प्रयागराज में मंडल रेल प्रबंधक (डीआरएम) के कार्यालय में करोड़ों रुपए के गबन का मामला अब सीबीआई देख रही है। इस प्रकरण में कार्मिक विभाग में कार्यरत सहायक कार्मिक अधिकारी (एपीओ) लवकुश के खिलाफ आईटी एक्ट समेत विभिन्न धाराओं में एफआईआर दर्ज कर ली गई है। एफआईआर दर्ज होने के बाद सीबीआई ने करीब एक करोड़ रुपए के ऑनलाइन ट्रांजैक्शन का पूरा डिटेल ढूंढ लिया है।
आरोपियों को कभी भी गिरफ्तार कर सकती है सीबीआई
रेल कर्मियों के वेतन की रकम बैंक खाते में ऑनलाइन ट्रांसफर की गई थी। इसकी जानकारी होने पर सीबीआई ने स्टेट बैंक ऑफ इंडिया और आईसीआईसीआई बैंक के खातों को खंगाला और उनकी रिपोर्ट तैयार कर उसमें इन बैंक अकाउंट को भी दर्ज किया। जिनमें ट्रांजैक्शन हुए थे। जिसके बाद एपीओ समेत तीन-चार रेल कर्मियों पर गिरफ्तारी की तलवार लटकने लगी है। इन्हें कभी भी सीबीआई गिरफ्तार कर सकती है।
रेलकर्मियों के बैंक एकाउंट में मिले हेराफेरी के सबूत
प्रयागराज के डीआरएम ऑफिस में बीते वर्ष कुछ रेल कर्मियों के बैंक एकाउंट में अधिक रुपये ट्रांसफर करने की बात सामने आई थी। धनराशि पे-बिल सेक्शन में तैनात एपीओ लवकुश के सिग्नेचर से ट्रांसफर गई थी। जांच में पता चला कि एपीओ लवकुश और एक रेलकर्मी ने गड़बड़ी करते हुए सहायक लोको पायलट एएलपी नरेश सिंह के बैंक खाते के विवरण तक को बदल दिया था।
चर्चा है कि आरोपियों के साथ दो अन्य रेलकर्मी भी इस हेराफेरी में शामिल हैं, जो सीबीआई के राडार पर हैं। इन तीनों की कभी भी गिरफ्तारी हो सकती है। आरोप है कि सहायक कार्मिक अधिकारी ने सहायक लोको पायलट( एएलपी) नरेश सिंह के नाम से दूसरे बैंक एकाउंट का इस्तेमाल किया और बोगस दिल से उस एकाउंट में भुगतान कराया।
सीबीआई जांच में यह भी स्पष्ट हुआ है कि आईसीआईसीआई बैंक के एक नए अकाउंट का विवरण फाइल में दर्ज कर रुपए ट्रांसफर किए गए हैं। कुछ अन्य बैंक अकाउंट के बारे में भी सीबीआई को रिकॉर्ड मिले हैं। सीबीआई द्वारा बैंकों से जुटाई गई जानकारी मिलने के बाद आरोपी एपीओ लवकुश के खिलाफ आपराधिक धाराओं के साथ आईटी अधिनियम 2000 की धारा 66 सी के तहत एफआईआर दर्ज की गई है।
1.45 करोड़ किए गए थे ट्रांसफर
बता दें कि डीआरएम ऑफिस के कार्मिक विभाग से ही कर्मचारियों को वेतन यहां लोको पायलटों के वेतन के लिए जुलाई 2019 में 1. 45 करोड रुपए का ट्रांजैक्शन हुआ, जबकि 45 लाख रुपये ही लोको पायलटों की सैलरी के लिए ट्रांजैक्शन होने चाहिए थे। ऐसे में एक करोड़ रुपए की हेराफेरी करने की बात पता चली। जिस की सीबीआई जांच कर रही है।
आरोपियों को बचाने का आरोप
सच्चाई सामने आने पर एपीओ लवकुश को विभाग से चार्जशीट भी जारी की गई थी और उसे पे-बिल सेक्शन से हटाकर दूसरा काम दे दिया गया था। इसी सेक्शन में तैनात लिपिक प्रफुल्ल पांडेय को भी हटाया गया था, लेकिन गत 16 फरवरी को उसे फिर वहीं बहाल कर दिया गया। सितंबर 2020 में कार्मिक विभाग के चीफ ओएस (आफिस सुप्रिटेंडेंट) मोतीलाल मिश्रा को भी उस पटल से हटाकर पास सेक्शन में भेज दिया गया, लेकिन कुछ महीने बाद वह फिर चीफ ओएस पटल पर तैनाती पा गए।
यही नहीं एपीओ लवकुश को विभाग की ओर से जारी की गई मेजर पेनाल्टी चार्जशीट माइनर पेनाल्टी में तब्दील कर दी गई। मामला सीबीआइ तक पहुंचा तो नए सिरे से जांच शुरू हो गई जिससे पूरे विभाग में हड़कंप मचा हुआ। नीचे से लेकर ऊपर तक के अधिकारी हाफ रहे है।
मंडल रेल प्रबंधक बोले- आरोपियों के खिलाफ होगी कार्रवाई
इस संबंध में उत्तर मध्य रेलवे के मंडल रेल प्रबंधक प्रयागराज मोहित चंद्रा ने कहा कि सीबीआई कर रही है। टीम ने उनसे जो दस्तावेज मांगे है, उसे दिया जा रहा है। उनकी जो रिपोर्ट आएगी, उसके अनुरूप कार्रवाई की जाएगी। फिलहाल आरोपी को लाभ के पद से हटा दिया गया है। सीबीआई जांच में पूरा सहयोग कर रहे हैं।