कोरोना वायरस से पीड़ित मरीजों की बढ़ती संख्या और सीमित होते जाते अस्पतालों में बेड की सुविधा को देखते हुए तैनात मजिस्ट्रेट अब अलार्म कंडीशन होने की जानकारी देने लगे हैं। अस्पतालों में तैनात ज्यादातर मजिस्ट्रेट अब मरीजों को भी भर्ती कराने से हाथ खड़ा कर दिए हैं। उनका कहना है कि अस्पतालों में बेड की काफी कमी हो गई है, जिससे वह चाह कर भी कुछ नहीं कर पा रहे हैं।
सोमवार को एनएमसीएच गेट पर पांच एंबुलेंस मरीज प्रतीक्षा कर रहे थे कि अंदर कब बेड खाली हो तो उनका एंबुलेंस अस्पताल परिसर में जाए। वहां तैनात मजिस्ट्रेट ने सभी एंबुलेंस का मुआयना किया। ज्यादातर मरीज को एंबुलेंस में ही ऑक्सीजन लगा हुआ था। एंबुलेंस में 60 वर्षीय धर्मेंद्र प्रसाद का पुत्र मजिस्ट्रेट को देखकर कहा कि किसी तरह भर्ती करा दीजिए। जब मजिस्ट्रेट ने असमर्थता जाहिर की तो उसने कहा कि एंबुलेंस को यहां से हटाएंगे नहीं, अस्पताल के गेट पर ही कम से कम मेरे पिताजी को मरने दीजिए।
मजिस्ट्रेट भावुक हो गए तथा अस्पताल प्रबंधन से भर्ती के लिए आग्रह किया लेकिन ऑक्सीजन युक्त सभी बेड फुल हो चुके थे। मजिस्ट्रेट का कहना है कि इसकी जानकारी उन्होंने अस्पताल में राज्य सरकार द्वारा तैनात नोडल अधिकारी को दी लेकिन वह भी बेड नहीं होने की स्थिति में कुछ नहीं कर पाए। मरीज को एंबुलेंस में ऑक्सीजन सिलेंडर लगा हुआ था जबकि अस्पताल में सामान्य बेड खाली पड़े हुए थे। ऐसी स्थिति में सामान्य बेड पर रखने पर मरीज को दिक्कत हो सकती थी। इसलिए मजिस्ट्रेट ने भी मरीज के परिजन से मदद नहीं करने की असमर्थता जाहिर कर दी।
इतना ही नहीं उसने इसकी सूचना जिला प्रशासन के सभी वरीय अधिकारियों को भी दी। इसी प्रकार सगुना मोड़ स्थित दो बड़े प्राइवेट अस्पताल में भी बेड नहीं होने की स्थिति में मजिस्ट्रेट ने अपने वरीय अधिकारियों को सूचना दी है। कमोबेश शहर के सभी बड़े प्राइवेट अस्पतालों के लिए तैनात किए गए मजिस्ट्रेट अब धीरे-धीरे बेड नहीं होने की स्थिति में असमर्थता जाहिर करने लगे हैं।