यूरोपीय आयोग ने कहा है कि पेगासस जैसी घटनाएं पूरी तरह अस्वीकार्य हैं और अगर इनमें सच्चाई है तो ये यूरोपीय मूल्यों के खिलाफ हैं. भारत में कई बड़े लोगों के नाम सूची में शामिल हैं.इस्राएली कंपनी के जासूसी सॉफ्टवेयर की मदद से विभिन्न सरकारों द्वारा पत्रकारों, मानवाधिकार कार्यकर्ताओं और नेताओं की जासूसी करने की खबरों पर यूरोपीय आयोग ने चिंता जताई है. आयोग की प्रमुख उर्सुला फॉन डेय लाएन ने कहा है कि अगर इन खबरों में सच्चाई है तो यह पूरी तरह अस्वीकार्य है और पत्रकारों की जासूसी यूरोपीय संघ के मूल्यों के खिलाफ है.
चेक गणराज्य में पत्रकारों से बातचीत में लाएन ने कहा, “अब तक हमने जो पढ़ा है, और उसकी सत्यता का पता लगाना बाकी है, लेकिन यदि ऐसा हुआ है, तो यह स्वीकार नहीं किया जा सकता. यह यूरोपीय संघ के हमारे नियमों के भी खिलाफ है.” एक यात्रा पर प्राग पहुंचीं लाएन ने कहा कि मीडिया की आजादी यूरोपीय संघ के मूल्यों में से एक है. एनएसओ का खंडन रविवार को दुनियाभर के 17 मीडिया संस्थानों ने एक साथ रिपोर्ट छापी थीं, जिनमें दावा किया गया था कि पेगासस नाम के एक स्पाईवेयर के जरिए विभिन्न सरकारों ने अपने यहां पत्रकारों, नेताओं और मानवाधिकार कार्यकर्ताओं के फोन हैक करने की कोशिश की. इस्राएली कंपनी एनएसओ द्वारा बनाया गया यह स्पाईवेयर सिर्फ 37 देशों की सरकारों को बेचा गया है, जिनमें भारत भी शामिल है.
देखेंः भारत में डिजिटल मीडिया के नियम एनएसओ को 2010 में स्थापित किया गया था. तेल अवीव के नजदीक हर्त्सलिया से काम करने वाली कंपनी एनएसओ ने जासूसी के इन आरोपों का पूरी तरह से खंडन किया है. कंपनी ने कहा, “हम जोर देकर कहना चाहते हैं कि एनएसओ अपनी तकनीक सिर्फ उन जासूसी और कानूनपालक एजेंसियों को बेचती है, जिन्हें पूरी तरह जांचा परखा गया हो. इसका मकसद अपराध और आतंकी गतिविधियों से लोगों की जानें बचाना होता है.” पेगासस फिर विवाद में पेगासस एक स्पाईवेयर है जिसके जरिए स्मार्टफोन्स हैक करके लोगों की जासूसी की जा सकती है. यह पहली बार नहीं है जब पेगासस का नाम जासूसी संबंधी विवादों में आया हो. 2016 में भी कुछ शोधकर्ताओं ने कहा था कि इस स्पाईवेयर के जरिए युनाइटेड अरब अमीरात में सरकार से असहमत एक कार्यकर्ता की जासूसी की गई. सोशल मीडिया नेटवर्किंग ऐप वॉट्सऐप ने 2019 में एनएसओ पर मुकदमा किया था.
वॉट्सऐप ने दावा किया था कि उसकी जानकारी के बिना पेगासस का इस्तेमाल उसके ग्राहकों पर निगरानी रखने के लिए किया जा रहा है. एनएसओ के ग्राहकों में दुनियाभर की सरकारें हैं. इस जांच में जिन दस देशों का नाम आया है, वे हैः अजरबैजान, बहरीन, हंगरी, भारत, कजाकिस्तान, मेक्सिको, मोरक्को, रवांडा, सऊदी अरब, यूएई. ‘मीडिया की आजादी पर हमला’ भारत में मीडिया संस्थान द वायर उस जांच का हिस्सा है, जिसे ‘पेगासस प्रोजेक्ट’ नाम दिया गया. इस जांच में फ्रांसीसी संस्था ‘फॉरबिडन स्टोरीज’ को मिले उस डेटा का फॉरेंसिक विश्लेषण किया गया, जिसके तहत हजारों फोन नंबर्स को हैक किये जाने की सूचना थी.
तस्वीरों मेंः मीडिया के हमलावरों में मोदी भी अंतरराष्ट्रीय मीडिया संस्थाओं जैसे वॉशिंगटन पोस्ट, गार्डियन और ला मोंड व जर्मनी में ज्यूडडॉयचे त्साइटुंग ने भी इस जांच में हिस्सा लिया था. जांच के बाद दावा किया गया है कि 50 हजार फोन नंबरों को जासूसी के लिए चुना गया था. इनमें दुनियाभर के 180 से ज्यादा पत्रकारों के फोन नंबर शामिल हैं. भारत में द वायर के संस्थापक संपादक सिद्धार्थ वरदराजन उन पत्रकारों में से हैं जिनका फोन हैक किया गया. वह कहते हैं कि यह घटना मीडिया की आजादी पर हमला है. वरदराजन ने पत्रकारों को बताया, “तो जब भी किसी सरकार को यह अस्वस्थ उत्सुकता होगी कि हमारे पत्रकार क्या कर रहे हैं या फिर अपने विपक्षी नेताओं की गतिविधियां जानने के लिए अवैध तरीकों का इस्तेमाल करती है, आप अंदाजा लगा सकते हैं कि ऐसी सरकार खेल के नियमों का सम्मान नहीं करती.
जो सरकार कानून का सम्मान नहीं करती, वह लोकतंत्र और उसकी संस्थाओं सम्मान नहीं करती.” राहुल गांधी का भी नाम भारत में जिन लोगों के नाम पेगासस जासूसी कांड की सूची में शामिल हैं उनमें 40 से ज्यादा पत्रकारों के अलावा सरकार और विपक्ष के कई नेता भी शामिल हैं. सबसे बड़ा नाम कांग्रेस नेता राहुल गांधी का है. द वायर के मुताबिक राजनीतिक कार्यकर्ता प्रशांत किशोर और हाल ही में सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री बने अश्विनी वैष्णव व प्रह्लाद पटेल भी संभवतया निशाने पर थे. वैष्णव का फोन संभवतया तब हैक किया गया जब 2017 में वह मंत्री या सांसद तो क्या, भारतीय जनता पार्टी के सदस्य भी नहीं थे.
जिन लोगों के फोन जासूसी के लिए निशाने पर थे, उनमें जस्टिस रंजन गोगोई पर यौन उत्पीड़न के आरोप लगाने वाली महिला और उसके रिश्तेदार भी शामिल हैं. द वायर के दावों के मुताबिक उस महिला के कम से कम 11 रिश्तेदारों के फोन हैक किए गए. यह मामला 2019 का है जबकि जब तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई पर एक महिला ने यौन उत्पीड़न के आरोप लगाए थे. जस्टिस गोगोई को सुप्रीम कोर्ट की एक समिति ने उस मामले में क्लीन चिट दी थी, जिसके फौरन बाद केंद्र सरकार ने उन्हें राज्य सभा के लिए नामित किया था.
भारतीय जनता पार्टी सरकार की आलोचना करते हुए कांग्रेस ने उसे ‘भारतीय जासूस पार्टी’ बताया है. कांग्रेस ने कहा कि सरकार लोगों के बेडरूम में हो रही बातें सुन रही थी. उधर बीजेपी ने कहा है कि जासूसी के ये आरोप बेबुनियाद हैं. आईटी मंत्री वैष्णव ने संसद में सरकार का बचाव करते हुए कहा कि यह मात्र संयोग नहीं है कि संसद का मानसून सत्र शुरू होने के एक दिन पहले यह खबर छपी है.