प्रदूषण से कोरोना संक्रमित रहे लोगों को खतरा, लगवाएं फ्लू का टीका

कोरोना (Corona Virus) का पीक समय भारत ने भले ही पार कर लिया हो, लेकिन कोरोना संक्रमण से ठीक हो जाने वालों का संघर्ष चलता रहेगा. ठीक होने वाले मरीजों में कई दिन कुछ लक्षण देखे जाते हैं जिन्‍हें ‘लॉन्‍ग कोविड’ कहा गया है. ऐसे में विशेषज्ञों का मानना है कि ठंड बढ़ने और वायु प्रदूषण (Air Pollution) के चलते ठीक हो चुके मरीजों को खतरा और बढ़ सकता है. नए सबूत बताते हैं कि बेहद कम या बिना लक्षण वाले लोगों में भी ठीक होने के बाद ऐसे लक्षण सामने आ सकते हैं जो हफ्तों-महीनों तक मौजूद रहें. विशेषज्ञों के मुताबिक सर्दी और बढ़ते प्रदूषण से ये लक्षण और गंभीर होंगे. ऐसे में विशेषज्ञों ने कोरोना वायरस से ठीक हो चुके मरीजों को फ्लू (Flu) वैक्‍सीन लगवाने का सुझाव दिया है.

भारत में 70 लाख से ज्यादा लोग ठीक हुए कोरोना से
भारत में 70 लाख से ज्यादा संक्रमित लोग स्वस्थ हो चुके हैं, जबकि कंप्यूटर सिमुलेसंस में दिखाया जा चुका है कि असली संक्रमणों की संख्या 10 गुनी से भी ज्यादा है. इसका सीधा मतलब है कि एक बड़े समूह के लोगों में कोरोना वायरस के विरुद्ध एंटीबाडी बन चुकी है, वह भी उनमें जो हाट-स्पाट वाले क्षेत्रों में रह चुके हों. अभी तक के शोध कार्यो से यह पता चल रहा है की कोविड से स्वस्थ हो चुके लोगो में एंटीबाडी कुछ दिनों से कुछ महीनों तक ही रह सकती है. बहरहाल, हाल-फिलहाल में कुछ दुर्लभ केसेज भी रिपोर्ट किये गए हैं, जिनमें कोरोना का संक्रमण दोबारा से हो रहा है

ठीक होने के बाद भी आती हैं परेशानियां
इस पर नजर रखने वालों के मुताबिक कोविड मरीजों को ठीक के बाद भी कई परेशानियों का सामना करना पड़ता है. जर्नल ऑफ अमेरिकन मेडिकल एसोसिएशन में छपी स्‍टडी के अनुसार, रोम के अस्‍पताल में भर्ती 143 मरीजों में से 87% में रिकवरी के दो महीने बाद तक कम से कम एक लक्षण पाया गया. कई मरीजों में खांसी, थकान, डायरिया, जोड़ों में दर्द, मांसपेशियों में दर्द, दिल, फेफड़ों और किडनी में डैमेज जैसे लक्षण देखा गया. आधे से ज्‍यादा ‘लॉन्‍ग कोविड’ मरीजों ने भारी थकान की शिकायत की

फ्लू की वैक्‍सीन से कैसे बेहतर होगी रिकवरी?
एम्‍स (दिल्‍ली) डायरेक्‍टर डॉ रणदीप गुलेरिया ने कहा, ‘बढ़ते प्रदूषण, गिरते तापमान और त्‍योहारों के मौसम में बढ़ती भीड़ से सबको खतरा है. जो ‘लॉन्‍ग कोविड’ वाले हैं जिन्‍हें फ्लू के खिलाफ टीकाकरण करा लेना चाहिए ताकि पोस्‍ट-रिकवरी लक्षणों की गंभीरता कम हो सके और फ्लू इन्‍फेक्‍शन से भी सुरक्षा मिले.’ देशभर के कोविड अस्‍पतालों में रिकवरी के बाद भी लक्षणों की शिकायत के मामलों का अंबार है. एन्‍वार्यनमेंटल रिसर्च जर्नल में अगस्‍त महीने में एक स्‍टडी छपी थी. उसमें कहा गया था कि बच्‍चों के फेफड़ों पर वायु प्रदूषण के असर को कम करने में इन्‍फ्लुएंजा की वैक्‍सीन कारगर है. डॉक्‍टर्स को लगता है कि यह ‘लॉन्‍ग कोविड’ मरीजों को भी फायदा पहुंचाएगी.

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