शिवपाल का नाम लिए बगैर कहा कि विधानसभा चुनाव और बाद में भ्रम की स्थिति पैदा की जा रही है कि कुछ वरिष्ठ नेता अलग पार्टी बना सकते हैं। इससे न सिर्फ अनुशासनहीनता फैलाने की कोशिश की जा रही है बल्कि पार्टी की छवि को भी धक्का लग रहा है।
उन्होंने कहा, महानगर व जिला अध्यक्ष तथा प्रदेश कार्यकारिणी अखिलेश यादव के सक्षम नेतृत्व में आस्था जताती है और उनकी अगुवाई में सपा के विस्तार के लिए कार्य करने का संकल्प लेती है। सभी ने हाथ उठाकर प्रस्ताव का समर्थन किया।
बैठक में सभी को सपा के संशोधित संविधान की प्रतियां भी दी गईं। इस दौरान रामगोविंद चौधरी, अहमद हसन, राजेंद्र चौधरी, बलराम यादव, अभिषेक मिश्र, अरविंद कुमार सिंह, राजकुमार मिश्र, डॉ. मधु गुप्ता, एसआरएस यादव, कर्नल सत्यवीर सिंह, डॉ. फिदा हुसैन अंसारी खास तौर पर मौजूद रहे।
अखिलेश ने कहा, एक वरिष्ठ पत्रकार ने मुझे बताया कि परिवार का झगड़ा भी हार का एक कारण है। पिता मुलायम सिंह व चाचा शिवपाल सिंह की तरफ इशारा करते हुए बोले, मैंने एक कार्यक्रम में कहा था कि मेरी बात समझोगे लेकिन सब कुछ बिगड़ जाने के बाद। पता नहीं अब क्या चाहते हैं।
कर्जमाफी कहीं छलावा न बन जाए
सपा मुखिया ने कहा कि भाजपा के अधिकतर नेताओं ने अपनी सभाओं में किसानों की कर्जमाफी का वादा किया था। अब फसली ऋण माफ करने की बात हो रही है। बहुत सारे किसान इससे छूट गए हैं। कहीं कर्जमाफी छलावा बनकर न रह जाए। गांव-गांव जाकर ये बातें बतानी पड़ेंगी।
क्या ये देंगे देशभक्ति का सर्टिफिकेट
अखिलेश ने कहा, मीट मुस्लिम भी खाते हैं और हिंदू भी। स्लॉटर हाउस हिंदुओं के भी हैं। क्या खाते हैं, क्या पहनते हैं, इससे सब चीजें तय नहीं होतीं। कहा कि खुद हिंदू-मुस्लिम की बात करते हैं, हमें सेकुलर बताकर गाली देते हैं। क्या इनसे देशभक्ति का सर्टिफिकेट लेना होगा। इनसे कम राष्ट्रवादी कौन है?
मुलायम, शिवपाल का जिक्र नहीं, आजम रहे गैरहाजिर
बैठक में मुलायम सिंह या शिवपाल पर परोक्ष रूप से निशाना साधा गया लेकिन किसी ने उनका नाम नहीं लिया। विधानमंडल दल की बैठक के बाद आजम खां जिला अध्यक्षों व प्रदेश कार्यकारिणी की बैठक में भी गैरहाजिर रहे। सचिवालय में इस बाबत पूछने पर उन्होंने कहा, मुझे बैठक की कोई जानकारी नहीं थी। कोई सूचना भी नहीं दी गई थी।