नवंबर 2014 में उत्तर भारत का एक 48 वर्षीय शख्स पेट की शिकायत लेकर दिल्ली स्थित इंस्टिट्यूट ऑफ लिवर एंड बिलीएरी साइंसेज (आईएलबीएस) आया। शुरुआती जांच के बाद पता लगा कि वह एनिमिया से ग्रसित हैं, जिसमें खून में लाल रक्त कोशिकाओं की संख्या अथवा हीमोग्लोबिन की कमी हो जाती है। लेकिन बाद में एक और रिपोर्ट सामने आई। इसमें पता लगा कि शख्स की आंत के अंदर एक कीड़ा है जो पोषक तत्वों को खा रहा है, जिसकी वजह से एनिमिया जैसे लक्षण पैदा हुए। डॉक्टर्स ने जब पाचन तंत्र की अंदर से जांच की तो कुछ ऐसा पाया जो पहले कभी नहीं देखा था। आंत के अंदर 6 फीट लंबा कीड़ा था।
डॉक्टर्स ने इस कीड़े को मुह के रास्ते बाहर निकाला। इस पूरी प्रक्रिया में 1 घंटा 20 मिनट का समय लगा। ILBS के उस समय के सीनियर डॉक्टर सीए फिलिप्स ने बताया, “यह एनिमिया का एक साधारण केस लग रहा था और बीमार व्यक्ति ने पेट में शिकायत बताई थी। उसका हीमोग्लोबिन 9.8 था। जब हमने उसकी बड़ी आंत के अंदर की जांच की तो मलाशय के पास कोई बड़ी चीज चलती देखी।” इसके बाद टीम ने endoscopy के जरिए देखा कि एक कीड़ा छोटी आंत के ऊपर हिस्से में रह रहा है। इसके बाद डॉक्टर्स ने बड़ी सावधानी से एक बार में ही इसे बाहर निकाल लिया यह ध्यान रखते हुए कि कीड़ा बीच में से टूट ना जाए।
डॉक्टर फिलिप्ल ने बताया, “यह 188 सेमी लंबा था। हमें यह ध्यान रखना था कि यह टूट ना जाए, क्योंकि अगर ऐसा होता तो इसमें से अंडे फूटकर आंत में गिर जाते, इसके खून में घुल जाने से दिमाग में इंफेक्शन होने का भी खतरा था। यह इस प्रक्रिया का सबसे कठिन हिस्सा था।” उन्होंने बताया, “हमने कीड़े उसके सिर से पकड़ा था और फिर उसे मुह के जरिए बाहर निकाला। यह बड़ी ही सावधानी से किया गया।”