बच्चों में ढूंढ़ी मंदबुद्धि होने की वजह, एमएम गोडबोले को पद्मश्री

संजय गांधी पीजीआई के इंडोक्राइनोलॉजी विभागाध्यक्ष पद से लगभग दो वर्ष पूर्व सेवानिवृत्त हुए प्रो. एमएम गोडबोले को पद्मश्री से सम्मानित किया जाएगा। उन्होंने पडरौना निवासियों के मंदबुद्धि होने का कारण खोजा है। mm-godbole-with-family_1485417462
 
उनके कारण ही पूर्वांचल में खड़े नमक की बिक्री को प्रतिबंधित और वहां के निवासियों को आयोडीन नमक खाने के लिए जागरूक किया गया। मौजूदा समय में गोडबोले पीजीआई के मॉलिक्युलर मेडिसिन विभाग में प्रोफेसर के पद पर कार्य कर रहे हैं।

मध्य प्रदेश के इंदौर शहर के निवासी प्रो. गोडबोले की शिक्षा-दीक्षा ग्वालियर में हुई। उन्होंने वर्ष 1980 में एम्स दिल्ली से पीएचडी की और कुछ साल वहां सीनियर रिसर्च ऑफिसर के रूप में काम किया। इसी दौरान उन्हें हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा में 60-70 के दशक में आयोडीन की कमी पर किए गए शोध की जानकारी हुई। बाद में वरिष्ठों के दिशा-निर्देशन पर उन्होंने यहां पडरौना को इसी शोध के लिए चुना।

प्रो. गोडबोले बताते हैं कि पडरौना में बाढ़ के कारण मिट्टी का आयोडीन बह जाता है। इसी कारण वहां के खाद्यान्न में इसकी कमी हो गई। नतीजतन यहां मंदबुद्धि लोगों की संख्या तेजी से बढ़ने लगी।

इसी पर शोध के दौरान वर्ष 1987 में उनका चयन संजय गांधी पीजीआई के एंडोक्राइनोलॉजी विभाग में हो गया। 

दो वर्ष बाद वह इसी विभाग के हेड हो गए, लेकिन आयोडीन की कमी पर उनका शोध जारी रहा। उन्होंने शोध में पाया गया कि पडरौना के लोगों में आयोडीन की कमी है। 

इसी कारण वहां मंदबुद्धि बच्चों की संख्या बढ़ रही है। इस पैदाइशी दिक्कत को दूर करने के लिए वहां आयोडीन नमक खाने के लिए लोगों को जागरूक करना पड़ा। 

 
 

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