मध्य प्रदेश के इंदौर शहर के निवासी प्रो. गोडबोले की शिक्षा-दीक्षा ग्वालियर में हुई। उन्होंने वर्ष 1980 में एम्स दिल्ली से पीएचडी की और कुछ साल वहां सीनियर रिसर्च ऑफिसर के रूप में काम किया। इसी दौरान उन्हें हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा में 60-70 के दशक में आयोडीन की कमी पर किए गए शोध की जानकारी हुई। बाद में वरिष्ठों के दिशा-निर्देशन पर उन्होंने यहां पडरौना को इसी शोध के लिए चुना।
इसी पर शोध के दौरान वर्ष 1987 में उनका चयन संजय गांधी पीजीआई के एंडोक्राइनोलॉजी विभाग में हो गया।
दो वर्ष बाद वह इसी विभाग के हेड हो गए, लेकिन आयोडीन की कमी पर उनका शोध जारी रहा। उन्होंने शोध में पाया गया कि पडरौना के लोगों में आयोडीन की कमी है।
इसी कारण वहां मंदबुद्धि बच्चों की संख्या बढ़ रही है। इस पैदाइशी दिक्कत को दूर करने के लिए वहां आयोडीन नमक खाने के लिए लोगों को जागरूक करना पड़ा।