प्रयागराजः शिक्षा अधिकरण बिल वापसी के लिए आज से सड़क पर उतरेंगे वकील

शिक्षा सेवा अधिकरण बिल वापसी के लिए आज इलाहाबाद हाईकोर्ट के अधिवक्ता सड़क पर उतरकर आंदोलन करेंगे। आंदोलन में शिक्षक, छात्र और व्यापारी संगठन भी वकीलों के साथ हैं। रविवार को हाईकोर्ट बार एसोसिएशन में पत्रकारों से वार्ता के दौरान बार के पदाधिकारियों ने कहा कि बिल वापसी तक न तो उनका आंदोलन रुकेगा और न ही कोई समझौता होगा। हालांकि न्यायिक कार्य से विरत रहने का प्रस्ताव अनिश्वितकालीन नहीं है और भविष्य की परिस्थितियों को देखते हुए इस निर्णय लिया जाएगा। 

हाईकोर्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष अमरेंद्र नाथ सिंह और महासचिव प्रभाशंकर मिश्र का स्पष्ट कहना था कि उनकी पहली मांग अधिकरण बिल की वापसी है, क्योंकि इसके गठन के पीछे सरकार और अधिकारियों की मंशा अधिवक्ताओं के हित में नहीं है। पिछले अनुभव बताते हैं कि अधिकरण जिस उद्देश्य से बनाए गए थे, उसे पूरा करने में असफल रहे हैं। केंद्र सरकार ने भी तमाम अधिकरणों को समाप्त करने का फैसला लिया है। सुप्रीमकोर्ट भी अधिकरणों की प्रासंगिकता पर टिप्पणी कर चुका है। 
पौने तीन लाख मुकदमे जाएंगे अधिकरण में
अमरेंद्र नाथ सिंह का कहना है कि मौजूदा समय में हाईकोर्ट के कुल मुकदमों का लगभग पच्चीस फीसदी काम शिक्षा और इससे जुड़े मामलों का है। दो लाख मुकदमे इलाहाबाद हाईकोर्ट में और 75 हजार मुकदमे लखनऊ पीठ में हैं। इनकी सुनवाई के लिए इलाहाबाद में दस और लखनऊ में पांच पीठें नामित हैं। यह सभी मुकदमे अब अधिकरण में स्थानांतरित होंगे और उनकी सुनवाई के लिए नौ रिटायर्ड ब्यूरोक्रेट होंगे, जिनको न तो न्यायिक कार्य का अनुुुभव है और न ही जानकारी। स्पष्ट है कि सरकार शिक्षकों और शिक्षणेतर कर्मचारियों के लिए न्याय के दरवाजे बंद करना चाहती है। 

स्पष्ट नहीं है प्रारूप
अध्यक्ष का कहना है कि मौजूदा बिल में अधिकरण का प्रारूप स्पष्ट नहीं है। इसके निर्णयों के खिलाफ अपील कहां होगी, इसका जिक्र नहीं है। वादकारी को अपना पक्ष रखने के लिए वकीलों के अलावा भी अन्य लोगों की मदद लेने की छूट दी गई है, जो उचित नहीं है। 

नौ मार्च को प्रयागराज बंद
महासचिव प्रभाशंकर मिश्र का कहना है कि नौ मार्च को प्रयागराज बंद का आह्वान किया गया है। इसे शिक्षक संघों, छात्र संगठनों और व्यापारी संघों का भी समर्थन प्राप्त है। सोमवार की बैठक में इस पर विस्तृत चर्चा कर निर्णय लिया जाएगा।

इन मांगों पर है जोर
1- शिक्षा अधिकरण बिल वापस हो
2- सुप्रीमकोर्ट के टीएम पाई केस के निर्णय के अनुसार अधीनस्थ न्यायालयों की शक्ति बढ़ाई जाए
3- यदि बिल वापस नहीं होता है तो अधिकरण का गठन सुप्रीमकोर्ट के मद्रास बार एसोसिएशन केस में दिए फैसले के अनुरूप किया जाए। 
4- अधिकरण बनने की स्थिति में हाईकोर्ट की प्रधानपीठ और लखनऊ खंडपीठ के क्षेत्राधिकार के अनुसार ही अधिकरण के क्षेत्राधिकार का भी बंटवारा हो।

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