बलिया में स्टेट बैक के पास कैश नही है तो आप अंदाजा लगा सकते है की अन्य बैको और पोस्ट आफिस घरो का क्या हाल होगा | जो पैसा जमा हो रहा है उसी से लोगो को बैक वाले रुपया दे रहे है | शादी व्याह के लिए अपनी कमाई का पैसा निकालने में हो रही परेशानियों से लोगो के सब्र का बान्ध टूटने लगा है | अब लोग पीएम मोदी के फैसले को बिना तयारी के लिया गया निर्णय बता रहे है | जिससे आम लोगो को परेशानियों के अलावा फायदा होता अभी तक दिख नहीं रहा है |
नोटबंदी के बाद से अबतक कैश की किल्लत से जिले के बैक और पोस्ट आफिस नहीं उबर पा रहे हैं। यूं तो ग्रामीण बैंकों में भी कैश की भारी किल्लत लगातार बनी हुई है बांसदिह स्टेट बैक में लोग अपना पेंशन और बाहर से आने वाला रुपया निकालने रोज आते है लेकिन बैक में नगदी की कमी के चलते लम्बी लाइन सुबह सर लग जाती है जब नबर आता है तो बैक आले नगदी नही है कहकर लौटा देने से लोगो के घरो में भोजन के लाले की नौबत बनती जा रही है | दूकान वाला उधार देने से मन कर रहे है |
सबसे बदतर स्थित डाकघरों की है सोमवार को तो रानीगंज बाजार स्थित पोस्टआफिस पर आलम यह था कि अपना फिक्स निकालने के लिए कई दिनों से दौड़ रहे कर्णछपरा निवासी अशोक फूट-फूटकर रोने लगे। कुछ देर को पूरा माहौल ही भावुक हो गया।
डाकघरों में ग्रामीण इलाकों के लोग अपनी मेहनत की पाई-पाई जोड़कर रखते हैं। किसी को बेटी की शादी के लिए बचाना होता है तो कोई बच्चों को बेहतर शिक्षा देने के लिए पैसे रख्ता है। आज आलम यह है कि उनका अपना जमा पैसा भी उनकी जरूरत पर नहीं मिल पा रहा है। रानीगंज बाजार स्थित डाकघर में सोमवार को ताला लटक रहा था। पोस्ट मास्टर सन्तोष कुमार बाहर बैठे थे। लोग पैसा मांग रहे थे लेकिन यहां कैश नहीं है। पैसा निकालने पहुंचे कर्णछपरा निवासी अशोक केशरी पैसे मांगते-मांगते रो पड़े। उनकी बेटी की शादी 12 फरवरी को है। दिसम्बर में ही उनकी एफडी की मियाद पूरी हो गयी। उन्हें डाकघर से 90 हजार रुपये लेने हैं। पैसे के अभाव वे शादी की तैयारी नहीं कर पा रहे हैं। लगातार डाकघर का चक्कर लगाने के बाद भी उन्हें पैसे नहीं मिल रहे।
यही हाल कर्णछपरा के स्वामीनाथ सिंह का था। इनके घर 5 फरवरी को शादी है। ढाई लाख रुपये डाकघर से लेने हैं। शांति देवी अपनी नातिनी की शादी के लिए पैसा लेने आयी थी लेकिन नहीं मिला। गोन्हियाछपरा के धुरेन्द्र राम की मां का निधन हो गया है। उनके श्राद्ध के लिए 10 हजार रुपये चाहिए थे। वही लेने आये थे लेकिन नहीं मिला। मिश्र के हाता के हरेराम मिश्र, नर्वदेश्वर मिश्र भी पैसे के लिए डाकघर आये थे। पोस्ट मास्टर का कहना है कि लगातार कैश की मांग कर रहे हैं लेकिन कोई रिस्पांस नहीं मिल रहा है। डाकघर बंद करने के सवाल पर कहा कि लोग अपना जमा पैसा मांगते हैं। जब कैश की कमी बताते हैं तो लोग मारपीट पर उतारू हो जा रहे हैं। ऐसे में डाकघर बंद करने के अलावा कोई विकल्प नहीं है।