प्याज की महंगाई से नानवेज का बाजार भी गिर गया है। मटन के कारोबारियों ने स्वीकार किया है कि प्याज की महंगाई के कारण मांसाहार की बिक्री में कमी आई है। नया साल आने वाला है लेकिन प्याज की कीमत घटने की संकेत नहीं हैं। फलस्वरूप मांसाहार के साथ नए साल का जश्न मनाने वाले लोग प्याज की बढ़ी कीमतों के कारण पानी पी-पीकर सरकार को कोस रहे हैं। बैरिया, रानीगंज, लालगंज, टोला शिवन राय, रामगढ़, दोकटी सहित आसपास के चट्टी बाजारों में प्रति दिन बड़े पैमाने पर बकरे व मुर्गे का मांस सड़क पटरियों पर ही काट कर बेचा जाता है। पहले इनके खरीदारों की लंबी कतारें देखने को मिलती थी लेकिन जब से प्याज की कीमत ने शतक लगाया है, तब से मांसाहारियों की संख्या इसलिए कम हो गई है क्योंकि बिना प्याज के मांसाहारी व्यंजन स्वादिष्ट नहीं होते। हालांकि प्याज की महंगाई से जब मांसाहार की बिक्री में कमी होने की खबर सामने आई है, तब से शाकाहारी लोग थोड़ा खुश दिखाई दे रहे हैं। कहते सुने जा रहे हैं कि चलो भले के सालाद से के बीच से प्याज भी दूर हुआ।