जिसका गंदा पानी सीधे गोमती नदी को न केवल प्रदूषित कर रहा है बल्कि पर्यावरण संरक्षण के लिए भी खतरा बना हुआ है। इसके अलावा 15 से अधिक स्थानों पर विभिन्न नालों का पानी गोमती नदी को प्रदूषित करने का मामला अमर उजाला ने उठाया था।
इसके बाद स्वच्छ गोमती अभियान के अध्यक्ष गौतम गुप्ता और संरक्षक लालजी निषाद ने 28 सिंतबर 2016 को हाईकोर्ट में वाद दायर किया। जिसमें मुख्य सचिव, प्रमुख सचिव शहरी विकास मंत्रालय, डीएम जौनपुर और उत्तर प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को पार्टी बनाया।
जिसकी पहली सुनवाई 17 अक्तूबर 2016 को हुई। वाद दायर होने के बाद उत्तर प्रदेश नियंत्रण बोर्ड के सदस्य सचिव एससी यादव ने नवंबर 07 नवंबर 2016 को नगर पालिका के अधीशासी अभियंता को पत्र लिखा है। जिसमें स्लाटर हाउस से हो रहे जलीय प्रदूषण में रोकथाम एवं चमड़े एंव हड्डियों के स्टोरेज से उत्पन्न दुर्गंध के रोकथाम हेतु इसे रोका
जाए। उन्होंने कहा है कि जन स्वास्थ्य के हित में प्रदूषण निवारण तथा नियंत्रण अधिनियम 1974 की धारा 33 ए के अंतर्गत राज्य बोर्ड के प्रदत्त शक्तियों के अधीन एवं वर्णित तथ्यों के परिप्रेक्ष्य में सक्षम अधिकारी के अनुमोदनो परांत पशु वध शाला के विरुद्ध क्यों न आदेश तत्काल प्रभार से जारी कर संचालन को तत्काल प्रभार से बंद कर दिया जाए।