बिहार के पूर्व राज्यपाल एवं वरिष्ठ कांग्रेस नेता सरदार बूटा सिंह का शनिवार को निधन हो गया। वह 86 वर्ष के थे। बूटा सिंह ने आठ बार लोकसभा चुनाव जीता था। उन्होंनें केंद्रीय मंत्री के रूप में गृह, कृषि, रेल और संचार तथा अन्य महत्वपूर्ण मंत्रालयों के साथ ही साल 2004 से लेकर 2006 तक बिहार के राज्यपाल का दायित्व संभाला था। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बूटा सिंह के निधन पर गहरा शोक व्यक्त किया है। अपने शोक संदेश में सीएम नीतीश ने कहा कि देश ने एक वरिष्ठ नेता को खो दिया। बूटा सिंह को 2005 में बिहार विधानसभा भंग करने के कारण आलोचना का सामना करना पड़ा था। सुप्रीम कोर्ट ने बूटा सिंह के कदम की तीखी आलोचना की थी।
21 मार्च 1934 को पंजाब में जालंधर जिले के मुस्तफापुर गांव में जन्मे बूटा सिंह राजनीति में आने से पहले पत्रकारिता से जुड़े थे। उन्होंने अकाली दल की ओर से पहला चुनाव जीता था और बाद में वह कांग्रेस में शामिल हो गये। दलितों और गरीबों की सशक्त आवाज के रूप में विशिष्ट पहचान बनाने वाले पूर्व केंद्रीय मंत्री बूटा सिंह ने अकाली दल से राजनीतिक जीवन शुरू किया और नेहरू काल में कांग्रेस का दामन थामा तथा देश के चार प्रधानमंत्रियों के साथ काम करके अपनी दक्षता का परिचय दिया।
बूटा सिंह ने प्रारंभिक शिक्षा जालंधर से हासिल करने के बाद मुंबई से स्नातकोत्तर उपाधि ली और फिर बुंदेलखंड से डॉक्टरेट की डिग्री हासिल की। राजनीति में आने से पहले उन्होंने एक पत्रकार के रूप में भी काम किया। उन्होंने अपना पहला चुनाव अकाली दल के सदस्य के रूप में लड़ा लेकिन पंडित जवाहरलाल नेहरू के समय बूटा सिंह पहली बार तीसरी लोकसभा के लिए पंजाब के साधना निवार्चन क्षेत्र से सांसद बने।
कांग्रेस परिवार के बहुत क़रीबी रहे बूटा सिंह ने देश के चार प्रधानमंत्रयों के साथ काम किया। सबसे पहले वह इंदिरा गांधी के मंत्रिमंडल में खेल मंत्री रहे फिर पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने उन्हें पहले देश का गृहमंत्री बनाया। नरसिम्हा राव के समय वह खाद्य मंत्री रहे और मनमोहन सिंह के कार्यकाल में उन्होंने राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग का अध्यक्ष बनाया गया। वह इंदिरा गांधी के शासन में एशियाई खेलों के आयोजन समिति के भी अध्यक्ष थे।