बिहार में बनने वाले बाईपास व फ्लाईओवरों के लिए पथ निर्माण विभाग ने गाइडलाइन जारी कर दी है। सड़क या फ्लाईओवर चिह्नित होते ही अविलंब उसकी डीपीआर बनेगी। अगर एलिवेटेड की जरूरत होगी तो बिहार राज्य पुल निर्माण निगम डीपीआर बनाएगा। 28 फरवरी तक सभी डीपीआर विभाग को भेजने को कहा गया है। 2021-22 और 2022-23 में सभी बाईपास को मंजूरी मिल जाएगी। निर्माण कार्य 2023-24 में पूरा कर लिया जाएगा।
नीतीश सरकार के सात निश्चय-दो के तहत बनने वाले बाईपास और फ्लाईओवरों को लेकर बीते चार जनवरी को ही पथ निर्माण विभाग ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के समक्ष प्रेजेंटेशन दिया था। राज्य के विभिन्न इलाकों में लगने वाले जाम की समस्या से निजात दिलाने के लिए 120 बाईपास बनाए जाने हैं। इसी के आलोक में विभाग के अपर मुख्य सचिव अमृत लाल मीणा ने आवश्यक दिशा-निर्देश जारी किया है। इसके अनुसार जहां-जहां बाईपास बनाए जाने हैं, कार्यपालक अभियंता खुद निरीक्षण करेंगे। निरीक्षण में देखा जाएगा कि वहां बाईपास के लिए सड़क बनाया जाना आसान होगा या फ्लाईओवर। इंजीनियरिंग दृष्टि से कम पैसे में जो बनेगा, उसी का निर्माण होगा।
सुलभ सम्पर्कता के तहत होने वाले इन कार्यों के लिए जारी पत्र में मुख्य अभियंता, अधीक्षण अभियंता व कार्यपालक अभियंताओं को अविलंब इस पर अमल करने को कहा गया है। पत्र के अनुसार पहले चरण में आई डीपीआर को शीघ्र मंजूर किया जाएगा। दूसरे चरण में आने वाली डीपीआर की मंजूरी अगले वित्तीय वर्ष में दी जाएगी। विभाग की योजना है फरवरी तक बाईपास योजना पर काम शुरू हो जाए, ताकि प्रशासनिक स्वीकृति देते हुए अगले वित्तीय वर्ष में निविदा प्रकाशित हो सके। पत्र के अनुसार बाईपास की चौड़ाई कम से कम सात मीटर होगी।
ग्रामीण कार्य, नगर निकाय और जल संसाधन के प्रस्तावित सड़कों में जमीन नहीं होने पर जमीन अधिग्रहण किया जाएगा। जहां भी नई सड़क बनाने की आवश्यकता होगी, वहां 30 मीटर जमीन अधिग्रहण होगा। जबकि पूर्व से बनी सड़कों में 14 मीटर जमीन पर्याप्त मानी जाएगी। कार्यपालक अभियंता हर रोज इस कार्य की समीक्षा करेंगे। प्रारम्भिक प्रतिवेदन जनवरी 2021 तक तैयार हो जाएगा। 2022-23 में इस योजना को वार्षिक कार्ययोजना में शामिल किया जाएगा।
ठेकेदारों की समस्याओं का ऑनलाइन समाधान
पथ निर्माण ने ठेकेदारों को होने वाली समस्याओं के लिए ऑनलाइन प्लेटफॉर्म उपलब्ध कराया है। विभाग की ओर से एक ऑनलाइन पोर्टल उपलब्ध कराया गया है जिसमें वे अपनी लंबित समस्याओं को दर्ज करा सकेंगे। विभाग के सभी पदाधिकारी उसे देखेंगे। एजेंसियों की समस्याओं के निबटारे में देरी करने वाले अधिकारियों पर विभाग ने कार्रवाई करने के उद्देश्य से एजेंसियों को यह सुविधा दी है।