सांकरा निको। आए दिन किसी न किसी उद्योग में हादसे और उनकी खबर तत्काल बाहर आने से अब कुछ उद्योगों में मोबाइलों को लाना प्रतिबंधित किया जा रहा है। मोबाइल लाने वालों पर जुर्माना या उन्हें काम से बिना भुगतान किए हटाया जा रहा है। ऐसा ही एक मामला सिलतरा की अग्रवाल स्पंज फैक्ट्री का सामने आया है जहां मोबाइल के कारण काम से हटाए गए एमपी के चार दलित गरीब मजदूरों को भुगतान न दिए जाने से वह दाने-दाने को मोहताज होकर इधर-उधर भटक रहे हैं। न खाने को है न रहने को। न घर वापसी का किराया है उनके पास।
मध्यप्रदेश के कोतमा निवासी दलित वर्ग के चार युवक अप्रैल में यहां आए ओर उन्हें एक गॉर्ड कंपनी ने सिलतरा की एक स्पंज फैक्ट्री में सुरक्षा गार्ड की नौकरी पर रखा, पीड़ितों के मुताबिक गार्ड कंपनी उन्हें रोज 12 घंटे काम के एवज में मासिक नौ हजार पांच सौ रुपये देती थी। उन्हें कंपनी के ठेकेदार ने सोंडरा में किराए का रूम लेकर भी दिया जिसके 500 रुपए प्रतिमाह प्रति युवक के हिसाब से उनके भुगतान से काटा जाता था।
पीड़ित सूरज, शिवा, सूर्या ओगरे के मुताबिक दो अगस्त को जब वह रोज की तरह काम पर गए तो एचआर ने उनसे कहा कि एक तारीख से कंपनी में मोबाइल लाना प्रतिबंधित है फिर आप क्यों लाए। इसी बात को लेकर एचआर की एक श्रमिक से कहासुनी हो गई तो एचआर ने उसकी छुट्टी कर दी लेकिन उनका पेमेंट नहीं किया।
मामले में एचआर ने सारा दोष पीड़ितों पर मढ़ते हुए कहा कि मोबाइल पर प्रतिबंध होने के बाद भी ये लोग मोबाइल लाए थे इनमें से एक ही को जिससे बहस हुई थी उससे जाने बोला लेकिन यह चारों घर वापस चले गए। ठेकेदार इनका भुगतान करेगा। वहीं ठेकेदार का कहना है कि कंपनी पैसा देगी तो वह देंगे कंपनी नहीं देगी तो हम नहीं देंगे।