प्रवासी भारतीय दिवस: हर साल भेजते हैं 57 हजार करोड़ रुपये, जानिए क्यों मनाया जाता है

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आज 16वां प्रवासी भारतीय दिवस है। दुनिया भर में बसे प्रवासियों से नाता जोड़ने के लिए प्रवासी भारतीय दिवस की शुरुआत 2003 में पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने की थी। बता दें कि 15वें प्रवासी दिवस का आयोजन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में किया गया था।

इस दिवस को मनाने के पीछे अप्रवासी भारतीयों की भारत के प्रति सोच, उनकी भावनाओं की अभिव्यक्ति के साथ ही उनकी अपने देशवासियों के साथ सकारात्मक बातचीत के लिए एक मंच उपलब्ध कराना है। इसके अलावा यह भारत के लोगों की उपलब्धि और देश की उनसे अपेक्षा, 110 देशों में अप्रवासी भारतीयों का एक नेटवर्क बनाना सहित अन्य विषयों पर केंद्रीय होता है।

नौ जनवरी को ही क्यों मनाया जाता है प्रवासी भारतीय दिवस
नौ जनवरी को महात्मा गांधी दक्षिण अफ्रीका से स्वदेश लौटे थे, इसीलिए प्रवासी भारतीय दिवस नौ जनवरी को मनाया जाता है।

प्रवासी भारतीय हर साल देश भेजते हैं 57 हजार करोड़ रुपये
विश्व बैंक ने ‘माइग्रेशन एंड रेमिटेंस’ नाम की एक रिपोर्ट के मुताबिक अपने देश में विदेशी मुद्रा भेजने के मामले में भारतीय प्रवासी सबसे आगे हैं। रिपोर्ट बताती है कि प्रवासी भारतीयों ने साल 2018 में 80 अरब डॉलर (57 हजार करोड़ रुपए) भारत भेजे।

दूसरे नंबर पर है चीन। चीन के प्रवासियों ने 67 अरब डॉलर भेजे हैं। भारत और चीन के बाद मेक्सिको, फिलीपींस और मिस्र का स्थान है। भारतीय प्रवासियों द्वारा भारत भेजे गए कुल धन का 75% से अधिक हिस्सा 10 बड़े देशों में कमाया गया है। इन देशों में अमेरिका, सऊदी अरब, रूस, यूएई, जर्मनी, कुवैत, फ्रांस, कतर, ब्रिटेन और ओमान शामिल हैं।

200 देशों में करीब तीन करोड़ प्रवासी भारतीय

दुनिया के 200 देशों में रह रहे करीब तीन करोड़ से अधिक प्रवासी भारतीय विभिन्न देशों में अपनी अहम भूमिका निभा रहे हैं। एक ओर विकसित देशों की अर्थव्यवस्थाओं में उनके योगदान की तारीफ की जा रही है। तो दूसरी ओर कम कुशल और कम शिक्षित प्रवासी कामगार भी खाड़ी देशों सहित कई मुल्कों में विकास के सहभागी बन गए हैं। खाड़ी देशों में अकुशल और मामूली शिक्षित प्रवासी भारतीय कामगारों ने विपरीत परिस्थितियों में भी अपनी क्षमता को साबित किया है।

28 साल में 90 लाख से 3.12 करोड़ हुए प्रवासी  
देश के बाहर रहने भारतीयों की संख्या पिछले 28 साल में 346 फीसदी बढ़ी है। 1990 में विदेश में रहने वाले भारतीयों की संख्या 90 लाख थी। यह अब बढ़कर 3.12 करोड़ तक पहुंच गई है। वहीं इस दौरान प्रति व्यक्ति आय 522 फीसदी बढ़ी है। इसका आंकड़ा 1,134 डॉलर से बढ़कर 7,055 डॉलर तक पहुंच गया है।

आमदनी बढ़ने का असर यह हुआ है कि जिन्हें देश में मनमाफिक नौकरी नहीं मिल पाती है वे विदेश का रुख करने लगे हैं। यह जानकारी इंडियास्पेंड द्वारा यूएन के आर्थिक विभाग के आंकड़ों के विश्लेषण से सामने आई है।

वहीं एशियन डेवलपमेंट बैंक (एडीबी) की रिपोर्ट के मुताबिक बीते 6 साल में विदेश में रहने वाले अकुशल (अनस्किल्ड) भारतीयों की संख्या 39 फीसदी की कमी आई है। 2011 में इनकी संख्या 6.37 लाख थी। यह 2017 में घटकर 3.91 लाख रह गई। यह आंकड़े उन अनस्किल्ड भारतीयों के हैं जो इमिग्रेशन चेक रिक्वायर्ड पासपोर्ट पर मध्य-पूर्व या दक्षिण एशिया में नौकरी के लिए देश छोड़कर गए हैं।

अमेरिका में बड़ी संख्या में प्रवासी भारतीय

अमेरिका में प्रवासी भारतीयों का भारी दबदबा है। अमेरिका में करीब 17 लाख लोग भारतीय मूल के हैं। ये कुल अमेरिकी आबादी का करीब 0.6 फीसदी हैं। यहां रहने वाले भारतीय बहुत ज्यादा पढ़े-लिखे, बहुत ज्यादा जागरुक और बहुत ज्यादा कमाने वाले लोग हैं। इतना ही नहीं अमेरिका में यह एक राजनीतिक ताकत के रूप में उभर के आए हैं। भारतीयों की योग्यता और क्षमता अन्य देश के नागरिकों से ज्यादा है।

अमेरिका में भारतीयों का आंकड़ा हैरान करनेवाला
बात नासा में काम कर रहे वैज्ञानिकों की हो या फिर डॉक्टरों की या बात करें कंप्यूटर और सॉफ्टवेयर इंजीनियर की अमेरिका में बसने वाला हर दूसरा भारतीय ही मिलेगा। इसीलिए यह  दिलचस्प हो जाता है जानना कि अमेरिका की अंतरिक्ष एजेंसी नासा में काम करने वाले लोगों में 36 फीसदी भारतीय हैं।

इसी तरह अमेरिका में कार्यरत डॉक्टरों में से 38 फीसदी और वैज्ञानिकों में 12 फीसदी भारतीय हैं। अमेरिका-भारत वाणिज्य मंडल के अनुसार कंप्यूटर क्रांति लाने वाली कंपनी माइक्रोसॉफ्ट में भारतीयों की संख्या 34 फीसदी है। इसी तरह आईबीएम के 28 फीसदी और इंटेल के 17 फीसदी कर्मचारी भारतीय हैं।

प्रोफेशनल ही नहीं भारतीय मजदूरों का भी है दबदबा

1990 से 2017 के बीच लगभग तीन दशक के समय में कतर में रहने वाले भारतीयों की संख्या 803 गुना बढ़ी है। यह 1990 के 2,738 की तुलना में बढ़कर 22 लाख तक पहुंच गई है। यह बढ़ोतरी किसी भी अन्य देश की तुलना में सबसे अधिक है।

सबसे ज्यादा प्रवासी भारतीय खाड़ी देशों में रहते हैं। खाड़ी देशों में करीब 30 लाख प्रवासी भारतीय रहते हैं। ब्रिटेन में करीब 10 लाख प्रवासी भारतीय हैं। कनाडा में करीब डेढ़ लाख प्रवासी भारतीय रहते हैं। एक अनुमान के मुताबिक खाड़ी देश में रहने वाले 70 फीसदी प्रवासी भारतीय यानी करीब 21 लाख लोग खाड़ी देशों में मेहनत-मजदूरी करके जीवन चला रहे हैं।

इन देशों में काम करते हैं सबसे ज्यादा अकुशल भारतीय कामगार

देश अकुशल भारतीय कामगारों की संख्या
यूएई 112059
सऊदी अरब 72399
कुवैत 57613
ओमान 36037
कतर  34471

संसदीय प्रश्नोत्तर (फरवरी 2019)

भारतीय प्रवासी किस देश में कितने

मलेशिया -16 लाख
ब्रिटेन-10 लाख
कनाडा -10 लाख
दक्षिण अफ्रीका- 10 लाख
कैरीबियाई देश -10 लाख
मॉरिशस- 9 लाख
आस्ट्रेलिया -4.5 लाख
फिजी -3.5 लाख
फ्रांस- 2.8 लाख
पूर्वी अफ्रीका -2 लाख

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