लखनऊ । प्रदेश की सियासत की सबसे चर्चित और विवादित सीट बलिया सदर की है । यादव परिवार में मची घमाशान के बीच शिवपाल सिंह के साथ खड़े रहे नारद राय को सबक सिखाने के लिए अखिलेश यादव ने व्यूह रच दिया है । सदर सीट को अखिलेश यादव कांग्रेस गठबन्ध के लिए छोड़कर एक तीर से कई शिकार करने की रणनीत बनाए है । अखिलेश नारद को टिकट देना भी नही चाह रहे है और टिकट काटकर नारद समर्थक के विरोध का सामना भी नही करना चाहेंगे । अखिलेश के इस कदम से एक मुहाबरा किसांप भी मर जाए लाठी भी नही टूटे वही कहावत बलिया सदर की सीट पर सटीक बैठरहा है ।
सूत्रों की माने सपा से नारद की टिकट काटा जाता है तो सपा नही छोड़ेंगे बल्कि नारद राय निर्दल चुनाव मैदान में उतर सकते है । जब इस सीट को सपा गठबन्ध में कांग्रेस के लिए छोड़ देगी तो राय के लिए मुश्किल हो सकता है । बगावत करेगे तो नुकशान होना तय है । टिकट कटेगी तो जनता की सिम्पैथी और आक्रोश के चलते निर्दल चुनाव लड़कर चुनाव जीत सकते है । क्योंकि बलिया की जनता बागी को सर आखो बैठाती है । नारद राय में वह काबिलियत है कि सहानुभूति की रुख अपनी तरफ मोड़ सकते है ।
काग्रेस से गठ्बन्धन से पूर्व ही सपा अपने हिस्से से ज्यादा प्रत्याशी मैदान में उतार चुकी है | खबर यह है की जिन प्रत्याशी को सपा उम्मीदवार बनाई है उन्हें काग्रेस की सिम्बल से चुनाव लड़ाया जा सकता है | जहा काग्रेस चाहेगी उसी सीट के प्रत्याशी का टिकट कट सकता है | सपा अपनी तरफ से बलिया सदर और बेल्थरा की सीट काग्रेस के लिए छोड़ने पर राजी हो गई है |