वैज्ञानिक कई दशकों से कैंसर का सही और असरकारक इलाज विकसित करने के लिए प्रयासरत हैं। अब उन्होंने इस दिशा में बड़ी सफलता मिलने का दावा किया है। उनका कहना है कि स्तन और फेफड़े के कैंसर की दवा का साथ में इस्तेमाल करने से कैंसर पर विजय पाई जा सकती है। स्तन कैंसर के इलाज के लिए पाल्बोसीक्लीब जबकि फेफड़े के कैंसर के लिए क्रिजोटिनिब नामक दवा का प्रयोग होता है। इनकी मदद से कैंसर कोशिकाओं द्वारा दवाओं के प्रति प्रतिरोधक क्षमता विकसित कर लेने की समस्या दूर हो सकेगी। ये कैंसर कोशिकाओं के बढ़ने और उनका विभाजन रोकने में भी सहायक हैं। दरअसल, पाल्बोसीक्लीब कैंसर को विकसित करने में सहायक सीडीके4 और सीडीके5 प्रोटीन को ब्लॉक कर देती है। लेकिन कैंसर कोशिकाएं सीडीके 2 प्रोटीन सक्रिय कर पाल्वोसीक्लीब के प्रति प्रतिरोधक क्षमता हासिल कर लेती हैं। वहीं क्रिजोटिनिब सीडीके 2 को निशाना बनाती है जिससे कैंसर कोशिकाओं की प्रतिरोधकता नष्ट होती है। लंदन स्थित कैंसर रिसर्च इंस्टीट्यूट के मुख्य प्रबंधक प्रोफेसर पॉल वर्कमैन ने कहा, ‘इस शोध के बाद कई तरह के कैंसर का इलाज संभव हो सकेगा।’ जब फेफड़ों के किसी भाग में कोशिकाओं की अनियंत्रित व असामान्य वृद्धि होने लगती है, तो इस स्थिति को फेफड़े का कैंसर कहते हैं। फेफड़े के कैंसर का शुरुआती दौर में पता नहीं चलता और यह अंदर ही अंदर बढ़ता जाता है। वास्तव में, फेफड़े का कैंसर फेफड़े के बाहर भी बढ़ जाता है और इसके लक्षण भी अक्सर पता नहीं चलते हैं। फेफड़े का कैंसर एक गंभीर मर्ज है, लेकिन आधुनिक मेडिकल साइंस में हुई प्रगति के कारण अब इस कैंसर से छुटकारा संभव है…