बिहार: छह करोड़ बैंक खाते आज तक नहीं जुड़े मोबाइल और आधार से, नहीं मिल रहे सरकारी लाभ

बिहार में छह करोड़ बैंक खाते ऐसे हैं, जो न तो मोबाइल से जुड़े हैं और न ही आधार से। इसमें सामान्य खातों के साथ ही जनधन और नो फ्रिल (जीरो बैलेंस पर खोले जाने वाले) खाते भी शामिल हैं। बैंकों द्वारा लगातार मैसेज भेजे जाने के बावजूद ये खाते मोबाइल और आधार से लिंक नहीं हो पाए हैं। इस कारण नेट बैंकिंग, मोबाइल बैंकिंग, आरटीजीएस सहित तमाम सेवाओं का लाभ ऐसे खाताधारक नहीं ले पा रहे। इसके अलावा केंद्र और राज्य सरकार द्वारा खातों में सीधे भेजे जाने वाले लाभ से भी ऐसे लोग वंचित हो रहे हैं।

राज्य में इस साल 31 मार्च तक कुल खाता धारकों की बात करें तो इनकी संख्या 10 करोड़ 07 लाख 25 हजार 225 है। इनमें से 06 करोड़ 31 लाख 99 हजार 362 लोगों के बैंक खाते ही अभी तक मोबाइल नंबर से जुड़े हैं। यह आंकड़ा 62.74 फीसदी है। जबकि आधार नंबर से जुड़े खातों की संख्या 08 करोड़ 05 लाख 69 हजार 386 है। यह संख्या कुल खातों की 79.9 प्रतिशत है। यानि राज्य में पौने चार करोड़ खाते मोबाइल से और दो करोड़ से अधिक आधार से लिंक नहीं हैं।

डिजिटल बैंकिंग की नहीं बढ़ पा रही रफ्तार

केंद्र सरकार का जोर डिजिटल बैंकिंग पर है। सरकार और रिजर्व बैंक की सोच है कि लोगों को बैंकिंग से जुड़े तमाम कार्यों के लिए बैंक शाखा तक कम से कम जाना पड़े। अधिकांश कार्य वो घर बैठे अपने मोबाइल, लैपटॉप आदि के जरिए कर सकें। मगर राज्य में करोड़ों खातों के मोबाइल और आधार नंबर से जुड़ा न होने के कारण यहां डिजिटल बैंकिंग के अभियान को धक्का लग रहा है।

फेल हो जाते हैं ट्रांजेक्शन

मोबाइल और आधार से खातों के न जुड़ने के कारण लोगों के साथ ही बैंकों को भी दिक्कत हो रही है। डीबीटी (डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर) के जरिए केंद्र और राज्य सरकार द्वारा सीधे खातों में भेजी जाने वाली राशि आधार से खाता लिंक न होने के कारण ट्रांसफर नहीं हो पाती। ट्रांजेक्शन फेल हो जाते हैं। इसके अलावा नेफ्ट, आरटीजीएस, एक से दूसरे बैंक के खाते में धनराशि भेजने, मोबाइल और नेट बैंकिंग सहित तमाम अन्य बैंकिंग सुविधाओं का प्रयोग ऐसे खाताधारक नहीं कर सकते। हालांकि बैंकों द्वारा केवाईसी अपडेट करने के लिए ग्राहकों को लगातार संदेश भेजे जा रहे हैं।

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