लवकुश सिंह, बलिया
आज के बच्चे कहां तक सोच सकते हैं, इस बात का अंदाजा उसके माता-पिता भी नहीं लगा सकते। कुछ ऐसा ही उदाहरण तब सामने आया जब नगर के जलालपुर निवासी एक युवक की शार्ट फिल्म ‘इश्क सलामत’ कनफ्लुएंस इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल नई दिल्ली में चयनित हुई और उसकी सूचना जब युवक राहुल कुमार तक पहुंची तो पहले युवक को इस बात पर यकीन ही नहीं हुआ लेकिन जब वेबसाइट पर देखा तो उसके खुशी का ठिकाना नहीं रहा। कनफ्लुएंस इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल नई दिल्ली-2019 में दुनिया भर से चयनित होने की दौड़ में लगभग 300 फिल्में शामिल थी, जिसमें टॉप 30 को चयनित किया गया। इसमें 12 फिल्में भारत से हैं और बाकी की 18 फिल्में अन्य देशों की चयनित हुई हैं। देश की 12 फिल्मों में बलिया के युवक राहुल कुमार के द्वारा निर्मित शार्ट फिल्म ‘इश्क सलामत’ भी शामिल है।
इस फिल्म की कथा यूपी बोर्ड इंटर की शार्ट स्टोरी किताब की एक कहानी पेन पाल यानी पत्र मित्र से मिलती-जुलती है। जिस तरह पेन पाल में लेखक जी. श्रीनिवास राव 21 वर्ष की आयु के कालेज के विद्यार्थी हैं। एक दिन उन्हें एक प्रसिद्ध पत्रिका में कुछ ऐसे लोगों के पते मिलते हैं जो मित्र बनाना चाहते थे। लेखक पहले भी देखते थे कि उनके अन्य मित्रों के पास हवाई डाक से भारी-भारी पैकेट आते थे, इसलिए उन्होंने भी लॉस एंजिल्स की ऐलिस एच नामक एक स्त्री को चुना। अपना प्रथम पत्र एक गुलाबी रंग के कागज पर लिखा। उन्होंने सुना था कि युवतियों को गुलाबी रंग ज्यादा पसंद होता है। डरते हुए पहला पत्र पोस्ट किया। उधर से जब उनके मित्र ऐलिस एच का जवाब आया तो उनके खुशी का ठिकाना नहीं रहा। इसके बाद पत्र के आदान-प्रदान का सिलसिला ही चल पड़ा। इस दरम्यान पेन पाल के लेखक ऐलिस एच की उम्र जानना चाहते हैं, लेकिन यह पूछने हिचकिचाते थे। समय बीतता गया और लेखक भी सांसारिक दुनिया में सफर करने लगे। वह बार-बार अपने पत्र मित्र ऐलिस एच से एक तस्वीर को भेजने का आग्रह किए, लेकिन वह भी उन्हें प्राप्त नहीं हो पाया। अचानक एक दिन लेखक के पास एक पैकेट आया जिसमें ऐलिस एच की एक मित्र का पत्र था। उसमें ऐलिस एच की एक दुर्घटना में मौत की सूचना के साथ एक तस्वीर भी थी। इस आखिरी पत्र से ही लेखक को पता चलता है कि उनकी पत्र मित्र 78 साल की बूढ़ी महिला थीं।
राहुल की शार्ट फिल्म ‘इश्क सलामत’ की कहानी भी इसी राह पर चलती है। नायक और नायिका एक-दूसरे को देखे बिना ही प्रेम की गहराई में उतरते जाते हैं। लंबे समय के बाद अचानक एक दिन नायक को नायिका की बहन अपने घर बुलाती है। नायक जब घर पहुंचता है तो सामने फूल-माला से लदी दीवार पर एक तस्वीर टंगी मिलती है। वहीं उसे पता चलता है कि जिसके साथ उसका अथाह प्रेम प्रसंग चल रहा था, वह युवती अब इस दुनिया में नहीं रही। कुल 17 मिनट 51 सेकेंड की इस फिल्म की शूटिग दिल्ली, नोएडा में हुई है। राहुल से बात करने पर बताया कि माल्देयपुर नागाजी सरस्वती विद्या मंदिर से शिक्षा ग्रहण किए हैं। पिता अशोक कुमार व्यवसायी हैं। इस फिल्म के स्क्रीन प्ले राइटर शरद चंद उपाध्याय हैं, वहीं शांतनु सिंह ने इसकी एडिटिग की है। इसके अलावा प्रियंका विनोद व मेधा यादव ने फिल्म में मुख्य भूमिका निभाई है। बताया कि इससे पहले भी उन्होंने नौ मिनट की कादंबिनी शार्ट फिल्म बनाई थी जो दिल्ली यूनिवर्सिटी की फिल्म फेस्टिवल में चौथे स्थान पर रही। उन्हें विश्वास है कि सबकुछ ठीक रहा तो फिल्म फेस्टिवल में इस फिल्म के डायरेक्टर व कलाकारों को बेस्ट अवार्ड से नवाजा जा सकता है।