बीते कुछ सालों में टीम इंडिया पूरी तरह बदल गई है. घर में मजबूत टीमों को हराने के साथ ही विदेश में भी भारतीय टीम जीत दर्ज कर रही है. भारतीय क्रिकेट में आया ये बदलाव रातों-रात नहीं हुआ है. इसके लिए देश में घरेलू क्रिकेट का बिल्कुल नया ढांचा तैयार किया गया. युवा खिलाड़ियों का बड़ा पूल तैयार किया गया. इनके खेल को तराशा गया. यही वजह है कि आज दो टीम इंडिया तैयार हो चुकी है. इसका श्रेय पूर्व भारतीय बल्लेबाज और नेशनल क्रिकेट एकेडमी के डायरेक्टर राहुल द्रविड़ को जाता है. उन्होंने पिछले कुछ सालों में पृथ्वी शॉ, शुभमन गिल, मयंक अग्रवाल जैसे खिलाड़ियों को तराशने का काम किया, जो आज टीम इंडिया के लिए खेल रहे हैं.
ऑस्ट्रेलियाई बल्लेबाज डेविड वॉर्नर भी द्रविड़ की इस काबिलियत के मुरीद हैं. उन्होंने स्पोर्ट्स टुडे पर बातचीत के दौरान कहा कि आज भारतीय क्रिकेट जैसा नजर आ रहा है, उसे बनाने में द्रविड़ का बड़ा योगदान है. उन्होंने मैच विनर खिलाड़ियों की लाइन लगा दी है और इसी वजह से भारतीय क्रिकेट में बड़ा बदलाव आया. इसे समझने के लिए ज्यादा पीछे जाने की जरूरत नहीं. पिछले ऑस्ट्रेलिया दौरे पर भारत को टेस्ट सीरीज में मिली ऐतिहासिक जीत से ही ये बात साबित होती. उस दौरे पर इशांत नहीं खेले थे. विराट कोहली, मोहम्मद शमी एडिलेड में हुए पहले टेस्ट के बाद बाहर हो गए थे. इसके बाद भी टीम ने मेलबर्न टेस्ट जीतकर सीरीज बराबर की.
पिछले ऑस्ट्रेलिया दौरे पर 5 खिलाड़ियों ने टेस्ट डेब्यू किया था
ऑस्ट्रेलिया दौरे पर रविंद्र जडेजा, रोहित शर्मा और उमेश यादव भी दो टेस्ट नहीं खेल पाए थे. वहीं, रविचंद्नन अश्विन और हनुमा विहारी भी एक-एक टेस्ट नहीं खेले थे. आखिरी टेस्ट शुरू होने के वक्त सीरीज के पहले मैच में टीम इंडिया के प्लेइंग-11 में शामिल सिर्फ दो खिलाड़ी ही टीम मैनेजमेंट के प्लेइंग-11 में बचे थे. भारत की ओर से पांच खिलाड़ियों ने इस सीरीज में डेब्यू किया था. इसमें मोहम्मद सिराज, टी नटराजन, वॉशिंगटन सुंदर, नवदीप सैनी और शुभमन गिल.
पिछली बार भारत के लिए एक विदेशी दौरे पर इतने डेब्यू 1996 में किए थे. जब इंग्लैंड में 6 खिलाड़ी पहला अंतरराष्ट्रीय मैच खेले थे. उसमें से दो राहुल द्रविड़ और पारस म्हाम्ब्रे थे. इन्हीं दोनों खिलाड़ियों ने बीते कुछ साल में भारत के लिए नए खिलाड़ियों की लाइन लगा दी. द्रविड़ जहां नेशनल क्रिकेट एकेडमी के डायरेक्टर रहे, तो वहीं म्हाम्ब्रे बॉलिंग कोच.
द्रविड़ ने 150 युवा खिलाड़ियों का पूल तैयार किया था
द्रविड़ और म्हाम्ब्रे ने मिलकर अंडर-16 और अंडर-19 के 150 टैलेंटेड खिलाड़ियों का पूल तैयार किया. इन 150 खिलाड़ियों को 25-25 के अलग-अलग 6 ग्रुप में बांटा गया और फिर हर ग्रुप को जोनल क्रिकेट एकेडमी में एक महीने का कैंप लगाकर ट्रेनिंग दी गई. इसमें से फिर 50 खिलाड़ियों को अलग किया गया और उन्हें नेशनल कैंप में अलग से ट्रेनिंग दी गई. इस एकेडमी में ट्रेनर, फीजियो और कोचिंग स्टाफ अंतरराष्ट्रीय स्तर के थे.
कई बार नेशनल क्रिकेट एकेडमी के कोच पारस म्हाम्ब्रे, नरेंद्र हिरवानी, अभय शर्मा और राहुल द्रविड़ भी इन कैंप में खिलाड़ियों का हुनर तराशने पहुंच जाते थे. इन जोनल कैंप को चलाने की जिम्मेदारी ट्रेंड कोच के हाथों में थी. इनमें अजय रात्रा, महिला क्रिकेट टीम के मौजूदा कोच रमेश पोवार जैसे नाम शामिल हैं
द्रविड़ के कोच रहते भारत अंडर-19 विश्व कप जीता
राहुल द्रविड़ ने 2015 में इंडिया अंडर 19 टीम और टीम ए के हेड कोच का पदभार संभाला था. उनकी ट्रेनिंग का नतीजा रहा कि भारत 2016 में अंडर-19 विश्व कप का उपविजेता रहा और 2018 में वर्ल्ड कप जीता. उनके मार्गदर्शन में ही पृथ्वी शॉ, देवदत्त पडिक्कल, मयंक अग्रवाल, ईशान किशन जैसे खिलाड़ी राष्ट्रीय टीम में जगह बना पाए. इसके अलावा द्रविड़ ने सैमसन को आईपीएल में पांव जमाने में मदद की थी.
द्रविड़ आईपीएल टीम के भी मेंटर रह चुके
द्रविड़ अंडर-19 और इंडिया-ए टीम के कोच बनने से पहले 2012-13 में आईपीएल टीम राजस्थान रॉयल्स (राजस्थान रॉयल्स) के कोच, कप्तान और मेंटोर की भूमिका निभा चुके हैं. उनकी कोचिंग में ही राजस्थान 2013 में लीग का प्लेऑफ खेली थी. 2016 में भारतीय अंडर-19 टीम का कोच बनने से पहले द्रविड़ के पास दिल्ली डेयरडेविल्स (अब दिल्ली कैपिटल्स) का कोच बनने का ऑफर था, लेकिन उन्होंने इस डील को ठुकराते हुए अंडर-19 टीम को कोचिंग देने का फैसला किया था