार खाली पदों पर बंपर भर्ती की तैयारी कर रही है, दूसरी तरफ रोडवेज में तकनीकी पदों पर चयनित 24 युवा एक साल से ज्यादा समय से ज्वाइंनिंग के लिए भटक रहे हैं। वे मंत्रियों और अफसरों के चक्कर काटकर थक चुके हैं। सरकारी नौकरी मिलने की आस में कई युवाओं ने प्राइवेट नौकरी भी छोड़ी दी थी, अब कोरोना संकट के चलते उनको प्राइवेट नौकरी भी नहीं मिल पा रही है। उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग ने 2017 में टायर निरीक्षक, मैकेनिक, सहायक मकेनिक, सहायक भंडारपाल के 54 पदों पर विज्ञप्ति निकाली। लिखित परीक्षा के बाद सितंबर 2019 में चयनित अभ्यर्थियों के प्रमाणपत्रों का सत्यापन हुआ। 15 जून 2020 में अधीनस्थ सेवा चयन आयोग ने चयनित अभ्यर्थियों की सूची रोडवेज को भेजी। रोडवेज की ओर से युवाओं को ज्वाइनिंग दी जानी थी, लेकिन एक साल बाद भी अभी तक ज्वाइनिंग नहीं मिल पाई। युवा दर-दर भटकने को मजबूर हैं।
केस 1:हरिद्वार के शिवालिक नगर निवासी सत्यदेव का टायर निरीक्षक पद पर चयन हुआ है। सत्यदेव ने बताया कि जब उनका चयन हुआ तो उन्होंने यह सोचकर सिडकुल से प्राइवेट नौकरी छोड़ दी थी कि अब उनको सरकारी नौकरी मिल गई। जब कई महीनों के बाद भी ज्वाइनिंग नहीं मिली तो दोबारा प्राइवेट नौकरी के लिए तलाश रहे हैं, लेकिन कोरोना संकट के चलते प्राइवेट नौकरी भी नहीं मिल पा रही है। अब ओवरऐज हो गए हैं। अन्य प्रतियोगी परीक्षाओं में भी प्रतिभाग नहीं कर पा रहे हैं।
केस 2: ऊधमसिंह नगर खटीमा का रहने वाले नीरूद्दीन का चयन सहायक भंडारपाल पद हुआ। बताते हैं तब से ज्वाइनिंग मिलने का इंतजार कर रहे हैं। पहले पॉलीटेक्निक कॉलेज में नौकरी करते थे, वहां भी नौकरी भी छोड़ दी। अब कोरोना के कारण नौकरी नहीं मिल पा रही है। सरकार के साथ रोडवेज प्रबंधन से भी कई बार ज्वाइनिंग देने की मांग कर चुके हैं, लेकिन हर बार आश्वासन ही मिलता है। अन्य भर्तियों की भी तैयारी नहीं कर पा रहे हैं। सरकार इस पर जल्द कार्रवाई करे।
केस 3: पौड़ी निवासी कुलदीप रावत ने बताया कि उनका चयन सहायक भंडारपाल पद पर हुआ। दून के एक निजी कॉलेज में शिक्षक थे। कोरोना काल में वहां भी नौकरी नहीं चल रही। आजकल घर पर ही हैं। ज्वाइनिंग मिलने की उम्मीद लगाए हैं। कई बार रोडवेज के अधिकारियों से भी मिल चुके हैं। जब सरकार ने भर्ती निकाली है तो ज्वाइनिंग भी समय पर देनी चाहिए। ऐसे में हमारा भविष्य अधर में लटका हुआ है। सरकार को जल्द इस मामले में कार्रवाई करनी चाहिए
मंत्री-अधिकारियों के काट रहे चक्कर
चयनित युवाओं का कहना है कि ने इस मामले में तत्कालीन मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत, तत्कालीन शहरी विकास मंत्री मदन कौशिक, परिवहन मंत्री यशपाल आर्य, उस समय के भाजपा प्रदेश अध्यक्ष वंशीधर भगत के साथ ही परिवहन सचिव रहे शैलेश बगोली, रोडवेज एमडी और महाप्रबंधक दीपक जैन से कई बार मिले, लेकिन आश्वासन के सिवाय अभी तक कुछ नहीं मिल पाया।